किसान आंदोलन के प्रति समर्थन जुटाने के लिए पांच राज्यों का दौरा करेंगे राकेश टिकैत
तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन के प्रति समर्थन जुटाने के लिए किसान नेता राकेश टिकैत मार्च में पांच राज्यों का दौरा करेंगे। भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता और दिल्ली के बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन का प्रमुख चेहरा बन चुके टिकैत का ये दौरा 1 मार्च से शुरू होगा। वो इन राज्यों में किसान पंचायतों को संबोधित करेंगे। उनके संगठन की मीडिया इंचार्ज धर्मेंद्र मलिक ने यह जानकारी दी है।
क्यों आंदोलन कर रहे हैं किसान?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।
राजस्थान में होंगी दो किसान पंचायतें
मलिक ने बताया कि मार्च में उत्तराखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना में किसान पंचायत होगी। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में भी ऐसी पंचायतें आयोजित की जाएंगी। समाचार एजेंसी PTI से बात करते हुए उन्होंने कहा कि राजस्थान में दो और मध्य प्रदेश में तीन पंचायतें होंगी। कर्नाटक में भी 20, 21 और 22 मार्च को किसान पंचायतें होंगी। अगर तेलंगाना में मंजूरी मिलती है तो 6 मार्च को यहां भी पंचायत आयोजित होगी।
किसान संगठनों ने किया है रणनीति में बदलाव
गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से दिल्ली के बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के नेताओं ने अब अपनी रणनीति में बदलाव किया है। इसके तहत वो अलग-अलग राज्यों में जाकर किसान पंचायतें कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि वो ऐसा कर आंदोलन को गांव-गांव तक पहुंचाना चाहते हैं। बीते कुछ दिनों में हरियाणा, राजस्थान, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ऐसी कई पंचायतें हो चुकी हैं। इनमें विपक्षी नेता भी शामिल हो रहे हैं।
वर्तमान में यह है किसान आंदोलन की स्थिति
किसानों ने 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन शुरू किया था। उसके बाद सरकार और किसानों के बीच 11 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन उसमें कोई हल नहीं निकला। सरकार संशोधन को तैयार है, लेकिन किसान कानून रद्द कराने पर अड़े हैं। किसानों ने मांगों को लेकर 26 जनवरी ट्रैक्टर परेड निकाली थी, जिसमें जमकर हिंसा हुई। उसके बाद किसानों ने 6 फरवरी को चक्का जाम और 18 फरवरी को रेल रोको अभियान आयोजित किया था।