BSF जवान ने 11 लाख रुपये का दहेज लेने से किया इनकार, लिया केवल एक नारियल
दहेज प्रथा को सामाजिक बुराई माना जाता है और दहेज लेने एवं देने वालों के ऊपर कानूनी कार्यवाई की जाती है। हालाँकि, इसके बाद भी दहेज लेने-देने का कारोबार तेज़ी से फल-फूल रहा है। ऐसे समय में जहाँ एक नौकरी करने वाला लड़का बिना दहेज लिए शादी नहीं करता है, वहीं एक BSF जवान ने दहेज में मिलने वाले 11 लाख रुपये लेने से इनकार कर दिया और उसकी जगह केवल एक नारियल लिया। आइए जानें।
दहेज के 11 लाख रुपये लौटाकर लिए 11 रुपये और एक नारियल
जानकारी के अनुसार, यह मामला राजस्थान के जयपुर के अंबा बारी का है। वहाँ जितेंद्र सिंह नाम के एक BSF के जवान ने दहेज में मिले 11 लाख रुपये लौटा दिए और इसके बदले उन्होंने दुल्हन के माता-पिता से 11 रुपये और एक नारियल लिया। जितेंद्र के इस कदम के बाद से उनकी हार जगह तारीफ़ हो रही है। लोग उनके स्वाभिमान की प्रशंसा कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी लोग जितेंद्र की कहानी को शेयर कर रहे हैं।
जितेंद्र की दुल्हन कर रही हैं PhD
बता दें कि जितेंद्र की दुल्हन चंचल शेखावत LLB और LLM ग्रेजुएट हैं और PhD कर रही हैं। वहीं, जितेंद्र के माता-पिता का कहना है कि वो दुल्हन को आगे पढ़ाएँगे और बड़ा अफ़सर बनाएँगे।
दुल्हन के पिता की आँखों में आ गए आँसू
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, 08 नवंबर को शादी के दौरान जब चंचल के 59 वर्षीय पिता गोविंद सिंह शेखावत ने दूल्हे जितेंद्र को शगुन के तौर पर 11 लाख रुपये से भरा थाल सौंपा, तो दूल्हे ने हाथ जोड़ लिए। इसके बाद जितेंद्र ने पैसों से भरा थाल दुल्हन के पिता को वापस कर दिया। यह देखकर दुल्हन के पिता की आँखों में आँसू आ गए। आपको बता दें ऐसा आमतौर पर कम ही देखने को मिलता है।
मैं पैसे लौटाने पर घबरा गया था- दुल्हन के पिता
जितेंद्र ने कहा, "चंचल राजस्थान न्यायिक सेवा की तैयारी कर रही हैं। अगर वह मजिस्ट्रेट बन जाती हैं, तो मेरे परिवार के लिए ये पैसों से ज़्यादा मूल्यवान होगा।" वहीं, दुल्हन के पिता ने कहा, "जैसे ही पैसे वापिस लौटा दिए गए मैं घबरा गया था। मुझे शुरुआत में लगा कि दूल्हे का परिवार कहीं शादी की व्यवस्था से नाखुश तो नहीं हैं, लेकिन बाद में पता चला कि परिवार दहेज लेने के सख़्त ख़िलाफ़ था।"
कई सामाजिक बुराइयों का कारण है दहेज
जिस समाज में दहेज के बिना शादी नहीं होती है और दहेज न मिलने पर हत्या और प्रताड़ना तक के मामले देखने को मिलते हैं, उस समाज में जितेंद्र ने दहेज न लेकर मिसाल पेश की है। यक़ीनन अगर जितेंद्र और उनके परिवार जैसी सोच देश के सभी लोगों की हो जाए, तो लोग बेटी को बोझ समझना बंद कर देंगे और बेटियों की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी। दहेज अपने साथ कई सामाजिक बुराइयों को जन्म देता है।