कोरोना वायरस: दूसरी लहर से श्मशानों में लगा शवों का ढेर, दिनभर जल रही चिताएं
क्या है खबर?
देश में चल रही कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर ने श्मशान और कब्रिस्तानों में शवों के ढेर लगा दिए हैं।
एक तरफ अस्पतालों में मरीजों के उपचार के लिए बेड और ऑक्सीजन सिलेंडरों की कमी है, वहीं मौतों की संख्या बढ़ने से अधिकतर श्मशानों में 24 घंटे चिताएं जल रही हैं।
हालात यह है कि शवों के अंतिम संस्कार के लिए लोग कतारों में खड़े हैं और कई जगहों पर शवदाह गृहों की चिमनियां तक पिघल गई है।
हालात
दुनिया का दूसरा सबसे प्रभावित देश बना भारत
भारत में तेजी से बढ़ते संक्रमण का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है वह ब्राजील को पछाड़कर दुनिया दूसरा सबसे प्रभावित देश बन गया है।
भारत में पिछले 10 दिनों में संक्रमण के 13.70 लाख नए मामले सामने आए हैं। मंगलवार को भी देश में रिकॉर्ड 1,61,736 नए मामले सामने आए और 879 मरीजों की मौत हुई है।
इसके साथ संक्रमितों की कुल संख्या 1,36,89,453 हो गई है। इनमें से 1,71,058 की मौत हो गई और 12,64,698 सक्रिय मामले हैं।
जानकारी
शवों के जलने से निकलने वाले धुआं से बढ़ा खतरा
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार कई श्मशान घाटों में 24 घंटे चिताएं जल रही है। शवों के लगातार जलने और निकलने वाले धुआं के कारण एक और नया स्वास्थ्य खतरा सामने आ खड़ा हुआ है। स्थिति नियंत्रण में नहीं आई तो हालात खौफनाक हो सकते हैं।
अंतिम संस्कार
सूरत में प्रतिदिन जल रही हैं 100 चिताएं- सेलोर
गुजरात की औद्योगिक नगरी सूरत में एक श्मशान का संचालन करने वाले ट्रस्ट के अध्यक्ष कमलेश सेलोर ने द प्रिंट को बताया कि यहां पहले प्रतिदिन 15-20 शवों का अंतिम संस्कार किया जाता था, लेकिन पिछले एक सप्ताह से प्रतिदिन 80-100 शवों का अंतिम संस्कार हो रहा है।
उन्होंने कहा कि महामारी की शुरुआत के बाद श्मशान की क्षमता को दोगुना करने के बाद भी वर्तमान में अंतिम संस्कार के लिए लोगों की कतारें लग रही हैं।
बयान
"अंतिम संस्कार के लिए करना पड़ रहा है तीन घंटे तक इंतजार"
सेलोर ने कहा, "वर्तमान में श्मशान घाट 24 घंटे कार्यरत है और लगातार चिताएं जल रही है। परिवारों को अपने का अंतिम संस्कार करने के लिए दो से तीन घंटे तक का इंतजार करना पड़ रहा है। भटि्टयां तक जवाब देने लगी है।"
खतरा
लंबी कतार लगने से रहता है संक्रमण फैलने का खतरा- सेलोर
सेलोर ने कहा कि वह ना चाहकर भी लोगों को इंतजार कराने के लिए मजबूर है। दूसरी ओर कोरोना संक्रमितों की अंतिम संस्कार के दौरान श्मशान घाट में लोगों की भीड़ लगाना भी खतरे का कारण है। इससे संक्रमण फैलने का खतरा अधिक रहता है। ऐसे में शवदाह भटि्टयों को पूरी रफ्तार से चलाकर अंतिम संस्कार किए जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि लगातार अंतिम संस्कार होने से भटि्टयों के चिमनियां तक पिघलने लगी है।
दिल्ली
दिल्ली के श्मशानों में भी शवों की संख्या
दिल्ली और मुंबई में श्मशान और कब्रिस्तान संचालित करने वाली अंतिम यात्रा कंपनी की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) नम्रता सिंह ने बताया कि जनवरी और फरवरी में शवों की संख्या कम थी, लेकिन पिछले तीन सप्ताह में इसमें तेजी से उछाल आया है।
उन्होंने बताया कि दिल्ली में दो महीने पहले तक एक-दो शव आते थे, लेकिन अब इनकी संख्या बढ़कर 10 तक पहुंच गई है। दिल्ली में बढ़ते मामलों से इनमें और उछाल आने की संभावना है।
जानकारी
महापौर ने दिए लकड़ियों की मात्रा बढ़ाने के आदेश
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के महापौर जय प्रकाश ने श्मशानों में तेजी से बढ़ती शवों की संख्या को देखते हुए यमुना नदी के किनारे स्थित सबसे बड़े श्मशान घाट प्रशासन को अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियों की मात्रा बढ़ाने के आदेश दिए हैं।
मध्य प्रदेश
इंदौर में 12 दिन में 319 कोरोना संक्रमितों का अंतिम संस्कार
मध्य प्रदेश में भी हालात बेकाबू हैं। इंदौर के पांच श्मशान घाटों में पिछले 12 दिनों में 990 शवों का अंतिम संस्कार किया गया था। इनमें से 319 कोरोना संक्रमित थे।
भोपाल के भदभदा विश्राम घाट पर सोमवार को 41 संक्रमितों के शव पहुंचे। यहां अंतिम संस्कार के लिए जगह कम पड़ गई।
जबलपुर के चौहानी श्मशान घाट में सोमवार को 30 संक्रमितों के शवों का अंतिम संस्कार किया। अंतिम संस्कार के लिए लोगों को इंतजार करना पड़ रहा है।
हकीकत
देश में 30 प्रतिशत मौतें ही हैं चिकित्सकीय रूप से प्रमाणित
विशेषज्ञों के अनुसार देश में कोरोना संक्रमण से मरने वालों की संख्या की सही गणना नहीं हो रही है। महामारी की शुरुआत से ही इसका डाटा सही नहीं है। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में हुई मौतों को कोई रिकॉर्ड ही नहीं है।
विशेषज्ञों के अनुसार देशभर में केवल 20 से 30 प्रतिशत मौतें ही चिकित्सकीय रूप से प्रमाणित है। शेष मौतों के संबंध में कोई रिकॉर्ड नहीं है। ऐसे में सरकार को इसमें सुधार करना चाहिए।