
सुप्रीम कोर्ट यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी रोकने की याचिका पर सुनवाई करेगा
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी रोकने की याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया है। याचिका में तत्काल प्रभाव से निमिषा को बचाने के लिए राजनयिक हस्तक्षेप की मांग की गई है। याचिका 'सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल' नामक संगठन की ओर से दायर की गई है, जो निमिषा को बचाने के लिए अभियान चला रही है। निमिषा को यमनी नागरिक की हत्या के लिए 16 जुलाई को फांसी होगी।
याचिका
फांसी से 2 दिन पहले होगी सुनवाई
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रागेंथ बसंत ने गुरुवार को न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ के समक्ष मामला उठाया। उन्होंने फांसी की नजदीक आ रही तारीख को देखते हुए हालात की गंभीरता को बताया। उन्होंने बताया कि यमन की प्रथम अपीलीय कोर्ट ने निमिषा के लिए ब्लड-मनी का विकल्प खुला रखा है। वकील ने बताया कि मृतक के परिवार से बात कर निमिषा को बचाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट 14 जुलाई को सुनवाई करेगा।
हत्या
निमिषा ने 2016 में की थी यमन नागरिक की हत्या
निमिषा (38) केरल की निवासी हैं। नर्स की पढ़ाई के बाद निमिषा 2011 में यमन चली गई थीं। उन्होंने यमनी कानून के मुताबिक, 2015 में यमन नागरिक तलाल अब्दो मेहदी की साझेदारी में सना में क्लीनिक खोला था। बाद में मेहदी निमिषा को आर्थिक, शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न देने लगा और पासपोर्ट जब्त कर लिया। इससे तंग आकर निमिषा ने उसे 2016 में बेहोशी का ओवरडोज इंजेक्शन दे दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। निमिषा 2017 से जेल में हैं।
बचाव
क्या है ब्लड-मनी का विकल्प, जिससे बचेगी निमिषा की जान?
निमिषा की रिहाई तभी संभव है, जब मृतक मेहदी का परिवार ब्लड-मनी पर राजी हो। यमनी कानून के अनुसार, अगर पीड़ित परिवार ब्लड-मनी (मुआवजा) पर सहमत है, तो मृत्युदंड टल सकता है। यह शरिया के तहत कानूनी प्रावधान है। सेव निमिषा संस्था ने मेहदी के परिवार को "ब्लड-मनी" के तौर 1 करोड़ रुपये की पेशकश की है, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। विदेश मंत्रालय ने 2024 में वकील अब्दुल्ला अमीर को मध्यस्थता के लिए 19,871 डॉलर प्री-नेगोशिएशन फीस दी थी।