पूजा खेडकर नहीं थी OBC आरक्षण की हकदार, दिल्ली पुलिस ने पेश की स्टेटस रिपोर्ट
महाराष्ट्र के पुणे में फर्जी दस्तावेजों को लेकर नौकरी गंवाने वाली पूर्व ट्रेनी IAS पूजा खेडकर के मामले में दिल्ली पुलिस ने हाई कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट पेश कर दी है। इसमें पुलिस ने स्पष्ट कहा है कि खेडकर अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) नॉन-क्रीमी लेयर आरक्षण की हकदार नहीं थी और संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा, 2022 में उनके आवेदन में गलत जानकारी पेश करने की सुनियोजित साजिश रची गई थी। आइए पूरी रिपोर्ट जानते हैं।
पुलिस ने जताई मामले में अन्य लोगों के भी शामिल होने की आशंका
इंडिया टुडे ने स्टेटस रिपोर्ट के आधार पर लिखा है कि धोखाधड़ी के इस मामले में और भी लोग शामिल हो सकते हैं। पुलिस ने कहा, "मामले का सार्वजनिक विश्वास पर व्यापक प्रभाव है। यह सीधे तौर पर पूरी परीक्षा और चयन प्रक्रिया की निष्पक्षता और अखंडता को प्रभावित करता है। सबूत के अन्य रूप (ईमेल, टेक्स्ट संदेश, भौतिक रिकॉर्ड) अभी प्रस्तुत नहीं किए गए हैं। ऐसे में उन्हें सुरक्षा देने पर सबूतों से छेड़छाड़ हो सकती है।
खेडकर की गिरफ्तारी पर लगी है रोक
खेडकर की गिरफ्तारी पर गत 12 अगस्त को दिल्ली हाई कोर्ट ने 21 अगस्त तक के लिए रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा था कि अभी गिरफ्तारी की जरूरत नहीं है। पुलिस ने इसका विरोध करते हुए सूबतों से छेड़छाड़ की संभावना जताई है।
पूजा खेडकर के माता-पिता अलग नहीं हुए थे- पुलिस
पुलिस ने बताया कि जांच में यह भी सामने आया है कि खेडकर ने आरक्षण लाभ प्राप्त करने के लिए अपने UPSC आवेदन में माता-पिता को तलाक की डिक्री के जरिए कानूनी रूप से अलग होना दिखाया था, लेकिन हकीकत में वो अलग नहीं हुए थे और एकसाथ ही रह रहे थे। खेडकर और उनके परिवार के कॉल डाटा रिकॉर्ड (CDR) के विश्लेषण से पता चला कि माता-पिता लगातार उसके संपर्क में थे और ज्यादातर समय एकसाथ ही थे।
SAI के आवेदन में खुद को माता-पिता के साथ रहना दिखाया- पुलिस
पुलिस ने बताया है कि खेडकर 2022 में भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) में सहायक निदेशक के रूप में शामिल हुई थीं। उस दौरान उन्होंने अपने आवेदन में खुद को माता-पिता के साथ पुणे में रहना बताया था, लेकिन UPSC आवेदन में माता-पिता का तलाक होने की बात कही गई है। ऐसे में दोनों आवेदनों में अलग-अलग जानकारी उनके सुनियोजित साजिश की ओर इशारा करती है। खेडकर के पिता दिलीप ने अपने विभाग में तलाक की कोई जानकारी नहीं दी थी।
पुलिस ने खेडकर की जमानत का विरोध करते हुए दी यह दलील
पुलिस ने खेडकर को दी गई अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए कहा कि इससे पूर्व ट्रेनी IAS को मामले से बचने की कहानी बनाने, अपने रिकॉर्ड को छिपाने और सबूतों में हेरफेर करने का समय मिल सकता है। इससे धोखाधड़ी के इस मामले को उजागर करने बाधा आ सकती है। पुलिस ने कहा कि अभी विकलांगता प्रमाणपत्रों की प्रामाणिकता की पुष्टि करना और अन्य संस्थानों (शैक्षणिक या चिकित्सा) के साथ पूजा खेडकर के दावों की जांच करना बाकी है।
क्या है खेडकर से जुड़ा पूरा विवाद?
खेडकर सहायक कलेक्टर के पद पर तैनाती मिलते ही मांगों को लेकर विवादों में घिरी थीं। उन पर तैनाती लेने से पहले ही कार, आवास, कर्मचारी और अलग कमरे की मांग करने, विकलांगता और OBC का फर्जी प्रमाणपत्र बनाकर नौकरी पाने में उसका दुरुपयोग करने के आरोप लगे थे। हालांकि, इस पूरे मामले के सामने आने के बाद UPSC ने उन्हें अयोग्य करार दे दिया और भविष्य में परीक्षा देने पर भी रोक लगा दी है।