
भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को यमन में क्यों होगी फांसी, क्या भारत बचा सकेगा?
क्या है खबर?
केरल की रहने वाली 38 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को यमन में फांसी दी जाएगी। उनके ऊपर एक यमन नागरिक की हत्या का आरोप है। निमिषा को जून 2018 में स्थानीय कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था। पिछले साल यमन के राष्ट्रपति रशद अल-अलीमी ने भी मौत की सजा पर मुहर लगा दी। आइए जानते हैं निमिषा कौन हैं और उन्होंने यमन नागरिक की हत्या क्यों की?
पहचान
कौन हैं निमिषा प्रिया?
निमिषा केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली हैं। उनकी मां प्रेमा कुमारी कोच्चि में घरेलू कामगार हैं। नर्स की पढ़ाई करने के बाद निमिषा 2011 में यमन चली गई थीं और यहां 5 साल तक अस्पतालों में काम किया। 2014 में उनकी मुलाकात यमन नागरिक तलाल अब्दो मेहदी से हुई, जिसके बाद 2015 में उन्होंने मिलकर सना में एक क्लीनिक खोला। यमनी कानून के अनुसार, व्यवसाय शुरू करने के लिए स्थानीय व्यक्ति के साथ साझेदारी अनिवार्य है।
हत्या
निमिषा ने क्यों की हत्या?
निमिषा भारत में शादीशुदा हैं। यमन में उनके साथ उनके पति और बेटी भी थी, लेकिन 2014 में आर्थिक तंगी के कारण वे भारत लौट आए थे। मेहदी के साथ क्लीनिक खोलने के बाद निमिषा की जिंदगी पटरी पर आई, लेकिन मेहदी ने उसे परेशान करना शुरू कर दिया। उसे अपनी पत्नी बताने के लिए फर्जी दस्तावेज बनाए और पैसे मांगने लगा। उसने निमिषा का शारीरिक, मानसिक और वित्तीय शोषण किया। इसके बाद निमिषा ने पुलिस में शिकायत की।
हत्या
कैसे की महदी की हत्या?
निमिषा की शिकायत पर मेहदी को 2016 में जेल हुई, लेकिन वह छूट गया। इसके बाद वह निमिषा को और तंग करने लगा। उसने निमिषा का पासपोर्ट जब्त कर लिया। निमिषा ने पासपोर्ट पाने के लिए मेहदी को नशे का इंजेक्शन लगाया, लेकिन ओवरडोज से उसकी मौत हो गई। तब उसने अपने सहयोगी यमन नागरिक हनान के साथ मिलकर मेहदी के शरीर के टुकड़े कर पानी के टैंक में फेंक दिए। दोनों जेल में हैं। हनान को उम्रकैद हुई है।
माफी
क्या निमिषा को मिल सकती है माफी?
निमिषा की रिहाई तभी संभव है, जब मृतक मेहदी का परिवार ब्लड-मनी पर राजी हो। यमनी कानून के अनुसार, अगर पीड़ित परिवार ब्लड-मनी (मुआवजा) पर सहमत है, तो मृत्युदंड टल सकता है। 'सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल' ने मेहदी के परिवार को "ब्लड-मनी" के तौर करीब 1 करोड़ रुपये की पेशकश की है, जिसे प्रायोजक की मदद से जुटाया गया है। निमिषा की मां भी मेहदी के परिवार से मिल चुकी हैं।
कोशिश
भारत सरकार क्या कर रही है?
निमिषा की रिहाई में लगे सामाजिक कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम बस्करन बताते हैं कि फांसी 16 जुलाई को तय है, लेकिन अभी भी भारत सरकार हस्तक्षेप कर सकती है। विदेश मंत्रालय ने जुलाई, 2024 में वकील अब्दुल्ला अमीर को मध्यस्थता के लिए 19,871 डॉलर प्री-नेगोशिएशन फीस दी थी, लेकिन फिर भी बातचीत रुक गई। मंत्रालय ब्लड-मनी तो नहीं, लेकिन राजनयिक और कानूनी मदद दे रहा है, लेकिन मामला हूती विद्रोहियों के नियंत्रण वाले क्षेत्र में है, इसलिए राजनयिक हस्तक्षेप कमजोर है।