
नफरती भाषण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को दिया कार्रवाई करने का आदेश
क्या है खबर?
नफरती भाषण मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सभी राज्यों को स्वतः संज्ञान लेकर मामले में कार्रवाई के आदेश दिए हैं। भले ही इसकी किसी की ओर से कोई शिकायत न की गई हो।
कोर्ट ने अपने 2022 के आदेश को राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों तक बढ़ाते हुए कहा, "भारत के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को बनाए रखने के लिए धर्म की परवाह किए बिना गलती करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करें।"
आदेश
क्या कहा कोर्ट ने?
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति केएम जोसेफ ने कहा कि नफरती भाषण राष्ट्र के ताने-बाने को प्रभावित करने वाला एक गंभीर अपराध है। उन्होंने आगे कहा कि ये हमारे गणतंत्र के दिल और लोगों की गरिमा को प्रभावित करता है।
कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई का निर्देश देते हुए कहा, "शीर्ष न्यायालय यह स्पष्ट करता है कि संविधान की प्रस्तावना में जैसी कल्पना की गई है, भारत के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को संरक्षित रखा जा सके, इसलिए तत्काल एक्शन लेना चाहिए।"
सुनवाई
धर्मनिरपेक्ष देश में धर्म के आधार पर नफरती अपराध की कोई गुंजाइश नहीं- कोर्ट
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "नफरती भाषण को लेकर आम सहमति बढ़ रही है और भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में धर्म के आधार पर नफरती अपराध की कोई गुंजाइश नहीं है। नफरती भाषण को लेकर कोई समझौता नहीं हो सकता है। अगर राज्य अभद्र भाषा की समस्या को स्वीकार करता है तभी उसका एक समाधान निकाला जा सकता है। अपने नागरिकों को ऐसे किसी भी घृणित अपराध से बचाना राज्य का प्राथमिक कर्तव्य है।"
अधिकार
पहले तीन राज्यों को था अधिकार
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश सिर्फ उत्तर प्रदेश, दिल्ली और उतराखंड सरकार को दिया गया था। ये राज्य ही स्वतः संज्ञान लेकर नफरती भाषण पर मामला दर्ज कर सकते हैं। लेकिन अब ये आदेश सभी राज्यों को दिया गया है।
मार्च, 2023 में हुई सुनवाई में कोर्ट ने इन राज्यों को चेतावनी दी थी कि इस 'अत्यंत गंभीर मुद्दे' पर कार्रवाई करने में प्रशासन की ओर से देरी पर अदालत की अवमानना कार्यवाही शुरू की जा सकती है।
कार्रवाई
क्या है मामला?
सुप्रीम कोर्ट याचिकाकर्ता शाहीन अब्दुल्ला की दाखिल अर्ज़ी पर सुनवाई कर रही है जिसने नफरती भाषण पर रोक लगाने की मांग की है। याचिका में कहा गया था सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी नफरती भाषण पर रोक नहीं लगी है। उन्होंने याचिका में कहा था कि हिंदू संगठन अब भी नफरती भाषण दे रहे हैं।
याचिका में उन्होंने महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की मांग की थी। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा था।