उत्तर प्रदेश विधानसभा भर्ती में घोटाले की आशंका, हर 5वीं नौकरी VIP के करीबियों को मिली
उत्तर प्रदेश विधानसभा में 4 साल पहले हुई भर्तियों में कथित घोटाला सामने आया है। उत्तर प्रदेश विधानसभा और विधान परिषद में प्रशासनिक पदों पर होने वाली 186 नियुक्तियों के हुई इन भर्तियों के लिए 2.5 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। जिन लोगों का चयन हुआ है, उसमें से हर 5वां अभ्यर्थी किसी न किसी बड़े अधिकारी या नेता का करीबी है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी इसे घोटाला करार दिया है।
क्या है मामला?
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, 2020-21 में इन पदों के लिए 2 राउंड की परीक्षा हुई थी। हैरानी की बात है कि हर 5 में से एक पद पर उन अभ्यर्थियों को नौकरी मिली है, जो बड़े अधिकारी या नेता के रिश्तेदार हैं। इनमें कई अधिकारी ऐसे हैं, जिनकी निगरानी में ही ये परीक्षा आयोजित की गई थी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) जांच की अनुशंसा की है।
किन लोगों को मिली नौकरी?
रिपोर्ट के मुताबिक, तत्कालीन विधानसभा के अध्यक्ष के PRO और उनके भाई, एक मंत्री के भतीजे, विधानसभा परिषद सचिवालय प्रभारी का बेटा और 4 रिश्तेदार, संसदीय कार्य विभाग प्रभारी के बेटा और बेटी, उप लोकायुक्त का बेटा और 2 मुख्यमंत्रियों के पूर्व विशेष कार्याधिकारी के बेटे को नौकरी मिली है। इसके अलावा परीक्षा आयोजित कराने वाली 2 निजी कंपनी के मालिकों के रिश्तेदार को भी नौकरी मिली है। सभी को 2 सचिवालयों में नियुक्त किया गया था।
कैसे सामने आया मामला?
मामले में कई असफल अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर की थीं। सितंबर, 2023 में हाई कोर्ट ने 2 याचिकाओं को मिलाकर मामले को जनहित याचिका में बदलकर CBI जांच का आदेश दिया था। अक्टूबर, 2023 में हाई कोर्ट ने विधान परिषद द्वारा दायर समीक्षा याचिका को भी खारिज कर दिया था। इस बीच CBI ने प्रारंभिक जांच दर्ज कर कुछ दस्तावेजों को कब्जे में लिया। हालांकि, 13 अक्टूबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने जांच पर रोक लगा दी।
जमानत पर हैं परीक्षा कराने वाली एजेंसी के मालिक
भर्ती का ठेका सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम ब्रॉडकास्टिंग इंजीनियरिंग एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज (BECIL) को दिया गया था। इसने TR डाटा प्रोसेसिंग और राभव नामक 2 एजेंसियों से परीक्षा कराई थी। कोर्ट रिकॉर्ड से पता चलता है कि इन दोनों एजेंसियों के मालिकों को पहले एक अन्य भर्ती में कथित हेराफेरी के आरोप में जेल भेजा गया था। ये मामला अभी भी लंबित हैं और मालिक फिलहाल जमानत पर हैं।