कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में बिहार के सामने ये हैं सबसे बड़ी चुनौतियां
क्या है खबर?
कोरोना वायरस महामारी के शुरूआती दिनों में बचे रहने के बाद अब बिहार में मामले बढ़ने लगे हैं। 1 जुलाई को यहां राज्य में 10,205 मामले थे, वहीं 29 मई तक ये लगभग चार गुना बढ़कर 45,919 हो गए हैं। इसके अलावा राज्य में कोरोना के संक्रमण से जो 273 मौतें हुई हैं, उनमें से 195 पिछले 27 दिन में हुई हैं।
महामारी से निपटने में राज्य सरकार के सामने पांच सबसे बड़ी चुनौतियां कौन सी हैं, आइए जानते हैं।
#1
टेस्ट पॉजिटिविटी रेट लगभग 7.5 प्रतिशत, टेस्ट बढ़ाने की जरूरत
बिहार में पहले 10,000 के मुकाबले अब रोजाना 14,000 टेस्ट किए जा रहे हैं, हालांकि टेस्टिंग को अभी और बढ़ाने की जरूरत है। राज्य में अभी तक मात्र 5.04 लाख टेस्ट किए गए हैं और इसके मुकाबले तमिलनाडु और महाराष्ट्र में क्रमशः 24.14 लाख और 19.25 लाख टेस्ट हुए हैं।
राज्य की टेस्ट पॉजिटिविटी रेट 22 जुलाई को 7.34 प्रतिशत थी और इसे पांच प्रतिशत से नीचे लाए जाने की जरूरत है।
#2
ऑक्सीजन सिलेंडर वाले बेडों की संख्या बढ़ाने की जरूरत
बिहार में ऑक्सीजन सिलंडेर वाले बेडों की संख्या भी बढ़ाने की जरूरत है। अभी राज्य में कोरोना वायरस के मरीजों के लिए 8,000 बेड हैं, जिनमें 5,000 बेड जल्द ही जोड़े जाएंगे।
हालांकि इसके बावजूद कोविड अस्पतालों पर मरीजों का बोझ कम नहीं हुआ है। दहशत के कारण लोग अपने घर पर ही ऑक्सीजन सिलेंडर जमा कर ले रहे हैं और पटना जैसे बड़े शहरों में ऑक्सीजन वाले बेडों की खास जरूरत है।
#3
वेंटीलेटर्स की कमी एक बड़ी चुनौती
वेंटीलेटर्स की कमी कोरोना वायरस के खिलाफ बिहार की लड़ाई में बड़ी अवरोधक है। ज्यादातर जिलों के सदर अस्पतालों में वेंटीलेटर्स नहीं हैं और कुछ इनके लिए निजी अस्पतालों पर निर्भर हैं।
कई जिलाधिकारियों ने सरकार से कम से कम 10 वेंटीलेटर्स प्रदान करने की मांग भी की है, हालांकि अभी तक इस मांग पर कोई सुनवाई नहीं हुई है। ऐसे में गंभीर स्थिति वाले मरीजों के इलाज में अस्पतालों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
#4
स्वास्थ्यकर्मियों की कमी पड़ सकती है भारी
कोरोना वायरस से लड़ने के लिए बिहार के अस्पतालों में स्वास्थ्यकर्मियों की कमी को पूरी करना भी एक बड़ी चुनौती है। हाल ही में पटना हाई कोर्ट ने कुल 11,645 में से 8,768 पदों पर डॉक्टरों की भर्ती नहीं करने के लिए राज्य सरकार की जमकर खिंचाई की थी।
इसी तरह ग्रेड 1 नर्सों के 4,704 पदों में से 2,710 खाली हैं। वहीं कॉन्ट्रेक्ट पर काम करने वाली नर्सों के 19,179 में से 18,871 पद खाली हैं।
#5
संक्रमण को ग्रामीण इलाकों में फैलने से रोकना जरूरी
देश के अन्य इलाकों की तरह बिहार में भी कोरोना वायरस मुख्य तौर पर शहरी इलाकों में फैला है और ग्रामीण इलाकों में इस फैलने से रोकना एक बड़ी चुनौती है।
राज्य के ज्यादातर गांवों में अभी तक कोई मामला सामने नहीं आया है, हालांकि गांवों में टेस्टिंग भी बेहद कम हो रही है। जिन कस्बों में मामले सामने आ रहे हैं, उनके आसपास के गांवों में केवल गंभीर मरीजों के टेस्ट किए जा रहे हैं।