पश्चिम बंगाल में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित, ऐसा करने वाला छठा राज्य
क्या है खबर?
केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले कई महीनों से किसानों का आंदोलन जारी है।
इसी बीच गुरुवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा ने इन कानूनों के खिलाफ राज्य सरकार की ओर से पेश किए गए प्रस्ताव को पारित कर दिया गया।
इसी के साथ पश्चिम बंगाल इन कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने वाला देश का छठा राज्य बन गया है। हालांकि, प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने जमकर हंगामा किया था।
प्रस्ताव
संसदीय कार्य मंत्री चटर्जी ने रखा कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव
विधानसभा में संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव रखा।
इसके बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, "हम किसान विरोधी कानूनों का विरोध करते हैं। हम इन्हें तुरंत वापस लिए जाने की मांग करते हैं। केंद्र सरकार को या तो तीनों कानूनों को वापस ले लेना चाहिए या फिर सत्ता से हट जाना चाहिए।"
उन्होंने आगे कहा, "कृषि कानूनों की वापसी पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री को सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए।"
जिम्मेदार
बनर्जी ने गणतंत्र दिवस हिंसा के लिए पुलिस को ठहराया जिम्मेदार
मुख्यमंत्री बनर्जी ने गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में हुई हिंसा के लिए पुलिस को भी जिम्मेदार ठहराया।
उन्होंने कहा, "पुलिस ने स्थिति को अपने हाथ से बाहर जाने दिया। यह खुफिया तंत्र की नाकामी है। हम किसानों को गद्दार बताया जाना बर्दाश्त नहीं करेंगे। किसान इस देश की संपत्ति हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "भाजपा हर आंदोलन को आतंकवादी गतिविधि मानती है। यह तीनों कानून पूरी तरह से किसान विरोधी हैं। हम आंदोलनकारी किसानों के साथ खड़े हैं।"
हंगामा
भाजपा विधायकों ने लगाए 'जय श्री राम' के नारे
कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान भाजपा विधायक दल के नेता मनोज तिग्गा के नेतृत्व में पार्टी के विधायक सदन की बेल में पहुंच गए और दावा किया कि तृणमूल कांग्रेस (TMC) सरकार कानूनों के खिलाफ 'भ्रामक अभियान' चला रही है।
इसके बाद सभी विधायकों ने विधानसभा में 'जय श्री राम' के नारे लगाने शुरू कर दिए। इसके बाद सभी विधायक सत्र का वॉक आउट करते हुए विधानसभा से बाहर चले गए।
जानकारी
लेफ्ट और कांग्रेस ने किया TMC का समर्थन
TMC द्वारा तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ रखे गए प्रस्ताव का जहां भाजपा ने पुरजोर विरोध किया, वहीं लेफ्ट और कांग्रेस पार्टी ने TMC का समर्थन किया। ऐसे में पर्याप्त बहुमत होने के चलते तीनों कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर दिया गया।
पृष्ठभूमि
क्या है कृषि कानूनों का पूरा मुद्दा?
कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए मोदी सरकार कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता अधिनियम और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम लेकर आई है।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं।
उनका कहना है कि इनके जरिए सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।
जानकारी
ये राज्य भी ला चुके हैं कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव
बता दें पश्चिम बंगाल से पहले पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़, केरल और दिल्ली में तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया जा चुका है। इसी तरह गत 18 जनवरी को केंद्र शासित प्रदेश पुदुचेरी में भी इन कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारिया हो चुका है।