स्कूलों में बूथ से खुराक के बाद सर्टिफिकेट तक, भारत में ऐसे लगाई जाएगी कोरोना वैक्सीन
कोरोना वायरस की वैक्सीन की तलाश अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। अब उम्मीद जगी है कि अगले कुछ हफ्तों में दुनिया के पास इस महामारी से बचाव का तरीका उपलब्ध होगा। ऐसे में वैक्सीन बनाने की रेस के साथ-साथ उसे लोगों तक पहुंचाने की कोशिशें भी शुरू हो गई है। भारत में सरकार ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी है। आइये, जानते हैं कि भारत में वैक्सीन आम लोगों तक कैसे पहुंचेगी।
खुराक देने के लिए इस प्रक्रिया पर हुई बातचीत
देश में वैक्सीन को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए एक विशेषज्ञ समूह काम कर रहा है। हाल ही में इसकी बैठक हुई थी। इसमें वैक्सीन की खुराक देने वाले लोगों को पहले SMS करना, हर खुराक के बाद QR कोड सर्टिफिकेट जनरेट करना और वैक्सीनेशन (टीकाकरण) के लिए चुनावों की तर्ज पर स्कूलों का इस्तेमाल करने समेत कई मुद्दों पर चर्चा हुई थी। इसका मकसद वैक्सीन उपलब्ध होने के बाद जल्द से जल्द उसे लोगों तक पहुंचाना है।
मौजूदा स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित नहीं रहेगा अभियान
इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया कि वैक्सीनेशन अभियान सिर्फ मौजूदा स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित नहीं रहेगा। इसमें चुनावी में मतदान बूथ की तर्ज पर स्कूलों को भी शामिल किया जाएगा। दरअसल, सरकार को उम्मीद है कि जुलाई तक उसे 20-25 करोड़ लोगों को देने के लिए कोरोना वैक्सीन की 40-50 करोड़ खुराकें मिल जाएंगी। इसे देखते हुए केंद्र ने राज्यों से उन लोगों के आंकड़े जुटाने शुरू कर दिए हैं, जिन्हें सबसे पहले खुराक दी जाएगी।
eVIN प्लेटफॉर्म में जोड़ा जाएगा नया फीचर
सूत्रों ने बताया कि वैक्सीन के स्टॉक पर डिजिटली नजर रखने के लिए तैयार किए गए स्वदेशी प्लेटफॉर्म eVIN (इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलीजेंस नेटवर्क) पर एक नया फीचर जोड़ने का फैसला किया गया है। यह फीचर वैक्सीन की खुराक लेने वाले लाभार्थी को ट्रैक करेगा।
SMS के जरिये दी जाएगी खुराक देने के समय और जगह की जानकारी
वैक्सीनेशन अभियान कई चरणों में चलाया जाएगा और इसमें लाभार्थियों को एक से ज्यादा खुराक दी जाएगी। ऐसे में खुराक देने का दिन और समय निश्चित करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म तैयार किया जा रहा है। इसकी मदद से लाभार्थी को तय शेड्यूल से पहले SMS मिल जाएगा कि उसे किस तारीख को कितने बजे और किस जगह पर वैक्सीन की खुराक दी जाएगी। इससे उसे भी समय से जानकारी मिल सकेगी और उसका डाटा भी स्टोर हो सकेगा।
खुराक के बाद मिलेगा डिजिटल सर्टिफिकेट
सूत्रों ने बताया कि एक बार जब किसी को खुराक दे दी जाएगी, उसके बाद अगर उसमें कोई साइड-इफेक्ट नजर नहीं आते हैं तो यह प्लेटफॉर्म एक QR आधारित डिजिटल सर्टिफिकेट जनरेट करेगा। इसे डिजिलॉकर में रखने का भी विकल्प मिलेगा।
इस तरह वितरित की जाएगी वैक्सीन
वैक्सीन उपलब्ध होने के बाद इसे 'विशेष कोरोना प्रतिरक्षण कार्यक्रम' के तहत वितरित किया जाएगा। इसमें केंद्र सरकार सीधे वैक्सीन खरीदेगी और आधिकारिक समूहों के जरिए प्राथमिक समूहों तक पहुंचाएगी। वैक्सीन राज्यों और जिलों के नेटवर्क के आधार पर प्राथमिक समूहों तक पहुंचाई जाएगी। सरकार ने राज्यों को अपने स्तर पर वैक्सीन की खरीद करने से मना किया है। वैक्सीनेशन के लिए चिकित्साकर्मियों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
प्राथमिक समूहों में किन लोगों को किया गया है शामिल?
केंद्र ने राज्यों की मदद से करीब 30 करोड़ प्राथमिकता समूहों के लोगों की पहचान की प्रक्रिया शुरू की है। प्राथमिकता समूहों को चार श्रेणियों में बांटा गया है। इसमें डॉक्टर, MBBS छात्र, नर्स और आशा कार्यकर्ता सहित एक करोड़ स्वास्थ्य पेशेवर, नगर निगमों के श्रमिकों, पुलिस और सशस्त्र बलों के कर्मियों सहित करीब दो करोड़ फ्रंटलाइन कार्यकर्ता, 50 साल से ऊपर के लोग और अन्य बीमारियों से ग्रसित 50 वर्ष से कम आयु के लोग शामिल हैं।