कोरोना वायरस: क्रिसमस से पहले शुरू हो सकती है फाइजर की वैक्सीन की डिलीवरी
फार्मा कंपनी फाइजर और बायोनटेक अमेरिका और यूरोप में अगले महीने अपनी कोरोना वायरस वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मिल सकती है। अगर सब कुछ सही रहा तो क्रिसमस से पहले इसकी डिलीवरी भी शुरू हो सकती है। बता दें, दोनों कंपनियों ने साथ मिलकर कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार की है, जो संक्रमण से बचाने में 95 प्रतिशत असरदार है। कंपनियों ने बताया कि इंसानी ट्रायल के दौरान वैक्सीन का कोई साइड-इफेक्ट देखने को नहीं मिला।
फाइजर ने किया वैक्सीन के 95 प्रतिशत असरकारक होने का दावा
फाइजर और उसकी सहयोगी जर्मनी की कंपनी बायोनटेक ने बुधवार को दावा किया कि इंसानी ट्रायल के तीसरे चरण के अंतिम विश्लेषण में सामने आया है कि उनकी वैक्सीन 95 प्रतिशत तक असरकारकर है। इसके साथ ही कंपनी ने यह भी दावा किया है कि वैक्सीन सुरक्षा मानकों पर खरी उतरी है। विश्लेषण में ये हर उम्र के लोगों के लिए कारगर पाई गई है। किसी भी वॉलेंटियर में कोई गंभीर सुरक्षा चिंता देखने को नहीं मिली है।
शुक्रवार को मंजूरी के लिए आवेदन करेगी कंपनी
बायोनटेक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) उगूर साहीन ने कहा कि अमेरिकी फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) दिसंबर के मध्य तक इस वैक्सीन को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दे सकता है। अमेरिका में मंजूरी के लिए शुक्रवार को आवेदन किया जाएगा। वहीं यूरोपीय नियामक संस्था दिसंबर अंत तक हरी झंडी दिखा सकता है। साहीन ने उम्मीद जताई कि अगर सब कुछ सही रहता है तो क्रिसमस तक वैक्सीन की डिलीवरी शुरू हो सकती है।
8-10 के बीच हो सकती है FDA की बैठक
सूत्रों के अनुसार, वैक्सीन पर मंजूरी को लेकर FDA 8-10 के बीच बैठक कर सकता है। FDA की तरफ से अभी तक इस पर आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है। इन तारीखों में बदलाव भी हो सकता है।
एक हफ्ते पहले आए थे शुरुआती नतीजे
फाइजर ने अंतिम विश्लेषण से लगभग एक हफ्ते पहले शुरुआती आंकड़ों के आधार पर नतीजों का ऐलान किया था। इसमें पता चला था कि यह वैक्सीन 90 प्रतिशत असरकारक है। अब कंपनी ने ट्रायल की दूसरी खुराक के परिणाम आने के बाद वैक्सीन के 95 प्रतिशत असरकारक होने का दावा किया है। दूसरी तरफ एक और अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना ने भी अपनी वैक्सीन के 94.5 प्रतिशत प्रभावी होने का दावा किया है।
इस साल 5 करोड़ खुराक बनाएगी कंपनी
फाइजर का कहना है कि यह साल वैक्सीन की पांच करोड़ खुराक का उत्पादन करेगी, जो 2.5 करोड़ लोगों को महामारी से बचाने के लिए पर्याप्त होगी। कंपनी अगले साल 130 करोड़ खुराकों का उत्पादन करेगी।
एक ही तकनीक पर आधारित है मॉडर्ना और फाइजर की वैक्सीन
जानकारी के लिए बता दें कि फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन एक ही तकनीक पर आधारित है। इन दोनों ही वैक्सीनों को बेहद नई mRNA तकनीक के जरिए बनाया गया है। इस तकनीक में वायरस के जिनोम का प्रयोग कर कृत्रिम RNA बनाया जाता है जो सेल्स में जाकर उन्हें कोरोना वायरस की स्पाइक प्रोटीन बनाने का निर्देश देता है। इन स्पाइक प्रोटीन की पहचान कर सेल्स कोरोना की एंटीबॉडीज बनाने लग जाती हैं।
भारत के लिए कौन सी वैक्सीन बेहतर?
चूंकि फाइजर और मॉडर्ना दोनों की शुरूआती खुराकें अमेरिका और यूरोपीय देशों को जानी हैं, इसलिए भारत के लिए निजी तौर पर उनका बहुत ज्यादा महत्व नहीं है। संभावनाओं के आधार पर भी बात करें तो भारत में अल्ट्रा-कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था नहीं है। इसलिए फाइजर की वैक्सीन का भारत में उपयोग काफी चुनौतीपूर्ण होगा। वहीं मॉडर्ना सामान्य फ्रीजर में भी सुऱक्षित रह सकती है। इसलिए जरूरत पड़ने पर इसका भारत में उपयोग किया जा सकता है।
दुनिया में महामारी की क्या स्थिति
वैक्सीन के लंबे होते इंतजार के बीच दुनिया में कोरोना वायरस का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक, दुनियाभर में अब तक 5.62 करोड़ लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से 13.48 लाख की मौत हुई है। सर्वाधिक प्रभावित अमेरिका में 1.15 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं और लगभग 2.50 लाख लोगों की मौत हुई है। यहां पिछले एक हफ्ते में 10 लाख से अधिक मामले सामने आए हैं।