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    देपसांग इलाके में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा चीन; भारत के लिए कितना बड़ा खतरा?
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    देश 1 मिनट में पढ़ें

    देपसांग इलाके में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा चीन; भारत के लिए कितना बड़ा खतरा?

    लेखन मुकुल तोमर
    Mar 03, 2021
    08:02 pm
    देपसांग इलाके में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा चीन; भारत के लिए कितना बड़ा खतरा?

    पैंगोंग झील इलाके में सेनाओं के पीछे हटने के बाद बनी तनाव घटने की उम्मीदों को चीन ने बड़ा झटका दिया है और वह अभी भी रणनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण देपसांग में अपनी स्थिति मजबूत करने में लगा हुआ है। चीन ने यहां भारतीय क्षेत्र में कुछ बड़े निर्माण भी किए हैं। आइए आपको देपसांग इलाके की रणनीतिक अहमियत बताते हुए समझाते हैं कि क्यों यहां चीन की उपस्थिति भारत के लिए एक बड़ा खतरा है।

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    सबसे पहले जानें कहां स्थित है देपसांग

    पूर्वी लद्दाख में 16,400 फुट की ऊंचाई पर स्थित देपसांग गलवान घाटी, हॉट स्प्रिंग और गोगरा आदि महत्वपूर्ण जगहों के ऊपर यानि उत्तर में स्थित है। इसका कुछ हिस्सा लद्दाख में है, वहीं कुछ हिस्सा चीन के कब्जे वाले अक्साई चिन में। जिस इलाके में देपसांग आता है, भारतीय सेना उसे सब-सेक्टर नॉर्थ (SSN) कहती है। यह पूरे इलाके में एकमात्र बड़ा मैदानी इलाका है और यहां पर आसानी से टैंक भी तैनात किए जा सकते हैं।

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    रणनीतिक तौर पर क्यों इतना महत्वपूर्ण है देपसांग?

    देपसांग का रणनीतिक महत्व इसके भौगोलिक स्थिति से पैदा होता है। इसके उत्तर में 18,000 फुट की ऊंचाई पर काराकोरम पास और पूर्व में अक्साई चिन स्थिति है और यह इन दोनों इलाकों के बीच में पड़ता है। काराकोरम में भारत के लद्दाख और चीन के जिनजियांग प्रांत की सीमाएं लगती हैं और जिनजियांग से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) जाने वाला चीन का हाईवे इसके पास से गुजरता है। काराकोरम में ही भारत के कब्जे वाला सियाचिन ग्लेशियर स्थित है।

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    बेहद महत्वपूर्ण है सियाचिन

    सियाचिन की चोटियों पर कब्जे के कारण भारतीय सेना पाकिस्तान और चीन दोनों पर नजर रख पाती है और काराकोरम पास पर उसका प्रभुत्व बना रहता है। सियाचिन पर भारतीय अधिकार के कारण चीन का जिनजियांग प्रांत और PoK आपस में नहीं मिल पाते हैं।

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    देपसांग में ही दौलत बेग ओल्डी का महत्वपूर्ण इलाका स्थित

    काराकोरम पास के पास देपसांग में दौलत बेग ओल्डी (DBO) भी स्थित है, जहां भारत की अंतिम पोस्ट है। भारत ने जहां हवाई पट्टी भी बना रखी है जो दुनिया की सबसे ऊंची हवाई पट्टी है। यह किसी भी संघर्ष या लड़ाई की स्थिति में भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इसके अलावा भारत ने लेह के दुरबुक से DBO तक एक सड़क भी बना रखी है जो काराकोरम पास को सीधे लेह से जोड़ती है।

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    देपसांग में चीनी प्रभुत्व से भारत को क्या खतरा?

    देपसांग में चीनी प्रभुत्व का मतलब है कि एक ही झटके में काराकोरम पास, सियाचिन और DBO पर भारत का नियंत्रण खतरे में आ जाएगा। जरूरत पड़ने पर चीन सियाचिन में तैनात भारतीय सैनिकों को पूरी तरह से काट सकता है। इसके अलावा वह DBO की सड़क को नुकसान पहुंचा कर DBO को भी काट सकता है। DBO के भारत के हाथ से जाने के बाद भारत के लिए काराकोरम पास और सियाचिन पर नियंत्रण बनाए रखना असंभव होगा।

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    देपसांग पर कब्जे से चीन के लिए लद्दाख में घुसना होगा आसान

    इसके अलावा अगर चीन अक्साई चिन से लद्दाख में घुसने की कोशिश करता है तो देपसांग से ऐसा करना उसके लिए सबसे आसान होगा। इन्हीं सब कारणों से भारत देपसांग को चीन के कब्जे में नहीं जाने दे सकता और चीनी सैनिकों की वापसी उसके लिए बेहद महत्वपूर्ण है। हालांकि, इलाके में अपनी स्थिति मजबूत करके चीन ने साफ कर दिया है कि वह पीछे हटने के मूड में नहीं है और यह भारत के लिए चिता का विषय है।

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