#NewsBytesExplainer: बिहार के लोग बड़ी संख्या में अन्य राज्यों में काम करने क्यों जाते हैं?
तमिलनाडु में बिहार के मजदूरों पर कथित हमलों की कई भ्रामक खबरें सामने आई हैं। पिछले कुछ दिनों में मजदूरों पर कथित हमलों के कई वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किए गए थे, जिसके बाद तमिलनाडु पुलिस ने कई लोगों के खिलाफ अफवाह फैलाने का केस दर्ज किया है। हजारों की संख्या में बिहार के लोग तमिलनाडु समेत कई अन्य राज्यों में काम कर रहे हैं। आइए जानते हैं कि इसके पीछे की वजह क्या है।
अधिक बेरोजगारी दर और आबादी
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के आंकड़ों के अनुसार, बिहार में फरवरी, 2023 में बेरोजगारी दर बढ़कर 12.3 प्रतिशत हो गई, जबकि राष्ट्रीय औसत सिर्फ 7.5 प्रतिशत था। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण बिहार का जनसंख्या के लिहाज से देश का तीसरा सबसे बड़ा राज्य होना है। हालांकि, बेरोजगारी दर की सूची में हरियाणा, राजस्थान और झारखंड जैसे राज्यों ने बिहार की तुलना में और अधिक खराब प्रदर्शन किया था।
गरीब राज्य
जब नीतीश कुमार ने 2005 में बिहार की सत्ता संभाली थी, तब राज्य में गरीबी दर 54.5 प्रतिशत थी और यह देश का सबसे गरीब राज्य था। तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गरीबी मिटाने का वादा किया था। हालांकि, उनके शासन के करीब 18 साल बीत जाने के बाद भी बिहार 51.9 प्रतिशत के साथ सबसे गरीब राज्य बना हुआ है। नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, बिहार की आधी से अधिक आबादी गरीबी रेखा से नीचे है।
संसाधनों की कमी
2000 में बिहार से अलग होकर झारखंड राज्य बना था। इस विभाजन के बाद बिहार के अधिकतर संसाधन झारखंड में चले गए। इनमें कोयला समेत अन्य कई खनिज शामिल हैं। इसके साथ ही अन्य भारी उद्योगों का एक एक बड़ा हिस्सा भी झारखंड के हिस्से में चला गया था। विभाजन के बाद से ही बिहार में खनिज संसाधनों की कमी के कारण भारी उद्योगों का विकास आज तक ठीक तरीके से नहीं हो पाया है।
शिक्षा की कमी
बिहार में काफी समय तक लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की सरकार थी। RJD के शासन पर 'जंगल राज' के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन इससे पहले भी बिहार की स्थिति कुछ अच्छी नहीं थी। बिहार जनसंख्या में उच्च वृद्धि के साथ-साथ अविकसित और अशिक्षित राज्य रहा और राज्य के लोगों को अच्छी शिक्षा नहीं मिल सकी, जिससे वह अच्छे क्षेत्रों में अपना भविष्य बना सकें।
नौकरियों की भारी कमी
विशेषज्ञों के मुताबिक, बिहार सरकार आज के दौर में लाखों बेरोजगार युवाओं को नौकरियां देने के लिए पहले से ही संघर्ष कर रही है। इसके बावजूद सरकार आगे आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को लेकर भी कुछ नहीं सोच रही है, जिन्हें भविष्य में पलायन करना पड़ सकता है। राज्य में नौकरियों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर पहले कदम उठाए जाते तो पलायन की स्थिति उत्पन्न नहीं होती।
बड़ा श्रम बल
बिहार में उत्तर प्रदेश की तरह औद्योगिक रूप से विकसित महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक के साथ-साथ कृषि प्रधान पंजाब और हरियाणा के लिए बड़ा मानव श्रम बल मौजूद है। बिहार के लोग अन्य राज्यों में कम पैसे मिलने के बावजूद काम करने के लिए तैयार रहते हैं क्योंकि बिहार में कोई काम नहीं मिलता। बिहार के कई लोग राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में होटलों पर काम करने से लेकर ऑटो रिक्शा चलाने तक का काम कर रहे हैं।
पंजाब की खेती बिहारी मजदूरों पर निर्भर
पंजाब का कृषि उद्योग आज भी काफी हद तक बिहार के हजारों मजदूरों पर निर्भर हैं। बठिंडा, अमृतसर, जालंधर और लुधियाना समेत अन्य शहरों में बिहार के मजदूर कम रुपये में खेतों में मजदूरी करने के साथ-साथ मवेशियों के बाड़े तक साफ करने के इच्छुक हैं। हालांकि, बिहार के ग्रामीण इलाकों में मजदूरी की बढ़ोतरी के कारण लोगों का पलायन कम हुआ है, लेकिन यह गिरावट मामूली ही रही है।