मणिपुर हिंसा: सुप्रीम कोर्ट ने 10 दिन में मांगी रिपोर्ट, विस्थापितों की स्थिति पर जताई चिंता
क्या है खबर?
मणिपुर हिंसा को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताते हुए पूछा कि हाई कोर्ट किसी समुदाय को जनजाति की सूची में शामिल करने का आदेश कैसे दे सकता है।
कोर्ट ने हिंसा के दौरान विस्थापित हुए लोगों के पुनर्वास के लिए जरूरी कदम उठाने का भी आदेश दिया। कोर्ट ने 10 दिन में स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी है।
अब इस मामले पर अगली सुनवाई 17 मई को होनी है।
सुनवाई
कोर्ट ने सरकार से मांगे जवाब
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से राज्य के हालात, हिंसा से प्रभावित लोगों के पुर्नवास, भोजन और मेडिकल सुविधाओं के बारे में पूछा।
राज्य में धार्मिक पूजा स्थलों और संपत्तियों को हुए नुकसान की भी जानकारी ली गई।
कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से पूछा कि विस्थापितों के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। उसने 10 दिन के भीतर स्टेटस रिपोर्ट दायर करने को कहा है।
केंद्र
मणिपुर में 2 दिन से नहीं हुई हिंसा- केंद्र
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राज्य में बीते दो दिन से कोई हिंसा नहीं हुई है और कर्फ्यू में ढील दी जा रही है।
मेहता ने कहा कि राज्य में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) की 55 और सेना की 100 से ज्यादा कंपनियां तैनात हैं।
मेहता ने कोर्ट को बताया कि राज्य में शांति के लिए लगातार चौकसी बरती जा रही है और हेलीकॉप्टर और ड्रोन से निगरानी रखी जा रही है।
मानवीय मुद्दा
सुप्रीम कोर्ट ने हालात को बताया मानवीय मुद्दा
सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर के हालात को मानवीय मुद्दा बताया।
कोर्ट ने कहा, "हमारी चिंता जान-माल के नुकसान को लेकर है। राहत शिविरों में उचित व्यवस्था की जानी चाहिए और वहां आश्रय लेने वाले लोगों को भोजन, राशन और चिकित्सा सुविधाओं जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए।"
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने कहा कि सरकार जो स्थिति सामान्य होने वाली बात कह रही है, ये सही नहीं है।
याचिका
3 याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट मणिपुर हिंसा से जुड़ी तीन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। इसमें से एक याचिका भाजपा के विधायक डिंगांगलुंग गंगमेई ने दायर की है। इसमें मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने संबंधी मणिपुर हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है।
एक जनहित याचिका मणिपुर ट्राइबल फोरम द्वारा दायर की गई है, जिसमें मणिपुरी आदिवासियों को सुरक्षित निकालने और जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) गठित करने की मांग की गई है।
हिंसा
क्या है मणिपुर में हिंसा का मामला?
राज्य में बीते बुधवार से हिंसा हो रही है। इसके पीछे की वजह गैर-आदिवासी मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने से जुड़ी है। मैतेई समुदाय खुद के लिए ST दर्जे की मांग कर रहा है।
मणिपुर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को इस मांग पर विचार करने को कहा था। इसके विरोध में आदिवासी समुदाय ने प्रदर्शन का आह्वान किया था, जिसके बाद राज्य के कई इलाकों में हिंसा भड़क उठी।