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मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगा, 9 फरवरी को मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने दिया था इस्तीफा
मणिपुर के मुख्यमंत्री ने 9 फरवरी को इस्तीफा दे दिया था

मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगा, 9 फरवरी को मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने दिया था इस्तीफा

लेखन आबिद खान
Feb 13, 2025
08:32 pm

क्या है खबर?

हिंसा ग्रस्त मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है। 9 फरवरी को राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद किसी भी पार्टी ने सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया था। संविधान के अनुच्छेद 174 (1) के तहत विधानसभा की 2 बैठकों के बीच में 6 महीने से ज्यादा का अंतर भी हो गया था, इसके बाद राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है।

इस्तीफा

9 फरवरी को बीरेन सिंह ने दिया था इस्तीफा

9 फरवरी को मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने राज्यपाल अजय भल्ला को इस्तीफा सौंप दिया था। इससे पहले वे गृह मंत्री अमित शाह से मिले थे। 10 फरवरी से मणिपुर विधानसभा का सत्र शुरू होने वाला था। कांग्रेस ने कहा था कि वो सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएगी। माना जा रहा था कि बीरेन सिंह के प्रति भाजपा विधायकों की नाराजगी के चलते भाजपा को सरकार गिरने का डर था।

वजह

क्यों लगाया गया राष्ट्रपति शासन?

संविधान के अनुच्छेद 174 (1) के मुताबिक, राज्यों की विधानसभा की 2 बैठकों के बीच में 6 महीने से ज्यादा का अंतर नहीं होना चाहिए। मणिपुर में पिछला विधानसभा सत्र 12 अगस्त, 2024 को बुलाया किया गया था। नियमों के मुताबिक, राष्ट्रपति शासन से बचने के लिए 12 फरवरी से पहले सत्र बुलाना जरूरी थी, लेकिन इससे पहले ही मुख्यमंत्री ने इस्तीफा दे दिया। इस वजह से मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाया गया है।

शासन

राष्ट्रपति शासन लगने पर क्या-क्या होता है?

राष्ट्रपति शासन लागू होने से राज्य की शासन व्यवस्था सीधे राष्ट्रपति के हाथों में आ जाती है। राष्ट्रपति अपने प्रतिनिधि के तौर पर राज्यपाल को प्रशासन की जिम्मेदारी देते हैं। राष्ट्रपति शासन में राज्य के कानून संसद बनाती है। अगर संसद सत्र न चल रहा हो तो राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकते हैं। राष्ट्रपति शासन अधिकतम 6 महीने के लिए लागू किया जाता है, लेकिन इसे संसद की अनुमति से 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है।

हिंसा

मणिपुर की हिंसा में मारे गए हैं 250 से अधिक लोग 

मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच मई, 2023 से हिंसा जारी है, जो हाई कोर्ट के एक आदेश के बाद भड़क उठी थी। इस हिंसा के दौरान अलग-अलग घटनाओं में 250 से ज्यादा लोग मारे गए हैं, 1,500 से ज्यादा जख्मी हुए हैं और करीब 60,000 को घर छोड़ना पड़ा है। अब तक 500 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। हिंसा से चुराचांदपुर, बिष्णुपुर, इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। हिंसा रुक-रुककर जारी है।