किसान आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री मोदी का किसानों से संवाद, विपक्ष पर जमकर साधा निशाना
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर देशभर के किसानों से संवाद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर जमकर निशाना साधा और उस पर कृषि कानूनों पर झूठ फैलाने का आरोप लगाया। प्रधानमंत्री ने अपने इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के नौ करोड़ लाभार्थी किसानों के खाते में 18,.000 करोड़ रुपये भी ट्रांसफर किए। उन्होंने पश्चिम बंगाल की सरकार पर अपने राज्य में इस योजना को रोकने का आरोप भी लगाया।
कुछ लोग अपनी विचारधारा किसानों पर थोप रहे- प्रधानमंत्री
कार्यक्रम में सबसे पहले किसानों ने केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं से उन्हें हुए फायदों के बारे में बताया। इस दौरान एक किसान से प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "आप कह रहे हैं कि आपकी जमीन सुरक्षित है, लेकिन यहां किसानों के बीच भ्रम फैलाया जा रहा है कि किसानों की जमीन ले ली जाएगी।" उन्होंने कहा कि कुछ लोग अपनी राजनीतिक विचारधारा किसानों पर थोप रहे हैं और कह रहे हैं कि नए कानूनों से किसानों को नुकसान होगा।
बंगाल सरकार पर बरसे प्रधानमंत्री
बंगाल सरकार पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "पश्चिम बंगाल के 70 लाख से अधिक किसान भाई-बहनों को इसका लाभ नहीं मिल पाया है। बंगाल के 23 लाख से अधिक किसान इस योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर चुके हैं। लेकिन राज्य सरकार ने वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को लंबे समय से रोक रखा है। बंगाल सरकार अपने राजनीतिक कारणों से उनके राज्य के किसानों तक पैसे नहीं पहुंचने दे रही है।"
वामपंथी पार्टियों पर भी प्रधानमंत्री ने साधा निशाना
वामपंथी विचारधारा के लोगों पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "जो लोग 30-30 साल तक बंगाल पर राज करते हैं, एक ऐसी राजनीतिक विचारधारा के साथ जिसने बंगाल की क्या हालत कर दी... ममता जी के 15 साल पुराने भाषण सुनोगे तो पता चलेगा कि इस राजनीतिक विचारधारा ने बंगाल को कितना बर्बाद कर दिया है।" उन्होंने कहा कि बंगाल के इसी विचारधारा के लोग अब पंजाब पहुंच गए हैं और वहां किसानों को गुमराह कर रहे हैं
प्रधानमंत्री का सवाल- केरल में APMC मंडिया नहीं, वहां आंदोलन क्यों नहीं होता
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा, "जो दल पश्चिम बंगाल में किसानों के हित पर कुछ नहीं बोलते, वे यहां दिल्ली के नागरिकों को परेशान करते हैं, वो भी किसान के नाम पर। इन दलों को आपने सुना होगा, APMC मंडियों के बारे में बोल रहे हैं। लेकिन केरल में APMC मंडियां नहीं हैं, उस पर चुप हैं। अगर ये व्यवस्था अच्छी है तो केरल में क्यों नहीं है। वहां आंदोलन क्यों नहीं होता है।"
कांग्रेस पर प्रधानमंत्री बोले- राजनीति चमकाने के लिए इवेंट कर रहे
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जिन राजनीतिक पार्टियों को देश की जनता ने नकार दिया, वे आज कुछ न कुछ इवेंट कर रहे हैं ताकि उनकी राजनीति चमक जाए। उन्होंने कहा, "जितने लोग आज किसानों के नाम पर आंदोलन कर रहे हैं, जब इनका वक्त था तो चुप बैठे थे। पहले की सरकार का समर्थन करते रहे। यही लोग स्वामीनाथन की रिपोर्ट पर सालों बैठे रहे। हम जब सत्ता में आए तो हमने इसे निकलवाया।"
कृषि कानूनों के विरोधियों से भी बात करने को तैयार- प्रधानमंत्री
अपने संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार कृषि कानूनों के विरोधियों से भी बात करने को तैयार है, लेकिन बात तथ्यों पर होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों की नीतियों की वजह से किसान गरीब होता गया और किसानों की इस दशा को बदलना जरूरी था। उन्होंने कहा कि नए कृषि कानूनों के बाद किसान अपनी फसल कहीं भी बेच सकता है और उन्हें फायदा पहुंचाने में कुछ भी गलत नहीं है।
क्या है कृषि कानूनों का पूरा मुद्दा?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का जमकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।
असफल रही है सरकार और किसानों के बीच पांच दौर की बातचीत
इन कानूनों के खिलाफ किसान पिछले कई महीने से सड़कों पर हैं और 25 नवंबर से दिल्ली के आसपास डटे हुए हैं। किसानों और सरकार के बीच पांच दौर की बैठक भी हो चुकी है, हालांकि इनमें समाधान का कोई रास्ता नहीं निकला है। सरकार ने किसानों को कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव दिया है, हालांकि किसानों ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है और वे कानूनों को वापस लिए जाने की मांग पर अड़े हुए हैं।