सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा- NDA में सिर्फ 19 महिलाएं ही क्यों होंगी भर्ती?
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार से यह स्पष्ट करने के लिए कहा कि 2023 में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) की 400 सीटों पर केवल 19 महिला उम्मीदवारों को ही भर्ती क्यों किया जाएगा। कोर्ट ने सरकार से राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज (RIMC) और राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल (RMS) में प्रवेश के लिए आयोजित होने वाली NDA परीक्षा, 2021 में शामिल होने वाली महिलाओं सहित कुल उम्मीदवारों के आंकड़े भी मांगे हैं।
पिछले साल केंद्र ने कम महिला उम्मीदवारों के चयन की क्या वजह बताई थी?
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा कि सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि 2023 में 19 महिलाओं को ही क्यों चयनित किया जाएगा। पीठ ने भाटी से कहा कि पिछले साल सरकार ने कहा था कि बुनियादी ढांचे की समस्या के कारण महिलाओं की संख्या कम है और अब दोबारा इतनी ही संख्या में उन्हें चुनने का प्रस्ताव रखा है।
केंद्र को हलफनामा दायर करने के लिए मिला तीन सप्ताह का समय
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को हलफनामा दायर करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है और अन्य पक्षों से दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। वरिष्ठ वकील चिन्मय प्रदीप शर्मा ने कहा कि उन्होंने एक अतिरिक्त हलफनामा दिया है। इसमें कहा गया है कि 14 नवंबर, 2021 को हुई NDA परीक्षा के बाद सेवा चयन बोर्ड परीक्षा और चिकित्सा परीक्षण के लिए 8,009 उम्मीदवारों का चयन हुआ। इनमें 1,002 महिलाएं और 7,007 पुरुष हैं।
NDA-II भर्ती में कितनी महिलाओं का होगा चयन?
शर्मा ने कहा कि संघ लोकसेवा आयोग (UPSC) के विज्ञापन और सरकार की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक 2021 के NDA-ll में NDA 400 कैडेट को लेगा। उन्होंने बताया, "इनमें से 10 महिलाओं सहित 208 उम्मीदवार सेना में लिए जाएंगे। नौसेना तीन महिलाओं के साथ 42 उम्मीदवारों को लेगी और भारतीय वायुसेना भी छह महिलाओं के साथ 120 उम्मीदवारों को प्रवेश देगी। इस प्रकार जून, 2022 में NDA में प्रवेश लेने वाली महिलाओं की संख्या 19 होगी।''
6 मार्च को होगी मामले की अगली सुनवाई
इस मामले में अगली सुनवाई 6 मार्च, 2022 को होगी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 22 सितंबर, 2021 को एक आदेश देकर महिलाओं के लिए नवंबर की NDA प्रवेश परीक्षा में शामिल होने के दरवाजे खोले थे। कोर्ट ने इस दौरान कहा था कि वह महिलाओं को उनके अधिकार से वंचित नहीं करना चाहता है। कोर्ट ने आगे कहा, "सशस्त्र बलों को कठिन परिस्थितियों से निपटने का प्रशिक्षित दिया जाता है। महिलाएं भी इससे निपटने में सक्षम होंगी।"