आंध्र प्रदेश की जगन सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका, 3 राजधानी योजना फिर लटकी
आंध्र प्रदेश की 3 राजधानियां बनाने का मुख्यमंत्री जगन रेड्डी का सपना वर्तमान कार्यकाल में संभव होता नजर नहीं आ रहा है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर कानूनी विवाद को निपटाने के लिए दाखिल जगन सरकार की याचिका पर अप्रैल तक विचार करने से इनकार कर दिया। मार्च-अप्रैल में राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसके बाद नई सरकार बनेगी। ऐसे में नई सरकार ही इस मामले में कुछ कर पाएगी।
सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
3 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की बेंच ने 17 सितंबर, 2022 को राज्य सरकार द्वारा दायर एक विशेष अनुमति याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया। उसने कहा कि वह अप्रैल में दोनों पक्षों की दलीलें व्यापक तौर पर सुनने के बाद ही कोई फैसला देगा। याचिका में 3 मार्च, 2022 के हाई कोर्ट के एक फैसले को चुनौती दी गई है।
क्या है मामला?
दरअसल, जगन सरकार ने 3 राजधानियां बनाने के लिए 'आंध्र प्रदेश विकेंद्रीकरण और सभी क्षेत्रों के समावेशी विकास कानून, 2020' लाई थी। इसके तहत अमरावती (विधायी), विशाखापट्टनम (कार्यकारी) और कुरनूल (न्यायिक) राजधानी बनाने की योजना थी। अमरावती के किसानों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि उन्होंने अमरावती में राजधानी के विकास के लिए जमीन दी है और 3 राजधानी बनने से उन्हें नुकसान होगा। मार्च, 2022 में हाई कोर्ट ने किसानों के पक्ष में फैसला दिया।
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा था?
2022 में हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि सरकार अपनी मर्जी से 3 राजधानियां नहीं बना सकती। कोर्ट ने सरकार को अमरावती में चल रहे राजधानी निर्माण कार्य को 3 महीने में पूरा करने के भी निर्देश दिए थे। इस फैसले के बाद जगन सरकार ने 3 राजधानी के विधेयक को वापस ले लिया था। अब अमरावती ही राजधानी के तौर पर अकेला विकल्प रह गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से क्यों इनकार किया?
कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले में अमरावती के किसानों की दलीलें सुने बिना हाई कोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाएगा। कोर्ट ने किसानों को अपनी दलील पेश करने के लिए 4 हफ्ते का समय दिया है। राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि राज्य को अपनी राजधानी का स्थान तय करने का पूरा अधिकार है और आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम में ऐसा नहीं लिखा कि राजधानी केवल एक होनी चाहिए।
3 राजधानियां क्यों बनानी चाहती है जगन सरकार?
जगन सरकार की दलील है कि एक जगह राजधानी होने से सत्ता तो केंद्रित होती ही है, साथ ही विकास भी उसी इलाके में सिमटकर रह जाता है। अगर तीन राजधानियां होगी तो अलग-अलग इलाकों में विकास हो सकेगा। दूसरी तरफ अमरावती को राजधानी के तौर पर विकसित करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री और तेलुगु देशम पार्टी (TDP) चंद्रबाबू नायडू ने चेतावनी दी कि इससे करीब 50,000 करोड़ रुपये का निवेश वापस हो जाएगा और किसानों को परेशानी होगी।