
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को सुप्रीम कोर्ट की समिति ने दोषी ठहराया, इस्तीफा दें या महाभियोग झेलें
क्या है खबर?
दिल्ली स्थित सरकारी आवास से बेहिसाब नकदी मिलने के बाद न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा मामले की जांच कर रही सुप्रीम कोर्ट की 3 सदस्यीय आंतरिक समिति ने उनको दोषी ठहराया है।
बार एंड बेंच के मुताबिक, समिति ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना को रिपोर्ट सौंप दी है और उनपर कई आरोप लगाए हैं।
न्यायमूर्ति वर्मा कोइस्तीफा देने या फिर महाभियोग की कार्रवाई का सामना करने को कहा गया है, जिसकी सिफारिश राष्ट्रपति से की जाएगी।
जांच
न्यायमूर्ति को जवाब देने के लिए शुक्रवार तक का समय
बताया जा रहा है कि CJI खन्ना ने उनसे पूछताछ की है और उन्हें पहला विकल्प इस्तीफे का दिया गया। अगर वह इस्तीफा देते हैं, तो यह अच्छा है। अगर वह ऐसा नहीं करते हैं, तो महाभियोग की सिफारिश करते हुए रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजी जाएगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायमूर्ति वर्मा को CJI को जवाब देने के लिए 9 मई तक समय दिया गया है।
समिति ने 25 मार्च को जांच शुरू कर 4 मई को रिपोर्ट दी थी।
घटना
क्या है मामला?
दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास के स्टोर रूम में 14 मार्च आग लग गई थी। उस समय न्यायमूर्ति वर्मा शहर में नहीं थे।
उनके परिवार ने अग्निशमन और पुलिस को बुलाया। आग बुझाने के बाद टीम को घर से भारी मात्रा में नकदी मिली थी।
इसकी जानकारी CJI संजीव खन्ना को हुई तो उन्होंने कॉलेजियम बैठक बुलाकर न्यायमूर्ति वर्मा का स्थानांतरण इलाहाबाद हाई कोर्ट कर दिया।
इसके बाद गहन जांच के आदेश दिए गए।
जानकारी
समिति में 3 वरिष्ठ न्यायधीश शामिल
समिति में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश अनु शिवरामन शामिल थे। सदस्यीय कमेटी का गठन 22 मार्च को हुआ था।