बिलकिस बानो मामला: सुप्रीम कोर्ट दोषियों की रिहाई के खिलाफ सुनवाई करने को तैयार हुआ
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट गैंगरेप पीड़िता बिलकिस बानो के मामले में 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ सुनवाई के लिए नई विशेष बेंच बनाने को तैयार हो गया है।
बिलकिस बानो की याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।
गौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों के दौरान गैंगरेप का शिकार हुईं बिलकिस बानो की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया था।
याचिका
बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में दोबारा दाखिल की थी याचिका
बिलकिस बानो ने अपनी वकील शोभा गुप्ता के जरिए मामले में दोषियों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दोबारा याचिका दाखिल की थी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से मामले की तत्काल सुनवाई की मांग भी की थी।
इस पर भारत के मुख्य न्यायधीश (CJI) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने बिलकिस बानो की याचिका को स्वीकार करते हुए मामले में जल्द से जल्द नई बेंच का गठन करने की बात कही।
केस
क्या है बिलकिस बानो गैंगरेप केस?
वर्ष 2002 में गोधरा में कारसेवकों से भरे ट्रेन के डिब्बे में लगी आग के बाद गुजरात में दंगे भड़क गए थे।
3 मार्च, 2002 को दाहोद के रंधिकपुर गांव में गुस्साए लोगों ने बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप किया गया था। उस समय वह 21 साल की थीं और 5 महीने की गर्भवती थीं।
दंगाइयों ने बिलकिस के परिवार के 14 सदस्यों की हत्या भी कर दी थी। मरने वालों में बिलकिस की 3 वर्षीय बेटी भी शामिल थी।
याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने पहले खारिज कर दी थी बिलकिस बानो की याचिका
बिलकिस बानो ने पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करते हुए गुजरात सरकार द्वारा दोषियों की रिहाई पर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा था कि मामले में रिहाई की नीति गुजरात सरकार की जगह महाराष्ट्र सरकार की लागू होनी चाहिए।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर में उनकी इस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसके बाद बिलकिस बानो की दोषियों को फिर से सजा दिलाने की उम्मीद लगभग खत्म हो गई थी।
रिहाई
पिछले साल स्वतंत्रता दिवस पर रिहा हुए थे सभी 11 दोषी
गुजरात सरकार ने 1992 की माफी नीति के तहत पिछले साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बिलकिस बानो गैंगरेप मामले के सभी 11 दोषियों को रिहा कर दिया था।
गुजरात सरकार ने रिहाई पर कहा था कि जेल में 14 साल पूरे होने और उम्र, जेल में बर्ताव और अपराध की प्रकृति जैसे कई कारणों के चलते दोषियों की सजा में छूट के आवेदन पर विचार किया गया था।
प्रक्रिया
किस प्रकिया के तहत हुई थी दोषियों की रिहाई?
बता दें कि मामले में दोषी राधेश्याम ने सुप्रीम कोर्ट में माफी के लिए याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की रिहाई पर फैसला करने का अधिकार गुजरात सरकार को दिया था।
उसके बाद गुजरात सरकार ने मामले में एक समिति का गठन किया था, जिसने सर्वसम्मति से सभी 11 दोषियों को रिहा करने की सिफारिश की थी। इस समिति में भाजपा के दो नेता भी शामिल थे।