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    वैश्विक भूख सूचकांक में भारत 94वें स्थान पर, पाकिस्तान और नेपाल से पिछड़ा

    वैश्विक भूख सूचकांक में भारत 94वें स्थान पर, पाकिस्तान और नेपाल से पिछड़ा

    लेखन प्रमोद कुमार
    Oct 17, 2020
    12:46 pm

    क्या है खबर?

    वैश्विक भूख सूचकांक (ग्लोबल हंगर इंडेक्स) की इस साल की रिपोर्ट जारी हो गई है।

    रिपोर्ट में 107 देश शामिल किए गए हैं, जिनमें से भारत 94वें स्थान पर है। इसमें कहा गया है कि भूख के मामले में भारत 'गंभीर' स्थिति में है।

    2019 में भारत इस सूचकांक में 102वें और 2018 में 103वें नंबर पर था।

    इस साल भारत की रैंकिंग सुधरी है, लेकिन यह ध्यान रखना होगा कि रिपोर्ट में कुल देशों की संख्या कम हुई है।

    GHI

    वैश्विक भूख सूचकांक (GHI) क्या है?

    वैश्विक स्तर पर भूख का आकलन करने के लिए हर साल एक रिपोर्ट जारी की जाती है।

    इसे आयरलैंड की गैर लाभकारी संस्था कंसर्न वर्ल्डवाइड और बर्लिन स्थित वेल्थुरहिल्फे द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित किया जाता है।

    2018 में इस रिपोर्ट में 119, 2019 में 117 और इस साल 107 देश शामिल किए गए हैं।

    इसमें जिन देशों का स्कोर नीचे रहता है उनको ऊंची रैंकिंग मिलती हैं और ऊंचे स्कोर वाले देशों को निचली रैंकिंग पर रखा जाता है।

    GHI

    भारत की 14 फीसदी आबादी कुपोषित- रिपोर्ट

    यह सूचकांक चार मापदंडों पर आधारित होता है और इसमें पांच साल तक के बच्चों के स्वास्थ्य का मूल्यांकन किया जाता है।

    ये मापदंड- अल्प पोषण, वेस्टिंग (उम्र के अनुसार वजन में कमी), स्टंटिंग (उम्र के लिहाज से लंबाई में कमी) और शिशु मृत्युदर है।

    बतौर रिपोर्ट भारत की लगभग 14 प्रतिशत जनसंख्या कुपोषण का शिकार है और बच्चों में स्टंटिंग दर 37.4 प्रतिशत है। यानी इन बच्चों की लंबाई इनकी उम्र की तुलना में कम है।

    GHI रिपोर्ट

    भारत को 50 में 27.2 नंबर मिले

    भारत को इस साल 50 में से 27.2 नंबर मिले हैं। पिछले कुछ सालों से भारत के प्रदर्शन में सुधार आया है। 2000 में भारत को इस सूचकांक में 38.9, 2006 में 37.5 और 2012 में 29.3 अंक मिले थे।

    रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2000 से 2018 के बीच पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में कमी आई है। इसकी वजह निमोनिया और डायरिया से होने वाली मौतों पर लगाम लगना है।

    श्रेेणियां

    नंबरों के मायने क्या?

    भारत को पिछले साल इस रिपोर्ट में 30.3 अंक मिले थे, तब भी भारत 'गंभीर' स्थिति में था।

    दरअसल, रिपोर्ट में अंकों के आधार पर पांच श्रेणियां हैं। जिन देशों के अंक 9.9 से कम हैं, वहां भूख का स्तर निम्न है। 10-19.9 अंक वाले देशों में भूख का स्तर औसत है। 20-34.9 अंक वाले देश गंभीर और 35-49.9 अंक वाले देश खतरनाक श्रेणी में आते हैं।

    50 से ऊपर अंक वाले देशों में भूख का स्तर बेहद खतरनाक है।

    रैंकिंग

    सूचकांक में भारत का स्थान पाकिस्तान, नेपाल से भी पीछे

    94वीं रैंक के साथ इस सूचकांक में भारत का स्थान पाकिस्तान और नेपाल जैसे देशों से भी पीछे है। इंडोनेशिया सूचकांक में 70वें, नेपाल 73वें, बांग्लादेश 75वें और पाकिस्तान 88वें स्थान पर है।

    सूचकांक में भारत से पीछे रवांडा (97), नाइजीरिया (98), अफगानिस्तान (99), लीबिया (102), मोजाम्बिक (103), चाड (107) जैसे 13 देश शामिल हैं।

    यह रिपोर्ट आने के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भारत की रैंकिंग को लेकर सरकार पर निशाना साधा है।

    ट्विटर पोस्ट

    अपने 'मित्रों' की जेब भरने में लगी है सरकार- राहुल

    भारत का ग़रीब भूखा है क्योंकि सरकार सिर्फ़ अपने कुछ ख़ास ‘मित्रों’ की जेबें भरने में लगी है। pic.twitter.com/MMJHDo1ND6

    — Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 17, 2020

    महामारी का असर

    भूख मिटाने की लड़ाई में कोरोना बड़ी बाधा

    रिपोर्ट जारी करने वाली संस्था वेल्टहुंगरहिल्फे का कहना है कि अगर भूख मिटाने की लड़ाई इसी रफ्तार से चलती रही तो कम से कम 37 देश इस लक्ष्य को हासिल करने से चूक जाएंगे।

    इस लक्ष्य पर पहले से सेहत, जलवायु परिवर्तन और अर्थव्यवस्था से जुड़े संकट का गंभीर असर हो रहा है। अब करोना भी इसमें जुड़ गया है।

    संस्था की प्रमुख ने कहा कि कोरोना ने इस संकट में आगे भड़काने वाली चीज की तरह काम किया है।

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