राजौरी मुठभेड़: शहीदों के घर मातम, बेटे का इंतजार करते रह गए कैप्टन शुभम के पिता
जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच जारी मुठभेड़ में भारतीय सेना के 2 अधिकारी और 3 जवान शहीद हुए हैं। शहीदों में आगरा के कैप्टन शुभम गुप्ता, उतराखंड के नैनीताल के लांस नाइक संजय बिष्ट, कर्नाटक के कैप्टन एमवी प्रांजल, जम्मू के पुंछ के हवलदार माजिद और एक जवान शामिल हैं। सर्च अभियान के दौरान आतंकियों ने इन सभी पर गोलीबारी की थी। अभी शुभम और बाकी जवानों के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
आगरा के DGCA के बेटे हैं शहीद कैप्टन शुभम गुप्ता
कैप्टन शुभम गुप्ता के पिता का नाम फौजदारी बसंत गुप्ता है, जो आगरा के जिला शासकीय अधिवक्ता (DGCA ) हैं। शुभम ने अपनी शिक्षा सेंट जॉर्ज कॉलेज से पूरी की है। 12वीं के बाद वह सेना में भर्ती की परीक्षा में शामिल हुए थे और 2017 में बतौर लेफ्टिनेंट पास आउट करने के बाद जम्मू में उनकी तैनाती हुई थी। शुभम 9 पैरा स्पेशल फोर्स में कैप्टन थे। सुबह पहले उनके घायल होने की सूचना आई थी।
शुभम गुप्ता के पिता ने कहा- 2 दिन पहले बात करके कहा था जल्द आऊंगा
शहीद शुभम गुप्ता के पिता बसंत गुप्ता ने बताया, "2 दिन पहले ही बेटे से फोन पर बात हुई थी। उस वक्त उसने कहा था कि कुछ काम बाकी है, उसे पूरा करके जल्द घर वापस आऊंगा। 2 दिन बाद ही छुट्टी पर आने वाला था। पिछले 15 दिनों से यही बात कह रहा था कि एक काम है, उसे करके आ रहा हूं।" उन्होंने बताया कि घरवाले इस वर्ष उसकी शादी की तैयारी कर रहे थे।
पिता बोले- मुझे बेटे पर गर्व है
शुभम के पिता बसंत गुप्ता ने कहा कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व हैं और उसने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है। दूसरी तरफ शुभम के भाई ने बताया, "9 अक्टूबर को उसका जन्मदिन था। उस दिन पूरा परिवार इकट्ठा हुआ था। होटल में केक काटा गया था। सभी ने उन्हें जन्मदिन की बधाई दी थी और लंबी उम्र की कामना की थी। उसे कंधे पर बैठाकर खूब डांस किया था।"
शहीद संजय बिष्ट के परिवार में मचा कोहराम
आतंकियों के साथ मुठभेड़ में उत्तराखंड के नैनीताल के संजय बिष्ट भी शहीद हुए हैं। सैन्य अधिकारियों ने जब यह खबर परिवार को दी तो जवान बेटे की शहादत से पूरे परिवार में कोहराम मच गया। संजय को भारतीय सेना में 12 साल हो गए थे। उनके पिता दीवान सिंह बिष्ट रातीघाट में दुकान चलाने के साथ-साथ पोस्ट ऑफिस का काम करते हैं। संजय अपने पीछे अपने मां-बाप और बड़े भाई को रोता हुआ छोड़ गए हैं।
कर्नाटक के कैप्टन एमवी प्रांजल का पार्थिव शरीर आज बेंगलुरु लाया जाएगा
शहीद कैप्टन एमवी प्रांजल का पार्थिव शरीर आज बेंगलुरु लाया जाएगा। प्रांजल 63 राष्ट्रीय राइफल्स से थे और मैसूर के रहने वाले थे। 29 वर्षीय कैप्टन प्रांजल का जन्म और पालन-पोषण कर्नाटक के मंगलुरु में हुआ था। उनके पिता एम वेंकटेश 'मंगलुरु रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड' (MRPL) के सेवानिवृत्त निदेशक हैं। प्रांजल ने अपनी स्कूली शिक्षा दक्षिण कन्नड़ जिले के सूरतकल में प्राप्त की थी। वह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से इंजीनियरिंग स्नातक थे।
राजौरी में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच बुधवार से मुठभेड़ जारी
बता दें कि जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच बुधवार से भीषण मुठभेड़ जारी है। सुरक्षाबलों को बुधवार सुबह 9 बजे इलाके के जंगलों में आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिली थी। सेना के सर्च अभियान के दौरान आतंकियों ने फायरिंग कर दी, जिसमें 5 जवान मारे गए। मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने भी लश्कर-ए-तैयबा के टॉप कमांडर सहित 2 आतंकियों को ढेर कर दिया है।