केरल: सरकारी कर्मचारियों को देना होगा दहेज न लेने का घोषणापत्र
केरल में अब सभी सरकारी पुरुष कर्मचारियों को यह घोषणापत्र देना होगा कि जब उनकी शादी होगी तब वो दहेज नहीं लेंगे। शादी के एक महीने के भीतर यह घोषणापत्र देना होगा और इस पर कर्मचारी की पत्नी, पिता और ससुर के हस्ताक्षर होंगे। इसके लिए सभी विभागों को सर्कुलर भेज दिया गया है। राज्य में दहेज के लिए प्रताड़ित की गई महिलाओं की आत्महत्या के कई मामले सामने आने के बाद यह कदम उठाया गया है।
विभाग प्रमुखों को साल में दो बार देनी होगी रिपोर्ट
महिला और बाल विकास विभाग की निदेशक और दहेज राज्य की मुख्य दहेज निषेध अधिकारी अनुपमा टीवी ने सभी सरकारी विभागों के प्रमुखों को सर्कुलर भेजकर उनके कर्मचारियों से यह घोषणापत्र लेने को कहा है। सर्कुलर में कहा गया है कि दहेज की मांग करना आपराधिक कृत्य है। अब विभाग प्रमुखों को अब साल में दो बार जिला दहेज निषेध अधिकारी को इन घोषणापत्रों की रिपोर्ट भेजनी होगी। जो जानकारी नहीं देंगे, उनकी रिपोर्ट आगे भेजी जाएगी।
कड़ा किया गया है दहेज निषेध कानून
सर्कुलर में कहा गया है कि दहेज लेना और देना दंडनीय कृत्य है, जिसमें कम से कम पांच साल की सजा, 15,000 रुपये या दहेज की कीमत, जो भी ज्यादा हो, के बराबर जुर्माना हो सकता है। बता दें कि हाल ही में केरल सरकार ने दहेज से जुड़े कानून में बदलाव किया है। अब राज्य में जिला स्तर पर दहेज निषेध अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे। महिला और बाल विकास विभाग की निदेशक इनके प्रमुख के तौर पर काम करेगी।
26 नवंबर को मनाया जाएगा दहेज निषेध दिवस
केरल सरकार ने 26 नवंबर को दहेज निषेध दिवस के तौर पर मनाने का ऐलान किया है। इस दिन स्कूल और कॉलेजों में छात्रों को शपथ दिलाई जाएगी कि वो न तो कभी दहेज लेंगे और न ही कभी दहेज देंगे। बता दें कि केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने दहेज लेने और देने की प्रथा के खिलाफ जागरूकता पैदा करने के लिए विभिन्न गांधीवादी संगठनों के आह्वान पर एक दिन का अनशन भी किया था।
छात्रों से भी बॉन्ड साइन कराने का सुझाव
राज्यपाल ने केरल की यूनिवर्सिटीज के कुलपतियों को छात्रों से एक बॉन्ड पर हस्ताक्षर कराने का सुझाव दिया है, जिसमें लिखा जाएगा कि वे कभी दहेज स्वीकार नहीं करेंगे और न ही दहेज देंगे। ऐसा ही यूनिवर्सिटी में नियुक्त होने वाले कर्मचारियों से करवाया जाना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि दहेज प्रथा केवल महिलाओं से जुड़ा मामला नहीं है। यह एक मानवीय मुद्दा है। महिलाओं को नीचे लाने का मतलब समाज को नीचे लाना है।