रूसी सेना में भर्ती किए गए भारतीयों की रिहाई अटकी, जानिए क्या है कारण
रूस की सेना में धोखे से भर्ती किए गए भारतीयों की फिलहाल देश वापसी नहीं हो सकेगी। बताया जा रहा है कि सेना ने इनके अनुबंध को अभी तक रद्द नहीं किया है, इसलिए रिहाई में अड़चन आ गई है। बता दें कि करीब 70 भारतीय धोखे से रूस की सेना में भर्ती किए गए हैं और उन्हें यूक्रेन के साथ युद्ध लड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
क्यों हो रही देरी?
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, रूस के रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सैनिकों के अनुबंधों को रद्द करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की है। एक सूत्र ने कहा, "रूसी रक्षा मंत्रालय को अनुबंधों को रद्द करने का आदेश जारी करना है, लेकिन ऐसा अभी तक नहीं हुआ है।" दूसरे सूत्र ने कहा, "दूसरे देशों के नागरिकों के साथ अनुबंधों को रद्द करने के प्रभाव की आशंका के चलते देरी हो सकती है।"
रूसी सेना में कितने भारतीय है?
सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, कुल 91 भारतीयों को रूसी सेना में भर्ती किया गया था। इनमें से 15 वापस भारत लौट आए हैं और करीब 68 भारतीय अभी भी रूस की सेना में हैं। हालांकि, हाल ही में खबर आई थी कि 23 भारतीय नागरिकों को यूक्रेन के युद्ध क्षेत्र से निकालकर रूस के रोस्तोव शहर में वापस लाया गया है। यूक्रेन युद्ध में अब तक 2 भारतीय मारे भी गए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने उठाया था मुद्दा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी रूस यात्रा के दौरान इस मुद्दे को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ चर्चा के दौरान उठाया था। प्रधानमंत्री मोदी ने इस समस्या पर चिंता जताई थी, जिसके बाद राष्ट्रपति पुतिन ने भारतीय नागरिकों को वापस भेजने का आश्वासन दिया था। इससे पहले 4 जुलाई को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी इस मुद्दे पर अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ चर्चा की थी।
धोखे से सेना में भर्ती किए गए थे भारतीय
बता दें कि कुछ एजेंटों ने नौकरी के बहाने भारतीय को रूस ले जाकर उन्हें सेना में भर्ती कर युद्ध लड़ने पर मजबूर कर दिया है। इन लोगों को सेना सुरक्षा सहायक के नाम पर भर्ती किया गया था और थोड़े प्रशिक्षण के बाद युद्ध के मैदान में उतार दिया गया। हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस मामले पर विदेश मंत्री से मदद की अपील की थी। विदेश मंत्री ने भी संसद में मामले पर बयान दिया था।