कोरोना वायरस: दिल्ली में कुछ भी सही नहीं है! मुख्यमंत्री केजरीवाल के दावों की खुली पोल
लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसके बाद भी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चाहते हैं कि जनता उन पर भरोसा रखे। इसके लिए वह बार-बार दावा कर रहे हैं कि दिल्ली में कोरोना से लड़ने के लिए पर्याप्त व्यवस्था है और दिल्ली को दूसरा न्यूयॉर्क नहीं बनने दिया जाएगा। दूसरी ओर अव्यवस्थाओं के चलते हो रही लोगों की मौत मुख्यमंत्री के दावों की पोल खोल रही है।
दावे के बाद भी मरीजों को नहीं मिल रहे पर्याप्त बेड
इसी सप्ताह मुख्यमंत्री केजरीवाल ने अस्पतालों में 4,000 से अधिक बेड खाली होने का दावा किया था। उन्होंने कहा था कि यदि किसी मरीज को बेड नहीं मिलेगा तो उसकी दूसरे अस्पताल में व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने लोगों को बेडों की जानकारी मुहैया कराने के लिए 'दिल्ली कोरोना' ऐप भी लॉन्च किया था, लेकिन ये सब दावे खोखले साबित हो रहे हैं। भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार ऐप पर जो दिखाया जा रहा है, हकीकत उससे कहीं दूर है।
अस्पताल के बाहर से महिला ने बीमार पिता के लिए मांगी मदद
एक टि्वटर यूजर अमरप्रीत कौर ने गुरुवार को एक भावुक ट्वीट करते हुए लिखा कि कोरोना वायरस से संक्रमित उनके पिता को तत्काल सहायता की आवश्यकता है। दिल्ली के लोक नायक अस्पताल के बाहर से उन्होंने लिखा कि अस्पताल प्रशासन उसके पिता को तेज बुखार और सांस की तकलीफ होने के बाद भी भर्ती नहीं कर रहा है। इसके एक घंटे बाद उनके पिता की मौत हो गई और अंत में उन्होंने लिखा कि उनके लिए सरकार विफल साबित हुई।
पिता की मृत्यु के बाद भी परिवार के अन्य सदस्यों की नहीं हो पाई जांच
कौर ने अपने परिवार के अन्य सदस्यों की भी कोरोना जांच कराने के लिए संघर्ष करना पड़ा। पिता की मौत से दुखी बेटी ने टि्वटर पर लिखा, 'हम सुबह से कोशिश कर रहे हैं। मेरी मां, भाई, भाभी और दो बच्चे। कृपया मदद करें।'
घटना को लेकर कौर के पति ने लिखा आर्टिकल
शासन की अव्यवस्था के कारण कौर के पिता की मौत होने के बाद उसके पति मनदीप सिंह ने एक आर्टिकल के जरिए घटना की जानकारी दी। उन्होंने आर्टिकल में लिखा कि गुरुवार की यह घटना एक बड़ी लापरवाही थी। उन्होंने लिखा कि उनके 67 वर्षीय ससुर दमा रोगी थे और 26 मई को बीमार हुए थे। परिवार ने डॉक्टर से ऑनलाइन परामर्श लिया और दवाइयां भी दी। इसके बाद बुखार होने पर डॉक्टर ने कोरोना टेस्ट कराने का सुझाव दिया।
मृतक ने कोरोना संक्रमित पाए जाने पर भी अस्पताल ने नहीं की मदद
सिंह ने बताया कि उनके ससुर के गत 31 मई को गंगा राम अस्पताल में कोरोना वायरस की जांच कराई थी। अगले दिन जांच में उनके कोरोना संक्रमण की पुष्टि हो गई। चौंकाने वाली बात यह है कि इसके बाद भी गंगा राम अस्पताल प्रशासन ने उनके परिवार से कोई संपर्क नहीं किया। परिवार द्वारा अस्पताल में कॉल करने पर भी कोई जवाब नहीं दिया गया। निराश होकर, परिवार ने मैक्स, अपोलो, एम्स और सफदरजंग अस्पतालों से संपर्क किया।
स्थिति बिगड़ने पर अस्पताल प्रशासन ने बेड देने से किया इनकार
सिंह ने बताया कि डॉक्टरों की सलाह पर उनके परिवार ने उनके ससुर को दवाइयां दे दीं। इस बीच परिवार ने हेल्पलाइन नंबर पर भी संपर्क किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। 3 जून को उनकी तबीयब अधिक बिगड़ी तो वह उन्हें कई अस्पतालों में लेकर गए, लेकिन वहां से उन्हें बेड नहीं होने की बात कहकर वापस भेज दिया। बाद में वह लोक नायक अस्पताल पहुंचे तो वहां उन्हें फिर से गंगाराम अस्पताल जाने के लिए बोल दिया गया।
ऑक्सीजन लगाए जाने तक हो चुकी थी मौत
सिंह ने अपने आर्टिकल में लिखा कि लोक नायक अस्पताल का डॉक्टर वहां से जा रहा था। परिवार ने उनके पैरों में गिरकर मदद की गुहार लगाई। इस पर करीब 15 मिनट बाद उन्हें ऑक्सीजन दी गई, लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी।
दिल्ली के अस्पतालों में इलाज नहीं मिलने पर ऋषिकेश में हुई 26 वर्षीय युवक की मौत
सिंह और कौर की तरह ही एक अन्य परिवार ने भी अपने अव्यवस्था के चलते अपने सदस्य को खो दिया। दिल्ली के कई अस्पतालों में इलाज नहीं मिलने के बाद 26 वर्षीय सलमान सुलेमानी का AIIMS ऋषिकेश में निधन हो गया। उसके पिता राशिद ने News18 को बताया कि सलमान को सांस लेने में तकलीफ थी। वो मालवीय नगर अस्पताल गए तो उन्हें चिंता नहीं करने की बात कही गई। अगले दिन वह मैक्स अस्पताल पहुंच गए।
अस्पतालों में चक्कर लगाने के दौरान बिगड़ी सलमान की तबीयत
इलाज के लिए प्रतिदिन 15,000 रुपये का खर्च बताने के बाद मैक्स अस्पताल ने उनके पास पर्याप्त सुविधाएं नहीं होने की बात कह दी। इसके बाद सलमान का परिवार उसे बत्रा अस्पताल ले गया, जहां उन्हें कोरोना वायरस के इलाज के लिए लाखों रुपये खर्च करने को कहा। यहां से वह RML अस्पताल गए, जहां उन्हें AIIMS और सफदरजंग अस्पताल जाने की सलाह दी गई। कहीं बात नहीं बनी तो वे AIIMS ऋषिकेश गए, लेकिन तब तक देर हो गई।
दिल्ली HC में सुनवाई से पहले हुई 80 वर्षीय बुजुर्ग की मौत
दिल्ली सरकार की व्यवस्थाओं में एक बार फिर उस समय खामी नजर आई, जब एक BPL परिवार के 80 वर्षीय व्यक्ति को अपने इलाज के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। उसने हाईकोर्ट में राज्य सरकार से उसे एक सार्वजनिक अस्पताल में वेंटिलेटर सुविधा के साथ बिस्तर दिलाने के लिए अपील की थी। गरीबी के कारण वह निजी अस्पताल का खर्च वहन नहीं कर सकता था। उसकी याचिका पर सुनवाई से एक दिन पहले ही उसकी मौत हो गई।
13 घंटे में चार अस्पतालों ने शुगर के मरीज को वापस भेजा
इस बीच, शुगर की बीमारी के कारण सांस फूलने की परेशानी से पीड़ित इंदर बजाज भी दिल्ली के चार अस्पतालों में बेड हासिल करने में असफल साबित हुए। सेंट स्टीफेंस अस्पताल और RML अस्पतालों ने कहा कि उनके पास बिस्तर नहीं थे, लेडी हार्डिंग अस्पताल ने कहा कि उनके पास ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं है और लोक नायक अस्पताल ने उन्हें बिना कोरोना जांच के भर्ती करने से इनकार कर दिया। आखिरकार उनकी जांच नहीं हुई।
कोरोना जांच में भी लापरवाही बरत रही है सरकार
दिल्ली सरकार जहां गंभीर रूप से बीमार मरीजों को अस्पतालों में बेड मुहैया कराने में असफल रही है, वहीं वह संदिग्ध मरीजों की कोरोना वायरस की जांच कराने में भी लापरवाही बरत रही है। रोहिणी निवासी वरुण वत्स ने फेसबुक पर लिखा कि उनके चचेरे भाई को 1 जून को कोरोना पॉजिटिव पाया गया था, तब से वह खुद की जांच कराने का भी प्रयास कर रहे हैं, लेकिन अधिकांश लैब जांच सुविधा बंद होने की बात कह रही हैं।
इन सब के बाद भी मुख्यमंत्री चाहते हैं कि जनता उन पर भरोसा करें
दिल्ली में कोरोना संक्रमितों की संख्या 25,004 पहुंच गई है और 659 लोगों की मौत हो चुकी है। यहां की मृत्यु दर तमिलनाडु से अधिक हैं, जहां 27,256 मामलों पर 223 की मौत हुई है। केजरीवाल ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा के बॉर्डर को सील कर दिल्ली के अस्पतालों को "भीड़ से बचा" लिया, लेकिन वह इन सब के बावजूद भी चाहते हैं कि लोग उन पर भरोसा करें, लेकिन इन हालातों ने लोगों के भरोसे को तोड़ दिया है।