चीन के अरुणाचल को अपना हिस्सा बताने पर भारत की कड़ी प्रतिक्रिया, बेतुका और निराधार बताया
चीन के अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताने पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय ने इस दावे को बेतुका और निराधार बताते हुए कहा कि अरुणाचल भारत का अभिन्न और अविभाज्य अंग था और रहेगा। हालिया समय में ये दूसरी बार है जब अरुणाचल को लेकर भारत और चीन आमने-सामने आए हैं। इससे पहले इसी महीने चीन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अरुणाचल दौरे का विरोध किया था, जिस पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी।
चीन ने क्या कहा था?
दरअसल, सेला सुरंग के जरिए भारत के अरुणाचल प्रदेश में अपनी सैन्य मुस्तैदी बढ़ाने से संबंधित एक सवाल का जवाब देते हुए शुक्रवार को चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता झांग शियाओगांग ने अरुणाचल पर अपना दावा ठोका था। उन्होंने कहा था, "जिजांग (तिब्बत) का दक्षिणी हिस्सा (अरुणाचल) चीनी क्षेत्र का एक अंतनिर्हित हिस्सा है और बीजिंग ने कभी भी भारत द्वारा अवैध तरीके से स्थापित तथाकथित अरुणाचल को नहीं स्वीकारा और इसका दृढ़ता से विरोध करता है।"
भारत बोला- अरुणाचल प्रदेश हमारा था और हमेशा रहेगा
चीन के दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "हमने भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश के क्षेत्र पर बेतुके दावों को बढ़ाने वाली चीन रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता की टिप्पणी को नोट किया है। इस संबंध में आधारहीन तर्क बार-बार दोहराने से ऐसे दावों को कोई वैधता नहीं मिलती। अरुणाचल भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा। इसके लोगों को हमारे विकास कार्यक्रमों और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से लाभ मिलता रहेगा।"
प्रधानमंत्री मोदी ने 9 मई को किया था सेला सुरंग का उद्घाटन
बता दें कि जिस सेला सुरंग को लेकर चीन ने बयान दिया, उसका प्रधानमंत्री मोदी ने 9 मई को उद्घाटन किया था। 13,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस सुरंग को सीमा सड़क संगठन (BRO) ने बनाया है। यह दुनिया की सबसे अधिक ऊंचाई वाली सबसे लंबी 2 लेन सुरंग है। इसके निर्माण पर 825 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं और इसका निर्माण 2019 में शुरू हुआ था। यह सुरंग रणनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण है।
भारत के लिए क्यों अहम है ये सुरंग?
वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास होने से सेला सुरंग भारतीय सेना के लिए रणनीतिक रूप से अहम है। यह तवांग को अरुणाचल प्रदेश के उन हिस्सों से जोड़ती है, जो अकसर बर्फबारी या भूस्खलन की वजह से बंद हो जाते थे। सुरंग से तवांग के जरिए चीन सीमा तक की दूरी 10 किलोमीटर तक कम हो जाएगी। साथ ही असम के तेजपुर और तवांग में सेना के कोर मुख्यालय के बीच की दूरी भी एक घंटे कम हो जाएगी।
अरुणाचल पर दावा क्यों करता है चीन?
चीन अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत का हिस्सा मानता है और इस पर अपना दावा ठोकते हुए इसे दक्षिणी तिब्बत कहता है। चीन अरुणाचल के लगभग 90,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अपना बताता है। दूसरी तरफ भारत का कहना है कि अरुणाचल उसका अभिन्न अंग है और इस पर भारत की संप्रभुता को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली हुई है। इसके अलावा चीन ने भारत के अक्साई चिन की करीब 38,000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर भी अवैध कब्जा कर रखा है।