प्रयागराज: महाकुंभ में भगदड़ के पीछे साजिश का संदेह, 16,000 मोबाइल नंबरों की जांच शुरू
क्या है खबर?
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में गत 29 जनवरी को हुई भगदड़ की दुखद घटना की जांच अब संभावित साजिश की ओर मुड़ गई।
इस घटना में 30 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 60 से अधिक घायल हुए थे।
अधिकारी अब 16,000 से अधिक मोबाइल नंबरों के डाटा की जांच कर रहे हैं, जो घटना के दौरान संगम नोज क्षेत्र में सक्रिय थे। रोचक रूप से इनमें से कई नंबर अब बंद हो चुके हैं।
जांच
जांच में ली जा रही है तकनीकी मदद
पुलिस ने बताया कि घटना की जांच में मोबाइल डाटा विश्लेषण के साथ-साथ, CCTV कैमरों की फुटेज से संभावित संदिग्धों की पहचान करने के लिए चेहरे की पहचान तकनीक का भी उपयोग किया जा रहा है।
पिछली घटना को देखते हुए बसंत पंचमी पर होने वाले तीसरे शाही स्नान से पहले अधिक पुलिस बल तैनात किया गया है।
बता दें कि महाकुंभ मेला 144 साल में एक बार आता है। इसकी शुरुआत प्रयागराज में 13 जनवरी से हुई है।
आरोप
उत्तर प्रदेश सरकार पर मृतकों की सही संख्या छिपाने का आरोप
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश सरकार पर पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा देने से बचने के लिए मौतों की वास्तविक संख्या कम बताने का आरोप लगाया है।
उन्होंने कहा, "उत्तर प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री नैतिक और राजनीतिक रूप से भी विफल हो गए हैं।"
यादव इस मामले में पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं और उन्होंने अधिकारियों से भगदड़ में मारे गए लोगों की व्यापक सूची जारी करने का आग्रह किया है।
आयोग
भगदड़ की जांच के लिए न्यायिक आयोग गठित
भगदड़ की विस्तृत जांच के लिए 3 सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया गया है।
इसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश हर्ष कुमार, पूर्व पुलिस महानिदेशक वीके गुप्ता और सेवानिवृत्त IAS अधिकारी डीके सिंह शामिल हैं।
उन्होंने जानकारी जुटाने के लिए घटनास्थल का दौरा किया है और उनके एक महीने में रिपोर्ट प्रस्तुत करने की संभावना है।
इस त्रासदी में प्रशासनिक कमियां उजागर होने सरकार ने 29 जनवरी को आयोग का गठन किया था।