इस 'DSP की पाठशाला' से निकले रहे टॉपर, गरीब छात्रों को देते हैं फ्री शिक्षा
क्या है खबर?
झारखंड में उप पुलिस अधीक्षक (DSP) विकास चंद्र श्रीवास्तव ने निशुल्क ऑनलाइन पाठशाला चलाकर झारखंड और पड़ोसी राज्य बिहार के युवाओं की जिंदगी में कामयाबी और उम्मीद की रोशनी बिखेर दी है, जिसकी अब हर जगह चर्चा भी हो रही है।
DSP इस कोचिंग के जरिए सैकड़ों गरीब और जरूरतमंद युवाओं को विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग देते हैं।
आइए पुलिस वाले इन गुरूजी की प्रेरणादायक कहानी जानते हैं।
परीक्षा
DSP की पाठशाला के 60 से अधिक छात्र पास कर चुके हैं BPSC, JPSC की परीक्षाएं
'DSP की पाठशाला' में पढ़ाई करने वाले 60 से ज्यादा छात्रों ने झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) और बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की तरफ से आयोजित विभिन्न परीक्षाओं में सफलता हासिल की है।
इसके अलावा पुलिस, कर्मचारी चयन आयोग और सार्जेंट समेत कई अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में भी उनके द्वारा पढ़ाए गए सफल छात्रों की संख्या 100 से ज्यादा है।
हाल ही में झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने उन्हें सम्मानित भी किया था।
चयन
JPSC में DSP की पाठशाला के 32 छात्रों का चयन
हाल ही में संपन्न हुई JPSC की 7वीं से लेकर 10वीं परीक्षा के फाइनल राउंड में सफल होने वाले 252 उम्मीदवारों में से 32 ने DSP श्रीवास्तव की तरफ से संचालित की जा रही 'DSP की पाठशाला' से ही पढ़ाई की थी।
श्रीवास्तव बताते हैं कि अब तक उनके 16 छात्र DSP और 25 प्रशासनिक सेवा और अन्य कैडर के लिए चुने जा चुके हैं। 2012 में दरोगा और सार्जेंट के पदों पर उनके 62 छात्रों को सफलता मिली थी।
JPSC
JPSC के तीसरे बैच की परीक्षा पास कर DSP बने थे विकास
बता दें कि विकास श्रीवास्तव हजारीबाग के रहने वाले हैं और वह 2012 में JPSC के तीसरे बैच की परीक्षा पास करने के बाद झारखंड पुलिस में DSP बने थे।
खुद प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के दौरान भी वे छात्रों को इतिहास और सामान्य ज्ञान पढ़ाया करते थे। जिस वर्ष उन्होंने राज्य सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल की, उसी वर्ष उनसे पढ़ने वाले छह अन्य छात्रों ने भी सफलता पाई थी।
समय
नौकरी के दौरान भी छात्रों को पढ़ाने का निकालते हैं समय
DSP के तौर पर नियुक्ति के बाद भी विकास के पढ़ाने का सिलसिला थमा नहीं है। रांची और देवघर में पोस्टिंग के दौरान भी वे कभी लाइब्रेरी तो कभी किसी स्कूल या कॉलेज में छात्रों को पढ़ाने पहुंच जाते थे।
उन्होंने कहा कि जब वो किसी गांव में किसी केस के सुपरविजन में जाते थे, तब भी उनकी कोशिश रहती थी कि वे कुछ समय छात्रों के साथ बिताएं और भविष्य के लिए उन्हें राह दिखाने की कोशिश करें।
यूट्यूब
लॉकडाउन के समय विकास ने शुरू किया अपना यूट्यूब चैनल
कोरोना वायरस महामारी के कारण लगे लॉकडाउन के दौरान जब शिक्षण गतिविधियां बंद हो गईं थीं, तब विकास ने 'जूम' पर ऑनलाइन कक्षाएं देना शुरू किया और इस दौरान सैकड़ों छात्र उनकी कक्षाओं से जुड़े।
जुलाई, 2021 में उन्होंने यूट्यूब पर 'DSP की पाठशाला' नाम का एक चैनल बनाया। इस पर वो हर हफ्ते चार से पांच दिन लाइव कक्षाएं लेते हैं, जिससे एक समय में 500 से 600 छात्र उनसे सीधे जुड़ते हैं।
आदर्श
दिवंगत पिता को अपना आदर्श मानते हैं विकास
47 वर्ष के विकास फिलहाल रांची में पुलिस के इन्वेस्टिगेशन ट्रेनिंग स्कूल में तैनात हैं।
वह अपने दिवंगत पिता अविनाश चंद्र श्रीवास्तव को अपना आदर्श मानते हैं जो कि हाईस्कूल में अध्यापक थे।
उन्होंने कहा, "पिताजी से मैंने सीखा कि हम समाज में रहकर ज्ञान सहित जो कुछ भी अर्जित करते हैं, उस पर सिर्फ हमारा निजी हक नहीं होता। हम में से हर व्यक्ति को अपने सामर्थ्य के हिसाब से समाज को कुछ देने की कोशिश करनी चाहिए।"