NIA कोर्ट ने टेरर फंडिंग मामले में अलगाववादी नेता यासीन मलिक को सुनाई उम्रकैद की सजा
क्या है खबर?
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की विशेष अदालत ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता और जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) प्रमुख यासीन मलिक को टेरर फंडिंग (आतंकवाद के लिए वित्तपोषण) के दो मामलों में उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके अलावा कोर्ट ने उन पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
इससे पहले कोर्ट ने 19 मई को मलिक को दोषी करार दिया था और सजा पर बहस के लिए 25 मई का दिन निर्धारित किया था।
सजा
दो मामलों में उम्रकैद तो चार मामलों में मिली 10-10 साल की सजा
विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने शाम को मलिक की सजा का ऐलान करते हुए उन्हें UAPA की धारा 17 (आतंकवादी गतिवधि के लिए धन जुटाने) और IPC की धारा 121 (सरकार के खिलाफ युद्ध) के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई।
इसी तरह धारा 120B, 121A, UAPA की धारा 15 और 18 के तहत 10-10 साल तथा UAPA की धारा 13 और 38-39 में पांच-पांच साल की सजा और कुल 10.70 लाख का आर्थिक जुर्माना लगाया है।
सजा
NIA ने की थी सजा-ए-मौत की मांग
इससे पहले दोपहर करीब 12 बजे दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में मलिक की सजा की अवधि पर बहस हुई। इसमें NIA ने मलिक को सजा-ए-मौत देने की मांग की थी।
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद दोपहर 03:30 बजे सजा का ऐलान करने की बात कही।
सजा पर बहस के लिए मलिक को भारी सुरक्षा के बीच कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट में सिर्फ मामले से संबंधित वकीलों को ही रुकने की अनुमति दी गई।
बयान
सजा पर कुछ नहीं बोलूंगा- मलिक
सजा पर बहस पूरी होने के बाद मलिक ने कहा कि पिछले 28 वर्षों में अगर वह किसी आतंकी गतिविधि या हिंसा में शामिल रहा हैं और भारतीय खुफिया एजेंसी साबित कर दे तो वह राजनीति से संन्यास ले लेगा और फांसी मंजूर कर लेगा। उन्होंने भी सात प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया है।
इसी तरह सजा-ए-मौत के सवाल पर उन्होंने कहा वह इस पर कुछ नहीं बोलेंगे। मामला कोर्ट में है और वह इसका फैसला कोर्ट पर छोड़ते हैं।
जानकारी
सजा के ऐलान से पहले बढ़ाई कोर्ट की सुरक्षा
इधर, कोर्ट ने पहले 03:30 बजे सजा सुनाने की बात कही थी, लेकिन बाद में समय आगे बढ़ा दिया गया। इस बीच कोर्ट की सुरक्षा बढ़ा दी गई और डॉग स्क्वॉयड के जरिए जांच कराई गई। कोर्ट के बाहर सादा वर्दी में पुलिसकर्मी तैनात रहे।
पथराव
सजा के ऐलान के बाद श्रीनगर में सुरक्षा बलों पर पथराव
कोर्ट के सजा का ऐलान करने के कुछ ही देर बाद श्रीनगर के मैसुमा में मलिक के घर बाहर उनके समर्थकों ने सुरक्षा बलों पर पथराव कर दिया।
इस दौरान समर्थकों ने मलिक के समर्थन में नारे भी लगाए। बाद में सुरक्षा बलों ने उग्र भीड़ को खदेड़ने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले भी दागे।
क्षेत्र के तनावपूर्ण हालातों को देखते हुए मौके पर भारी पुलिस बल और सेना के जवानों को तैनात किया गया है।
एहतियात
सेना और पुलिस ने बंद कराया श्रीनगर शहर
इधर, मलिक की सजा के ऐलान को देखते हुए सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एहतियात के तौर पर श्रीनगर शहर को पूरी तरह से बंद करा दिया। सेना और पुलिस को अंदेशा था कि मलिक की सजा के ऐलान के बाद क्षेत्र में हिंसा या उपद्रव जैसी घटना हो सकती है।
ऐसे में सेना और पुलिस के जवानों ने श्रीनगर के बाजारों को बंद कराते हुए इंटरनेट सेवा को भी अस्थायी रूप से बंद कराया है।
पृष्ठभूमि
मलिक ने 10 मई को कुबूल किया था गुनाह
बता दें कि कश्मीर में अशांति का माहौल बनाने के लिए टेरर फंडिंग करने के आरोपित मलिक ने 10 मई को पटियाला हाउस कोर्ट में अपना गुनाह स्वीकार कर लिया था।
मलिक ने कोर्ट में कहा था कि वह खुद पर लगे टेरर फंडिंग, आतंकी समूह का सदस्य होने, साजिश रचने और और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के आरोप से इनकार नहीं करते हैं।
बता दें यह मामला 2017 में कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववादी गतिविधियों से जुड़ा है।
गुनाह
मलिक को इन गुनाहों की मिली है सजा
बता दें कि NIA ने मलिक के खिलाफ UAPA की धारा 16 (आतंकवादी गतिविधि), धारा 17 (आतंकवादी गतिवधि के लिए धन जुटाने), धारा 18 (आतंकवादी गतिविधियों की साजिश रचने) और धारा 20 (आतंकवादी समूह या संगठन का सदस्य होने) तथा भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120-B (आपराधिक साजिश) और 124-A (राजद्रोह) के तहत चार्जशीट पेश की थी।
मलिक ने आरोपों को चुनौती देने से इनकार किया था। इसके बाद कोर्ट ने सभी आरोपों में दोषी ठहराया था।
अन्य
मामले में इन पर भी तय किए गए थे आरोप
बता दें कि टेरर फंडिंग मामले में कोर्ट ने फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, शब्बीर शाह, मसर्रत आलम, मोहम्मद यूसुफ शाह, आफताब अहमद शाह, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान, मोहम्मद अकबर खांडे, राजा मेहराजुद्दीन कलवाल सहित 20 कश्मीरी अलगाववादी नेताओं के खिलाफ भी औपचारिक रूप से आरोप तय किए थे। कोर्ट ने इनके खिलाफ सुनवाई जारी रखने का आदेश दिया है।
इसके अलावा लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन को भगोड़ा घोषित किया है।
अपराध
मलिक ने ली थी पाकिस्तानी एजेंसियों की मदद
NIA की चार्जशीट के अनुसार, मलिक ने पाकिस्तान समेत दूसरे देशों से फंड हासिल कर घाटी में अशांति फैलाने का काम किया था। इसके अलावा फंडिंग के लिए पाकिस्तान उच्चायोग से भी आर्थिक मदद हासिल की थी।
मलिक ने पाकिस्तानी एजेंसियों की मदद से अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर घाटी में हिंसक प्रदर्शन, बड़े स्तर पर हड़ताल और बंद की साजिश रची थी, लेकिन अब उसे इन सभी गुनाहों की सजा मिल गई है।
जानकारी
2017 में कश्मीर घाटी में अशांति का प्रमुख कारण रहा था मलिक
मलिक ने साल 2017 में कश्मीर घाटी का माहौल बिगाड़ने में सक्रिय भूमिका निभाई थी। इसके लिए उसने आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के ट्रेनिंग कैंप का भी दौरा किया था और पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों के साथ लगातार संपर्क बनाए रखे थे।