पांच उप मुख्यमंत्रियों वाले आंध्र प्रदेश में तीन राजधानियां क्यों बनाना चाहती है जगनमोहन सरकार?
वाईएस जगन मोहन रेड्डी जब चुनाव जीतकर सत्ता में आए थे तो उन्होंने पांच उप मुख्यमंत्री बनाए थे। सोमवार को उनकी सरकार ने विधानसभा में राज्य की तीन राजधानियां बनाने का बिल पेश किया। इससे पहले ही इसका विरोध शुरू हो गया। सरकार ने सैंकड़ों विपक्षी नेताओं को हिरासत में ले लिया। इस विधेयक को हरी झंडी मिलने की सूरत में आंध्र प्रदेश देश का पहला राज्य होगा, जिसकी तीन राजधानियां होंगी। आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
कहां-कहां प्रस्तावित है राजधानियां?
आंध्र सरकार ने इस विधेयक के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है। इसके पहले दिन तीन राजधानी बनाने का प्रस्ताव पेश किया गया है। मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी चाहते हैं कि विशाखापट्टनम में कार्यकारी, अमरावती में विधायी और कर्नूल में न्यायिक राजधानी बने। यानी विधानसभा अमरावती में ही रहेगी, सेक्रेटेरियट विशाखापट्टनम और राज्य का हाई कोर्ट कर्नूल में होगा। बता दें कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के विभाजन के बाद हैदराबाद को प्रदेश की संयुक्त राजधानी बनाया गया था।
तीन राजधानियां क्यों बनाना चाहती है जगनमोहन सरकार?
आंध्र प्रदेश सरकार की दलील है कि एक जगह राजधानी होने से सत्ता तो केंद्रित होती ही है, साथ ही विकास भी उसी इलाके में सिमटकर रह जाता है। अगर तीन राजधानियां होगी तो अलग-अलग इलाकों में विकास हो सकेगा। वहीं तेलगू देशम पार्टी के एन चंद्रबाबू नायडू ने अपील की है कि राज्य की राजधानी को अमरावती से नहीं हटाएं। उन्होंने चेतावनी दी कि इससे करीब 50,000 करोड़ रुपये का निवेश वापस हो जाएगा और किसानों को परेशानी होगी।
अमरावती में जारी है नई राजधानी बनाने का काम
तेलंगाना के अलग राज्य बनने के बाद से पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू अमरावती का राजधानी बनाना चाहते थे। इसके लिए भारी मात्रा में निवेश किया गया था। जब तक अमरावती में चल रहा निर्माण कार्य पूरा हो पाता, उससे पहले राज्य में सरकार बदल गई। नायडू ने मौजूदा सरकार के तीन राजधानी बनाने के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब ज्यादातर निर्माण कार्य पूरा हो चुका है तो राजधानी बदलने का कोई मतलब नहीं है।
क्या है श्रीबाग समझौता, जिसे लागू करने की उठ रही मांग?
आंध्र प्रदेश का रायलसीमा क्षेत्र जलवायु परिस्थितियों, सिंचाई सुविधा की कमी और दूसरी वजहों से पिछड़ा हुआ है। इस इलाके में कर्नूल, कुडप्पा, अनंतपुर और चित्तूर आदि जिले आते हैं। दूसरी तरफ प्राकृतिक संसाधनों और सिंचाई की सुविधाओं के चलते तटीय इलाके तरक्की कर रहे हैं। इसके चलते श्रीबाग समझौते को लागू करने की मांग उठ रही थी। इसके तहत रायलसीमा और तटीय इलाके में से एक में राजधानी और दूसरे में हाई कोर्ट होने की बात कही गई थी।
राज्यों को चार हिस्सों में बांटने की सिफारिश
आंध्र प्रदेश सरकार ने जिस समिति को तीन राजधानियों का प्रस्ताव तैयार करने आदेश दिया था, उसने राज्य को चार हिस्सों में विभाजित करने की सिफारिश की है। इसके तहत राज्य के उत्तर हिस्से में श्रीकाकुलम, विशाखापट्टनम और विजयनगर, दक्षिण हिस्से में गुंटूर, नेल्लोर प्रकाशम, दक्षिण पश्चिम हिस्से में रायलसीमा के चार जिले और सेंटर में गोदावरी ईस्ट और वेस्ट जिले आएंगे। चारों हिस्सों के मुद्दे सुलझाने के लिए इनमें कमिश्नमरेट स्थापित किए जाएंगे।