अब छोटे शहरों में भी मनरेगा के तहत मिलेगा रोजगार, सरकार ने तैयार की योजना
क्या है खबर?
कोरोना महामारी को रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन में शहरों से अपने घरों को लौटे लोगों को सरकार मनरेगा रोजगार कार्यक्रम के तहत गांवों में रोजगार मुहैया करा रही है। इसका लोगों को बड़ा लाभ मिला है।
इसको देखते हुए सरकार ने अब इस कार्यक्रम का विस्तार करने का निर्णय किया है।
इसके तहत अब देश के छोटे शहरों में मनरेगा के तहत कार्य कराए जाएंगे। इससे शहरी क्षेत्रों में बेरोजगार हुए लोगों को भी रोजगार मिल सकेगा।
काम
मनरेगा के तहत छोटे शहरों में 3,500 करोड़ के काम कराने की तैयारी
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के संयुक्त सचिव संजय कुमार ने बताया कि कोरोना महामारी में ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के तहत लोगों को काफी रोजगार मिला है। ऐसे में सरकार अब इस कार्यक्रम को छोटे शहरों में भी लागू करने की तैयारी कर रही है।
उन्होंने कहा कि शुरुआत में देश के छोटे शहरों में 3,500 करोड़ रुपये की लागत के कार्य कराए जाएंगे। इससे शहरी क्षेत्रों के हजारों लोगों को रोजगार मिल सकेगा।
कारण
छोटे शहरों में दिहाड़ी कामगारों को नहीं होती प्रशिक्षण की जरूरत
संयुक्त सचिव ने बताया कि सरकार ने मनरेगा रोजगार कार्यक्रम को छोटे शहरों में ही लागू करने की योजना इसलिए बनाई है कि वहां दिहाड़ी कामगारों को प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं होती है। ऐसे में उन्हें आसानी से रोजगार मुहैया कराया जा सकता है। इसके उलट बड़े शहरों में आमतौर पर प्रशिक्षित या अनुभवी कामगारों की जरूरत ज्यादा होती है।
उन्होंने कहा कि यदि यह योजना लागू होती है तो यह दुनिया का सबसे बड़ा रोजगार कार्यक्रम होगा।
व्यय
सरकार ने मनरेगा के तहत खर्च किया एक लाख करोड़ रुपये
संयुक्त सचिव ने बताया कि सरकार सरकार ने इस साल मनरेगा के तहत पहले ही एक लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इस योजना में ग्रामीण इलाकों के कामगार प्रति दिन कम से कम 202 रुपये पाते हैं और उन्हें साल में कम से कम 100 दिन रोजगार मिलता है।
शहरी इलाकों में इसे लागू किए जाने से कोरोना महामारी में बेरोजगार हुए लोगों को रोजगार मिल सकेगा। इस महामारी ने देश की अर्थव्यवस्था को भी धराशाही कर दिया है।
जानकारी
मनरेगा के तहत 27 करोड़ लोगों को मिला रोजगार
संयुक्त सचिव ने बताया कि मनरेगा के तहत गांवों में सार्वजनिक-निर्माण परियोजनाओं जैसे सड़क निर्माण, एनिकट खुलाई, ग्रवेल सड़क आदि कार्य कराए जाते हैं। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में अब तक करीब 27 करोड़ लोगों को रोजगार मुहैया कराया जा चुका है।
अध्ययन
कोरोना महामारी के कारण 12.1 करोड़ लोग हुए बेरोजगार
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के एक अध्ययन के अनुसार कोरोना महामारी के कारण शहरी इलाकों में लोगों पर बहुत ज्यादा असर डाला है। इससे कामगारों के लिए बेरोजगारी की समस्या आ गई है।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी प्राइवेट लिमिटेड की रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल में 12.1 करोड़ से ज्यादा लोग बेरोजगार हो गए।
इससे बेरोजगारी दर बढ़कर 23 प्रतिशत पर पहुंच गई है। हालांकि, अनलॉक के बाद इसमें गिरावट आ रही है।