गुजरात: पिछले दो सालों में नवजात शिशु देखभाल इकाई में प्रतिदिन हुई 18 शिशुओं की मौत
देश में नवजाज शिशुओं की मृत्यु दर में कमी लाने के लिए जिला स्तर पर नवजाज शिशु देखभाल इकाई (SNCU) स्थापित करने के बाद भी शिशुओं की मौत नहीं थम रही है। अकेले गुजरात में ही पिछले दो सालों में इन SNCU में प्रतिदिन औसतन 18 शिशुओं की मौत हुई है। चौंकाने वाली बात यह है कि मौतों का सबसे अधिक आंकड़ा राज्य की राजधानी अहमदाबाद में रहा है। उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल बुधवार को विधानसभा में यह जानकारी दी है।
क्या होती है SNCU?
SNCU उन महत्वपूर्ण पहलों में से एक है जो भारत के नवजात शिशुओं के जीवन के शुरूआती दिनों को सुरक्षा का कवच प्रदान करती है। यूनिसेफ (UNICEF) और IKEA फाउंडेशन द्वारा समर्थित इस पहल में सभी जिला स्तर पर एक इकाई की स्थापना की गई है। जिसमें समय से पहले जन्मे, कम वजन, सांस लेने की परेशानी, पीलिया या निमोनिया जैसे बीमारियों से ग्रसित बच्चों का उपचार किया जाता है। इससे हजारों बच्चों का जीवन बचाया जा चुका है।
कांग्रेस विधायक ने विधानसभा में उठाया था नवजाज शिशुओं की मौत का सवाल
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार गुजरात विधानसभा में कांगेस विधायकों ने राज्य में संचालित SNCU में नवजात शिशुओं के उपचार की स्थिति और मौतों के संबंध में जानकारी मांगी थी। इसमें कांग्रेस विधायकों ने आरोप लगाया था कि SNCU में पर्याप्त सुविधाओं की कमी और चिकित्साकर्मियों की लापरवाही के कारण नवजात शिशुओं की मौतें बढ़ रही है। इस पर उपमुख्यमंत्री और चिकित्सा मंत्री नितिन पटेल ने विस्तार से जानकारी दी थी।
SNCU में दो सालों में हुई 13,496 शिशुओं की मौत
उपमुख्यमंत्री पटेल ने कहा कि राज्य में जिला स्तर पर संचालित SNCU में दिसंबर 2018 से दिसंबर 2020 तक कुल 13,496 शिशुओं की मौत हुई है। ऐसे में राज्य में प्रतिदिन औसतन 18 शिशुओं को नहीं बचाया जा सका है। उन्होंने कहा कि इस अवधि में सभी SNCU में कुल 1.06 लाख शिशुओं को उपचार के लिए भर्ती कराया गया था। इनमें से 92,500 से अधिक शिशुओं को उपचार के बाद स्वस्थ होने पर छुट्टी दी गई।
राजधानी अहमदाबाद में हुई सबसे अधिक शिशुओं की मौत
उपमुख्यमंत्री पटेल ने बताया कि राज्य में पिछले दो सालों में SNCU में सबसे अधिक 3,134 शिशुओं की मौतें राजधानी अहमदाबाद में हुई है। इसी तरह महिसागर, अरावली, बोटाद, आणंद, देवभूमि और द्वारका में किसी भी नवजात की मौत नहीं हुई है।
सरकारी अस्पतालों में जन्मे शिशुओं को अधिक पड़ी SNCU की जरूरत
उपमुख्यमंत्री पटेल ने बताया कि पिछले दो सालों में सरकारी अस्पतालों में जन्मे शिशुओं को सबसे अधिक SNCU में भर्ती कराने की जरूरत पड़ी है। उन्होंने कहा कि इस अवधि में सरकारी अस्पतालों में जन्मे 69,000 से अधिक शिशुओं को SNCU में भर्ती करया गया, जबकि अन्य निजी अस्पतालों में जन्मे 38,000 शिशुओं को ही SNCU की जरूरत पड़ी है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि कई निजी अस्पतालों में खुद की SNCU संचालित है।
नवजात शिशुओं की मौतों को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है सरकार
उपमुख्यमंत्री पटेल ने बताया कि सरकार SNCU में हो रही शिशुओं की मौतों को गंभीरता से ले रही है और शिशुओं को बचाने के लिए बेहतर प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने सदन को आश्वासन दिया कि सरकार नवजात शिशुओं की मौतों को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके चलते सरकार SNCU में डॉक्टरों और नर्सों के रिक्त पदों को भरने को प्राथमिकता दी है और जल्द से जल्द इन केंद्रों को आवश्यक चिकित्सा उपकरण भी कराए जाएंगे।