भारत को कोरोना वायरस वैक्सीन 'स्पूतनिक वी' की 10 करोड़ खुराक बेचेगा रूस
भारत में तेजी से बढ़ते कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए लोगों की नजरें जल्द से जल्द एक कारगर वैक्सीन के आने पर टिकी हैं। इसी बीच एक बड़ी खबर सामने आई है। दुनिया में पहली कोरोना वायरस वैक्सीन 'स्पूतनिक वी' बनाने का दावा करने वाले रूस ने भारत को 10 करोड़ खुराक बेचने का निर्णय किया है। रूस के संप्रभु धन कोष (Sovereign Wealth Fund) ने बुधवार को इसकी घोषणा भी कर दी है।
पिछले महीने रूस ने लॉन्च की थी कोरोना वायरस की वैक्सीन
रूस ने हाल में 'स्पूतनिक वी' को रजिस्टर कराया है। 11 अगस्त को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसके पहली वैक्सीन होने की घोषणा की थी। इसका नाम सोवियत संघ द्वारा लॉन्च किए गए दुनिया के पहले उपग्रह के सम्मान में रखा गया है। इसे पहले स्वास्थ्यकर्मियों सहित अधिक जोखिम वाले लोगों को दिया जाएगा। इसका 40,000 से अधिक लोगों पर ट्रायल हो रहा है। इसे गामालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी ने RDIF के साथ मिलकर तैयार किया है।
भारत की डॉ रेड्डीज लेबोरेट्री को वैक्सीन बेचेगा रूस
TOI के अनुसार रूस के संप्रभु धन कोष की ओर से बुधवार को कहा कि रूस ने भारत की डॉ रेड्डीज लेबोरेट्री से वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल और विक्रय के लिए करार किया है। ऐसे में भारत में वैक्सीन के नियामक की मंजूरी मिलने के बाद रेड्डी लैब को 10 करोड़ खुराक भेजी जाएगी। उन्होंने कहा कि करार तो हो गया है, लेकिन वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल और वितरण दोनों ही भारत की नियामक मंजूरी पर निर्भर करता है।
वैक्सीन के नवंबर तक भारत पहुंचने की उम्मीद
रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (RDIF) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) किरिल दिमित्रीव ने एक बयान में कहा कि ट्रायल सफल रहा तो यह वैक्सीन नवंबर तक भारत में उपलब्ध हो जाएगी। उन्होंने कहा कि डॉ रेड्डीज की रूस में करीब 25 साल से कारोबारी मौजूदगी है और वह भारत की प्रमुख कंपनी है। उन्होंने दावा किया कि ह्यूमन एडीनोवायरस ड्यूल वेक्टर प्लेटफॉर्म पर आधारित रूसी वैक्सीन भारत में कोरोना से सुरक्षित लड़ाई में मदद करेगी।
20 देशों ने दिए वैक्सीन के लिए ऑर्डर
दिमित्रीव ने कहा कि 'स्पूतनिक वी' वैक्सीन की एक अरब खुराक के लिए कजाकिस्तान, ब्राजील और मैक्सिको सहित करीब 20 देशों से ऑर्डर मिल चुके हैं। रूस चार देशों में अपने सहयोगियों के साथ हर साल इसकी 50 करोड़ खुराकों का उत्पादन करेगा। उन्होंने कहा कि लैटिन अमेरिकी, पश्चिम व दक्षिणी एशियाई देशों ने इस वैक्सीन को खरीदने में रुचि दिखाई है और कई करार भी किए जा चुके हैं। ऐसे में वैक्सीन की मांग बढ़ती जा रही है।
रूस ने वैक्सीन के उत्पादन के लिए भारत से साझेदारी करने की जताई थी इच्छा
बता दें कि रूस ने वैक्सीन के उत्पादन के लिए भारत से साझेदारी करने की इच्छा जताई थी। इसके बाद भारत ने इस वैक्सीन को बनाने वाले गामालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडिमियोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी से वैक्सीन का पूरा डाटा मांगा था। जिसे रूस ने गत 6 सितंबर को भारत को सौंप दिया था। भारत में अधिकारी और विशेषज्ञ इसका विश्लेषण करने में जुटे हुए हैं। अब भारत में इसका तीसरे चरण का ट्रायल होगा।