
राज्यसभा से पारित हुआ दिल्ली LG के अधिकार बढ़ाने वाला विधेयक, केजरीवाल बोले- संघर्ष जारी रहेगा
क्या है खबर?
दिल्ली में सरकार का मतलब उप राज्यपाल बताने वाला विधेयक लोकसभा के बाद बुधवार को राज्यसभा से भी पारित हो गया।
हालांकि, राज्यसभा में सरकार को इसके कड़े विरोध का सामना करना पड़ा और विपक्ष ने एकजुट होकर सरकार पर हमला बोला। राज्यसभा में 12 पार्टियों ने इस विधेयक के विरोध में आवाज उठाई।
वहीं सदन के बाहर दिल्ली सरकार इसका विरोध कर रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि उनका संघर्ष जारी रहेगा।
जानकारी
क्या हैं विधेयक के प्रावधान?
बुधवार को राज्यसभा ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र संशोधन विधेयक, 2021 पारित कर दिया।
इस विधेयक के अनुसार, दिल्ली में सरकार का मतलब 'उप राज्यपाल' होगा और विधानसभा से पारित किसी भी विधेयक को मंजूरी देने की पूरी ताकत उसके पास होगी।
यह विधेयक उन मामलों में भी उप राज्यपाल को विवेकाधीन शक्तियां प्रदान करता है, जहां कानून बनाने का अधिकार दिल्ली की चुनी हुई सरकार यानी विधानसभा को दिया गया है।
एकजुटता
विधेयक के विरोध में एकजुट दिखा विपक्ष
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, राज्यसभा में 12 और लोकसभा में नौ पार्टियों ने इस विधेयक का विरोध किया।
राज्यसभा में 14 पार्टियों के 16 विधायकों ने विधेयक पर बहस में हिस्सा लिया। इनमें से एकजुटता दिखाते हुए आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, बीजू जनता दल, समाजवादी पार्टी, CPI (M), शिवसेना, शिरोमणि अकाली दल, तेलुगू देशम पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और YSRCP ने विधेयक का विरोध किया।
बता दें कि YSRCP ने लोकसभा में इस विधेयक का समर्थन किया था।
विधेयक
लोकसभा में इन पार्टियों ने किया था विरोध
बहस के दौरान केवल भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टी RPI के सांसद ने विधेयक के पक्ष में दलील दी।
अंत में 45 के मुकाबले 83 वोटों से यह विधेयक पारित हो गया। हालांकि, इस दौरान कांग्रेस, YSRCP, बीजू जनता दल और AIADMK ने वॉकआउट किया था।
लोकसभा की बात करें तो आम आदमी पार्टी और बसपा समेत आठ पार्टियों ने विधेयक का विरोध किया था। इनमें कांग्रेस, IUML, नेशनल कॉन्फ्रेंस, शिवसेना और समाजवादी पार्टी शामिल हैं।
बहस
विपक्ष ने विधेयक के विरोध में क्या तर्क दिए?
बहस के दौरान दिल्ली में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा, "वोटर्स ने EVM में वोट डाला और सरकार चुनी। भले आप उस सरकार को पसंद न करें, लेकिन आपको उसे स्वीकार करना होगा। हमने भी आपको स्वीकार किया है क्योंकि यह लोकतंत्र की आवाज है।"
वहीं कांग्रेस सदस्यों ने इस विधेयक को संघवाद पर हमला बताते हुए असंवैधानिक ठहराया है। दूसरे विपक्षी दलों ने भी ऐसी ही दलीलें दीं।
प्रतिक्रिया
केजरीवाल बोले- संघर्ष जारी रहेगा
राज्यसभा में यह विधेयक पारित होने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे लोकतंत्र के लिए 'दुखद दिन' बताया। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि वो दोबारा लोगों को सत्ता सौंपने के लिए संघर्ष करते रहेंगे और तमाम बाधाओं के बावजूद अच्छे काम जारी रखेंगे।
वहीं उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इसे लोकतंत्र के लिए 'काला दिन' बताते हुए कहा कि दिल्ली की जनता इस तानाशाही के खिलाफ लड़ेगी।
जानकारी
विधेयक के किन बिंदुओं पर है विवाद
इस विधेयक को लेकर दिल्ली की केजरीवाल सरकार और केंद्र सरकार आमने-सामने है। केंद्र ने इस विधेयक का उद्देश्य दिल्ली की निर्वाचित सरकार और उप राज्यपाल (LG) के दायित्त्वों को और अधिक स्पष्ट करना बताया है तो वहीं आम आदमी पार्टी समेत विपक्ष का कहना है कि मोदी सरकार इसके जरिये पिछले दरवाजे से दिल्ली पर राज करना चाहती है।
इस विधेयक और इससे जुड़े विवाद के बारे में आप यहां टैप कर विस्तार से जान सकते हैं।