सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगी चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति की फाइलें
सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर सवाल खड़े करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने भी नियुक्तियों पर सवाल खड़े करते हुए केंद्र सरकार से चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति से संबंधित फाइलें दिखाने को कहा और सरकार को इसके लिए गुरुवार तक का समय दिया है। सरकार ने गोयल को 19 नवंबर को इस पद पर नियुक्त किया था और 21 नवंबर को उन्होंने कार्यभार संभाला था।
जानना चाहते हैं नियुक्ति के लिए अपनाई गई प्रक्रिया- सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस केएम जोसेफ की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा, "हम जानना चाहते हैं कि चुनाव आयुक्त गोयल की नियुक्ति के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई गई है। कहीं इसमें कोई गड़बड़ी तो नहीं हुई। अगर उनकी नियुक्ति कानूनी तौर पर की गई तो किसी को भी घबराने की जरूरत नहीं है।" इस दौरान पीठ ने केंद्र सरकार को गुरुवार तक गोयल की नियुक्ति से संबंधित फाइलें कोर्ट में जमा कराने का आदेश दिया।
अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने गोयल की नियुक्ति पर जताई थी आपत्ति
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के मामले सुनवाई के दौरान अधिवक्ता प्रशांत भूषण चुनाव आयुक्त गोयल की नियुक्ति पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों को ही चुनाव आयुक्त नियुक्त किया जाता है। गोयल सरकार में सचिव पद पर कार्यरत थे और उन्हें शुक्रवार को समय से पहले सेवानिवृत्ति मिल गई और रविवार को सरकार ने उन्हें चुनाव आयुक्त नियुक्त कर दिया। इस पर कोर्ट ने उनकी नियुक्ति से जुड़ी फाइलें मांग ली।
नियुक्ति से जुड़ी फाइलों को देखने पर AG ने जताई आपत्ति
गोयल की नियुक्ति से संबंधित फाइल को देखने की अदालत की इच्छा पर अटार्नी जनरल (AG) आर वेंकटरमणि ने आपत्ति जताई, लेकिन कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया। वेंकटरमणि ने कहा कि अदालत चुनाव आयुक्तों और मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) की नियुक्ति के बड़े मुद्दे से निपट रही है और वह अधिवक्ता प्रशांत भूषण के एक व्यक्तिगत मामले को नहीं देख सकती है। उन्होंने कहा कि उन्हें सुनवाई के बीच फाइल देखे जाने पर कड़ी आपत्ति है।
पंजाब कैडर के 1985 बैच के IAS अधिकारी हैं गोयल
गोयल पंजाब कैडर के 1985 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी हैं। उन्हें 31 दिसंबर को 60 साल की उम्र में सेवानिवृत्त होना था, लेकिन बीते शुक्रवार को उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। उसके बाद उन्हें चुनाव आयुक्त नियुक्त कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर खड़े किए थे सवाल?
मंगलवार को मामले में हुई सुनवाई में संविधान पीठ ने पूछा कि क्या चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए कोई तंत्र या प्रक्रिया है। इस पर AG वेंकटरमणि ने कहा था कि नियुक्ति परंपरा के आधार पर होती है। इसकी कोई अलग नियुक्ति प्रक्रिया नहीं है। वरिष्ठता के आधार पर मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की जाती है। इस पर पीठ ने कहा कि बिना प्रक्रिया के तो सरकार अपनी जी हुजूरी करने वालों को ही CEC नियुक्त करती होगी।
क्या प्रधानमंत्री के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है चुनाव आयुक्त?
संविधान पीठ ने कहा था कि जिस आयुक्त को सरकार ने नियुक्ति किया हो वह कैसे उसके खिलाफ काम कर सकता है। क्या कोई मुख्य चुनाव आयुक्त प्रधानमंत्री के खिलाफ शिकायत मिलने पर कार्रवाई कर सकता है। कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की कोई प्रक्रिया न होने से इस पर सवाल खड़े होते हैं। ऐसे में मुख्य न्यायाधीश (CJI) की अध्यक्षता में गठित कमेटी द्वारा ही आयुक्तों की नियुक्ति किया जाना सबसे अच्छा तरीका हो सकता है।
1990 से ही उठ रही चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में सुधार की मांग
संविधान पीठ ने कहा था कि हर सरकार जी हुजूरी करने वाले को ही चुनाव आयुक्त नियुक्त करती है। इससे सरकार को मनचाहा अधिकारी मिल जाता है और अधिकारी को नौकरी की सुरक्षा। पीठ ने कहा कि 1990 के बाद से चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति मे सुधार की मांग उठ रही है। वर्तमान में जो हालात बने हुए हैं, वो लोकतंत्र के लिए एक चेतावनी है। हालांकि, उन्हें पता है कि इस मामले में उन्हें सरकार का विरोध झेलना पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया टीएन शेषन का उदाहरण
सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व चुनाव आयुक्त टीएन शेषन को याद करते हुए कहा कि आज तक के इतिहास में शेषन ही ऐसे शख्स रहें हैं, जिन्होंने कुछ सुधार के प्रयास किए। आज के दौर में भी चुनाव आयुक्त के तौर पर शेषन जैसे अधिकारियों की जरूरत है। बता दें कि शेषन कैबिनेट सचिव रहे थे और उन्हें 12 दिसंबर, 1990 को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था। उन्होंने अपने छह साल के कार्यकाल में कई बड़े सुधार किए थे।