बेरोजगारी का बढ़ता संकट: मई-अगस्त के बीच देश में गई 66 लाख सफेदपोश पेशेवरों की नौकरियां
भारत में असंगठित क्षेत्र की तरह संगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को भी अपनी नौकरियां से हाथ धोना पड़ रहा है। लॉकडाउन लागू होने के बाद से देश के संगठित क्षेत्र में बेरोजगारी दर तेजी से बढ़ी है और लाखों लोगों की नौकरियां गई हैं। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के उपभोक्ता पिरामिड परिवार सर्वे में पता चला है कि मई से अगस्त से बीच 66 लाख सफेदपोश पेशेवर (व्हाइट कॉलर प्रोफेशनल्स) बेरोजगार हुए हैं।
ये काम करने वाले होते हैं सफेदपोश पेशेवर
सॉफ्टवेयर इंजीनियर, डॉक्टर, अध्यापक, अकाउंटेंट और विश्लेषक आदि का काम करने वाले लोग सफेदपोश पेशेवरों में गिने जाते हैं। सर्वे में पता चला है कि महामारी के कारण नौकरी गंवाने वाले वेतनभोगी लोगों में सबसे बड़ा हिस्सा इन्हीं का है। CMIE ने साफ किया है कि नौकरी गंवाने वाले सफेदपोश पेशेवरों में उन लोगों को शामिल नहीं किया गया है जो निजी स्तर पर प्रैक्टिस करते थे। पिछले कुछ महीनों से लगातर इस क्षेत्र में नौकरियां जा रही हैं।
रोजगार में 2016 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट
पिछले साल मई-अगस्त के बीच सबसे ज्यादा 1.88 करोड़ ऐसे पेशेवरों को नौकरियां मिली हुई थीं। यह अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा था। धीरे-धीरे इसमें गिरावट आनी शुरू हुई और इस साल जनवरी-अप्रैल के बीच इनकी संख्या घटकर 1.81 करोड़ रह गई। अब ताजा सर्वे में पता चला है कि इस साल मई-अगस्त के बीच नौकरी करने वाले सफेदपोश पेशेवरों की संख्या घटकर 1.22 करोड़ रह गई है। 2016 के बाद से यह सबसे बड़ी गिरावट है।
50 लाख औद्योगिक मजदूरों को भी धोना पड़ा नौकरी से हाथ
CMIE के सर्वे में कहा गया है कि पिछले चार सालों में रोजगार को लेकर जो बढ़ोतरी देखने को मिली थी, लॉकडाउन ने उस पर पानी फेर दिया है। सर्वे में बताया गया है कि लॉकडाउन के दिनों के दौरान औद्योगिक मजदूरों पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है। सफेदपोश पेशेवरों के बाद सबसे बड़ी संख्या में औद्योगिक मजदूरों को अपनी नौकरियां गंवानी पड़ी है। ऐसे लगभग 50 लाख मजदूरों को लॉकडाउन के कारण बेरोजगार होना पड़ा है।
छोटे उद्योगों के मजदूरों पर ज्यादा असर
CMIE ने कहा है कि लॉकडाउन के कारण सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों पर ज्यादा असर पड़ा था। इस वजह से इन्हीं उद्योगों के मजदूरों को सबसे ज्यादा नौकरियां गई हैं।
भारत में लगाया गया था सबसे सख्त लॉकडाउन
बता दें कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए भारत ने दुनिया का सबसे सख्त लॉकडाउन लगाया था और इसका अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर पड़ा है। अलग-अलग अनुमानों के मुताबिक, पिछले कुछ महीनों में देश में अलग-अलग क्षेत्रों में लाखों नौकरियां गई हैं। कई अर्थशास्त्रियों ने इस संकट के कारण मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की GDP विकास दर के अपने अनुमान घटा दिए हैं और दशकों में सबसे बुरी मंदी की चेतावनी दी है।