अयोध्या विवाद: अगर मध्यस्थता असफल रही तो 25 जुलाई से हर रोज सुनवाई करेगी सुप्रीम कोर्ट
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद में बनाई गई मध्यस्थता समिति से एक हफ्ते के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
अगर इस रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि विवाद को मध्यस्थता से नहीं सुलझाया जा सकता तो मामले में सुप्रीम कोर्ट 25 जुलाई से रोज सुनवाई करेगा।
विवाद में एक पक्ष ने कोर्ट से अपील की थी कि मध्यस्थता के जरिए विवाद का समाधान नहीं निकल रहा है और इसलिए कोर्ट को खुद इस पर सुनवाई करनी चाहिए।
सुनवाई
निर्मोही अखाड़ा ने डाली जल्द सुनवाई करने की याचिका
अयोध्या विवाद में एक पक्ष निर्मोही अखाड़ा ने 9 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई करने को कहा था।
इसमें कहा गया था कि मध्यस्थता में बातचीत सही दिशा की तरफ नहीं जा रही हैं और कोई सकारात्मक परिणाम आना मुश्किल है।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को कोई भी सदस्य उनसे नहीं मिला है।
वहीं, मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध करते हुए प्रक्रिया ठीक चल रही है और ये उन्हें डराने की एक कोशिश है।
जानकारी
मध्यस्थता समिति की रिपोर्ट के बाद होगा अंतिम फैसला
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद कहा कि वह मध्यस्थता समिति की रिपोर्ट के बाद ही कुछ फैसला लेगा और इससे कोई परिणाम नहीं निकल रहा है तो 25 जुलाई से सुनवाई शुरू होगी।
सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आम सहमति से विवाद निपटाने का फैसला
बता दें कि 8 मार्च को हुई सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद को आम सहमति से सुलझाने को कहा था और तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति बनाई थी।
इस समिति में पूर्व न्यायाधीश फकीर मोहम्मद इब्राहिम खलीफुल्ला, 'आर्ट ऑफ लिविंग' के संस्थापक श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू को शामिल हैं।
खलीफुल्ला की अध्यक्षता वाली इस समिति को विवाद को 8 हफ्ते के अंदर सुलझाने को कहा था, जिसे बाद में बढ़ाकर 15 अगस्त कर दिया गया।
गोपनीयता
मध्यस्थता के दौरान रखी जा रही है पूरी गोपनीयता
मध्यस्थता समिति का गठन करने वक्त सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता प्रक्रिया में पूरी गोपनीयता बनाए रखने का आदेश दिया था।
इस दौरान मीडिया में इससे संबंधित कोई भी खबर लीक न करने की भी बात कही गई थीं।
कोर्ट ने मध्यस्थता की सारी बैठकें फैजाबाद में करने और उनकी वीडियो रिकॉर्डिंग करने का आदेश भी दिया था।
इस बीच खुद सुप्रीम कोर्ट खुद मध्यस्थता प्रक्रिया की निगरानी कर रहा है।
जानकारी
क्या है अयोध्या जमीन विवाद?
अयोध्या में जमीन का मुख्य विवाद 2.7 एकड़ जमीन को लेकर है। 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में इसे राम लला, निर्मोही अखड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड में बराबर बांटा था, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई है।