NewsBytes Hindi
    English Tamil Telugu
    अन्य
    चर्चित विषय
    जम्मू-कश्मीर
    क्राइम समाचार
    कोरोना वायरस
    कोरोना वायरस वैक्सीन
    लखीमपुर रेप-हत्याकांड
    हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (LCH)
    भू-धंसाव
    NewsBytes Hindi
    English Tamil Telugu
    NewsBytes Hindi
    User Placeholder

    Hi,

    Logout


    देश राजनीति दुनिया बिज़नेस खेलकूद मनोरंजन टेक्नोलॉजी करियर अजब-गजब लाइफस्टाइल ऑटो एक्सक्लूसिव विज़ुअल खबरें

    एंड्राइड ऐप डाउनलोड

    हमें फॉलो करें
    • Facebook
    • Twitter
    • Linkedin
     
    होम / खबरें / देश की खबरें / चर्चित कानून: कार्यस्थलों पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न रोकने को बनाया गया POSH एक्ट क्या है?
    देश

    चर्चित कानून: कार्यस्थलों पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न रोकने को बनाया गया POSH एक्ट क्या है?

    चर्चित कानून: कार्यस्थलों पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न रोकने को बनाया गया POSH एक्ट क्या है?
    लेखन भारत शर्मा
    Mar 25, 2022, 11:17 pm 1 मिनट में पढ़ें
    चर्चित कानून: कार्यस्थलों पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न रोकने को बनाया गया POSH एक्ट क्या है?
    POSH एक्ट क्या है?

    देश में आज भी कार्यस्थलों पर महिलाएं और युवतियां के यौन उत्पीड़न और उनके साथ भेदभाव की घटनाएं सामने आ रही हैं। हालांकि, सरकार ने इसको रोकने के लिए महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) (POSH) अधिनियम, 2013 लागू कर रखा है, लेकिन जानकारी के अभाव में पीड़िताएं इस कानून का बहुत कम इस्तेमाल कर पा रही है। ऐसे में आएये जानते हैं कि आखिर क्या है POSH एक्ट और यह कैसे महिलाओं की मदद करता है।

    आखिर क्या है POSH एक्ट?

    बता दें कि कार्यस्थलों पर महिलाओं और युवतियों के साथ बढ़ती यौन उत्पीड़न की घटनाओं को देखते हुए सरकार ने साल 2013 में संसद में एक कानून पारित किया था। जिसे महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) (POSH) अधिनियम कहा जाता है। इसमें यौन उत्पीड़न की परिभाषा को स्पष्ट करते हुए शिकायत और जांच प्रक्रियाओं का निर्धारत तथा कार्रवाई को स्पष्ट किया गया है। इसे विशाखा दिशानिर्देशों का विस्तृत रूप भी माना जाता है।

    क्या है विशाखा दिशानिर्देश?

    कार्यस्थल पर होने वाले यौन उत्पीड़न के खिलाफ साल 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने कुछ निर्देश जारी किए थे। उन्हें ही विशाखा दिशानिर्देश या फिर विशाखा और अन्य बनाम राजस्थान सरकार और भारत सरकार मामले के रूप में जाना जाता है। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यौन उत्पीड़न, संविधान में निहित मौलिक अधिकारों (अनुच्छेद 14, 15 और 21) का उल्लंघन हैं। इसके साथ ही कुछ मामले स्वतंत्रता के अधिकार (19)(1)(g) के उल्लंघन के तहत आते हैं।

    सुप्रीम कोर्ट ने क्यों जारी किए थे विशाखा दिशानिर्देश?

    दरअसल, राजस्थान के भटेरी गांव की एक सामाजिक कार्यकर्ता भंवरी देवी ने 1992 में एक बालिका का बाल विवाह रुकवाया था। इसको लेकर बड़ी जाति के लोगों उसका गैंगरेप किया था। इस पर भंवरी देवी ने कोर्ट की शरण ली, लेकिन न्याय नहीं मिला। उसके बाद कई गैर सरकारी संगठनों ने मिलकर 1997 में 'विशाखा' नाम से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसे विशाखा और अन्य बनाम राजस्थान सरकार और भारत सरकार के नाम से जाना जाता है।

    याचिका में की थी कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ कार्रवाई की मांग

    उस याचिका में भंवरी देवी के लिए न्याय और कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ होने वाले यौन-उत्पीड़न के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी। जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यौन शोषण रोकने के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी दिशानिर्देश जारी किए थे। इसमें सभी संस्थानों को यौन उत्पीड़न निषेध, रोकथाम और निवारण की जिम्मेदारी दी गई थी। इसके अलावा संस्थान में यौन उत्पीड़न के मामलों की जांच के लिए शिकायत समिति गठित करने को कहा था।

    क्या है कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न की परिभाषा?

    इसके बाद POSH एक्ट में विशाखा दिशानिर्देश को और विस्तृत और स्पष्ट किया गया है। इसके अनुसार, कोई भी अवांछित यौनता भरा कार्य व्यवहार यौन उत्पीड़न की श्रेणी में माना जाएगा। इसमें शारीरिक संपर्क या उसकी कोशिश करना, यौन संबंध बनाने के लिए दबाव बनाना या कहना, अश्लील बातें बोलना, कामुक (अश्लील चित्र), फोटो, पोस्टर दिखाना, बोलकर या फिर मौन रूप से अभद्र इशारे करना तथा अंग प्रदर्शन करना आदि शामिल है।

    महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने जारी की है विस्तृत बुकलेट

    महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न को परिभाषित करने के लिए एक हैंडबुक भी प्रकाशित की है। जिसके अनुसार, यौन संकेत से भरी टिप्पणियां, सांकेतिक टिप्पणियां, द्विअर्थी टिप्पणियां, गालियां देना, अश्लील टिप्पणियां, मजाक या गीत गाना, शरीर के अंगों पर टिप्पणी करना, देर रात फोन करना, अनजान नंबरों से फोन करना, अश्लील तस्वीरें, पोस्टर, MMS, SMS, व्हाट्सऐप या ईमेल करना भी यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आता है।

    इन परिस्थितियों को भी माना जाता है यौन उत्पीड़न

    POSH एक्ट के अनुसार, नौकरी में प्राथमिकता का वादा कर यौन संबंध मांग करना, यौन संबंधों के लिए डराना, धमकाना, नौकरी से निकालने की धमकी देना, कार्य करना मुश्किल बनाना और अपमानजनक व्यवहार भी यौन उत्पीड़न की श्रेणी माना जाता है।

    POSH एक्ट तहत संस्थानों में आतंरिक शिकायत समिति बनाना है अनिवार्य

    POSH एक्ट तहत कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न से परेशान होने वाली महिलाओं की सहायता के लिए सभी निजी और सरकारी संस्थानों में 10 सदस्यीय आतंरिक शिकायत समिति (ICC) बनाने का भी प्रावधान किया गया है। यह समिति संस्थान में काम करने वाली महिलाओं की शारीरिक और यौन उत्पीड़न जैसी समस्याओं को सुनती है। इस समिति की अध्यक्ष संस्थान की सबसे वरिष्ठ महिला अधिकारी या कर्मचारी को ही बनाया जाना आवश्यक होता है।

    किन संस्थानों के लिए आवश्यक है ICC का गठन?

    POSH एक्ट के अनुसार, 10 से अधिक कर्मचारियों वाली कंपनी या संस्था में ICC का गठन अनिवार्य है। ऐसा नहीं करने पर संस्थान पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाने या फिर उसका लाइसेंस भी निरस्त करने अथवा दोनों कार्रवाई करने का प्रावधान है।

    क्या है ICC से शिकायत करने की प्रक्रिया?

    कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की शिकार महिला को घटना के तीन महीने में ICC के समक्ष शिकायत दर्ज करानी होती है। हालांकि, यदि ICC को लगे कि पीड़िता किसी दबाव के कारण शिकायत दर्ज नहीं करा पाई तो समय को छह महीने तक भी बढ़ाया जा सकता है। इसी तरह ICC के सदस्यों को पीड़िता को शिकायत करने के लिए आवश्यक सभी सहायता मुहैया करानी होती है। हालांकि, शिकायत करने या नहीं करने का निर्णय पीड़िता का ही होगा।

    ICC को 90 दिनों में पूरी करनी होती है जांच

    ICC को शिकायत मिलने के 90 दिनों के भीतर मामले की जांच कर अंतिम रिपोर्ट नियोक्ता को सौंपनी होती है। इसमें ICC दोनों पक्षों को सुनकर उनके बयान रिकॉर्ड करेगी और अपनी सफाई में साक्ष्य प्रस्तुत करने का मौका देगी। ICC को अधिकार है कि वह मामले की जांच से जुड़े किसी भी शख्स को गवाही के लिए समन भेज सके। यदि जांच में प्रतिवादी दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई या सजा की सलाह दे सकती है।

    समझौते के जरिए कराया जा सकता है मामले का निस्तारण

    कानून के अनुसार, ICC जांच से पहले या फिर शिकायकर्ता के अनुरोध पर सुलह के माध्यम से उसके और प्रतिवादी के बीच मामले को निपटाने के लिए कदम उठा सकती है। हालांकि, इसके लिए दोनों पक्षों के बीच पैसों का लेनदेन नहीं होना चाहिए।

    POSH एक्ट में दोषी के लिए क्या है सजा का प्रावधान?

    यौन उत्पीड़न का आरोप साबित होने पर कार्रवाई के प्रकार सभी कंपनियों में अलग-अलग हो सकते हैं। इसमें कोई कंपनी दोषी कर्मचारी के वेतन से कटौती कर सकती या फिर उसे नौकरी से भी निकाल सकती है। इसी तरह पीड़िता की परेशानी और भावनात्मक संकट, करियर के नुकसान, चिकित्सा खर्च को देखते हुए मुआवजा भी दिया जा सकता है। हालांकि, ICC की जांच से संतुष्ट नहीं होने पर दोनों पक्ष 90 दिन में न्यायालय की शरण भी ले सकते हैं।

    इस खबर को शेयर करें
    Facebook
    Whatsapp
    Twitter
    Linkedin
    ताज़ा खबरें
    भारत की खबरें
    क्राइम समाचार
    यौन शोषण
    सुप्रीम कोर्ट

    ताज़ा खबरें

    दिल्ली: ग्रीन कॉरिडोर ने बचाई मरीज की जान, 12 मिनट में AIIMS से फोर्टिस पहुंचा दिल  दिल्ली
    ऐपल वॉच अल्ट्रा 2.1 इंच के बड़े डिस्प्ले के साथ हो सकती है लॉन्च ऐपल
    'शहजादा' में सलमान खान के सम्मान में कार्तिक आर्यन करेंगे 'कैरेक्टर ढीला है 2.0' पर डांस शहजादा फिल्म
    BYJU'S ने की 1,000 कर्मचारियों की छंटनी, इस विभाग पर सबसे ज्यादा हुआ असर छंटनी

    भारत की खबरें

    पुणे में खुला भारत का पहला 'स्मार्ट फूड कोर्ट', जानिए क्या होगा फायदा पुणे
    जाने-माने वकील शांति भूषण का निधन, दिल्ली स्थित घर पर ली अंतिम सांस दिल्ली
    ये हैं भारत के 5 मशहूर सांस्कृतिक फेस्टिवल, एक बार जरूर जाएं ट्रेवल टिप्स
    महाराष्ट्र-कर्नाटक ही नहीं, भारत के इन राज्यों के बीच भी चल रहा है सीमा विवाद मिजोरम

    क्राइम समाचार

    ओडिशा के स्वास्थ्य मंत्री की मौत, पुलिसकर्मी ने सीने में मारी थी गोली ओडिशा
    गुजरात दंगे: सबूतों के अभाव में 17 लोगों की हत्या के 22 आरोपी बरी गुजरात
    अमेरिका में गोलीबारी की 3 और घटनाएं, 9 लोगों की मौत अमेरिका
    बिहार: कार सवार ने कई किलोमीटर तक बुजुर्ग को घसीटा, मौत बिहार

    यौन शोषण

    भारतीय खेलों पर यौन उत्पीड़न का साया, जानिए पहले कब-कब सामने आए हैं ऐसे मामले यौन उत्पीड़न
    फिल्म 'रोमियो-जूलियट' पर विवाद, 55 साल बाद कलाकारों ने निर्माताओं पर लगाया यौन शोषण का आरोप हॉलीवुड समाचार
    हरियाणा: खेल मंत्री संदीप सिंह ने यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज होने के बाद छोड़ा पद हरियाणा
    TVF के संस्थापक अरुणभ कुमार यौन शोषण मामले में बरी, कोर्ट ने दी यह दलील द वायरल फीवर

    सुप्रीम कोर्ट

    इलेक्टोरल बॉन्ड मामले पर मार्च में सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़
    BBC डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, अगले हफ्ते होगी याचिका पर सुनवाई सूचना और प्रसारण मंत्रालय
    केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया- देशभर के 53 टाइगर रिजर्व में हैं 2,967 बाघ केंद्र सरकार
    दिल्ली मेयर चुनाव का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, AAP उम्मीदवार शैली ओबरॉय ने दायर की याचिका दिल्ली

    देश की खबरें पसंद हैं?

    नवीनतम खबरों से अपडेटेड रहें।

    India Thumbnail
    पाकिस्तान समाचार क्रिकेट समाचार नरेंद्र मोदी आम आदमी पार्टी समाचार अरविंद केजरीवाल राहुल गांधी फुटबॉल समाचार कांग्रेस समाचार लेटेस्ट स्मार्टफोन्स क्रिप्टोकरेंसी भाजपा समाचार कोरोना वायरस रेसिपी #NewsBytesExclusive कोरोना वायरस वैक्सीन ट्रैवल टिप्स यूक्रेन युद्ध मंकीपॉक्स द्रौपदी मुर्मू
    हमारे बारे में प्राइवेसी पॉलिसी नियम हमसे संपर्क करें हमारे उसूल शिकायत खबरें समाचार संग्रह विषय संग्रह
    हमें फॉलो करें
    Facebook Twitter Linkedin
    All rights reserved © NewsBytes 2023