सीरम इंस्टीट्यूट को झटका, नहीं मिली बच्चों पर कोरोना वैक्सीन कोवावैक्स के ट्रायल की मंजूरी
इसी महीने से कोरोना वायरस वैक्सीन कोवावैक्स का बच्चों पर ट्रायल शुरू करने की योजना बना रही सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) को इसकी अनुमति नहीं मिली है। कंपनी ने सोमवार को ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) के पास देशभर में 920 बच्चों पर कोवावैक्स का ट्रायल शुरू करने की मंजूरी के लिए आवेदन किया था, लेकिन DCGI की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (SEC) ने इस आवेदन को खारिज कर दिया है। आइये, पूरी खबर जानते हैं।
10 जगहों पर होना था ट्रायल
SII ने अगस्त में कोवावैक्स के भारत में उत्पादन, ट्रायल और वितरण को लेकर अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स से करार किया था। कंपनी ने वैक्सीन का नाम NVX‑CoV2373 दिया है, जबकि भारत में इसे कोवावैक्स के नाम से जाना जाएगा। SII ने इसी महीने से देशभर में 10 जगहों पर कुल 920 बच्चों पर इसका ट्रायल करने की योजना बनाई थी। यह ट्रायल 12-17 साल के 460 और इतने ही 2-11 साल की उम्र के बच्चों पर होना था।
कंपनी को मंजूरी क्यों नहीं मिली?
समाचार एजेंसी PTI की रिपोर्ट के अनुसार, SEC ने यह कहते हुए SII का आवेदन ठुकरा दिया कि अभी तक किसी भी देश में कोवावैक्स को आपात इस्तेमाल की भी मंजूरी नहीं मिली है। कमेटी ने कंपनी को व्यस्कों के ट्रायल में वैक्सीन की सुरक्षा और प्रभावकारिता से जुड़े आंकड़े मुहैया कराने को कहा है। इन आंकड़ों की समीक्षा के बाद कंपनी को बच्चों पर इस वैक्सीन का ट्रायल शुरू करने की अनुमति देने पर विचार किया जाएगा।
देश में बच्चों पर दो वैक्सीनों का चल रहा है ट्रायल
अगर कोवावैक्स को मंजूरी मिलती है तो यह बच्चों पर टेस्ट की जाने वाली तीसरी वैक्सीन होगी। इससे पहले भारत बायोटेक की कोवैक्सिन और जाइडस कैडिला की ZyCov-D का बच्चों पर ट्रायल चल रहा है।
सितंबर तक उपलब्ध हो सकती है वैक्सीन
बता दें कि SII इस समय DCGI से कोवावैक्स के इंसानी ट्रायल के तीसरे चरण की मंजूरी मिलने के बाद भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के साथ मिलकर व्यस्कों पर ट्रायल कर रही है। SII के प्रमुख अदार पूनावाला ने उम्मीद जताई थी कि सितंबर तक यह वैक्सीन भारत में इस्तेमाल के लिए उपलब्ध हो सकती है। कंपनी इस वैक्सीन की 200 करोड़ खुराकों का उत्पादन करेगी। इनमें से 100 करोड़ भारत और कम आय वाले देशों के लिए होंगी।
व्यस्कों पर 90 प्रतिशत प्रभावी पाई गई कोवावैक्स
नोवावैक्स ने बीते महीने बताया था उसकी वैक्सीन ने अमेरिका और मेक्सिको में हुए बड़े स्तर के ट्रायल में 90 प्रतिशत से अधिक प्रभावकारिता दिखाई है। सब-प्रोटीन पर आधारित दो खुराक वाली इस वैक्सीन को अमेरिका और मेक्सिको की 119 जगहों पर लगभग 30,000 लोगों पर परखा गया था। कंपनी ने कहा कि यह वैक्सीन मध्यम और गंभीर संक्रमण के खिलाफ 100 प्रतिशत और कुल मिलाकर 90.4 प्रतिशत प्रभावी साबित हुई है।
ये हैं कोवावैक्स की खास बातें
कंपनी का कहना है कि कोवावैक्स की खुराक लगने के बाद अगर व्यक्ति वायरस के संपर्क में आता है तो वैक्सीन से बनी एंटीबॉडीज उसके स्पाइक प्रोटीन को लॉक कर देगी। इससे वायरस कोशिकाओं में नहीं जा पाएगा और व्यक्ति संक्रमित नहीं होगा। साथ ही कहा जा रहा है कि इस वैक्सीन को रखने के लिए बहुत कम तापमान की जरूरत नहीं होगी, जिससे सुदूर इलाकों में इसे पहुंचाना आसान हो जाएगा और स्टोरेज को लेकर भी चुनौतियां कम होंगी।
बच्चों का वैक्सीनेशन करने की योजना बना रही सरकार
केंद्र सरकार ने कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए दिसंबर तक आबादी के बड़े हिस्से को वैक्सीनेट करने का लक्ष्य रखा है। जून में खबर आई थी कि केंद्र बच्चों को भी वैक्सीनेशन अभियान में शामिल करने की योजना बना रहा है। सरकार 12-18 साल के लगभग 13 करोड़ बच्चों का वैक्सीनेशन करने पर विचार कर रही है। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि इसके लिए मुख्य तौर पर कोवैक्सिन का इस्तेमाल किया जा सकता है।