चुनावी बॉन्ड घोटाले की SIT जांच कराने की मांग, सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई याचिका
सुप्रीम कोर्ट में चुनावी बॉन्ड योजना की जांच विशेष जांच दल (SIT) से कराए जाने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई है। गैर-सरकारी संगठन कॉमन कॉज और सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (CPIL) द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि चुनावी बॉन्ड मामले में करोड़ों रुपये का घोटाला शामिल है, जिसे सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में स्वतंत्र जांच के जरिए ही उजागर किया जा सकता है।
याचिका में क्या मांग की गई है?
याचिकाकर्ताओ ने कहा, "चुनावी बॉन्ड का जो डाटा सामने आया है, उससे पता चलता है कि अधिकांश बॉन्ड कंपनियों द्वारा पार्टियों को बदले की भावना से दिए गए थे। इनका उद्देश्य सरकारी अनुबंध या लाइसेंस प्राप्त करना, केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) आयकर विभाग या प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा जांच से बचने या जांच परिणाम प्रभावित करने के लिए और नीतियों में अपने मनमुताबिक परिवर्तन कराने के लिए किया गया है।
याचिकाकर्ताओं ने लगाए ये आरोप
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि घाटे में चल रही और शेल कंपनियों ने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से भारी रकम चंदे में दी थी। इन शेल कंपनियों का इस्तेमाल चुनावी बॉन्ड के माध्यम से अवैध धन को वैध बनाने के माध्यम के रूप में किया गया था। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि चुनावी बॉन्ड घोटाले में ED, CBI समेत देश की कुछ प्रमुख जांच एजेंसियां भ्रष्टाचार के सहायक बन गए हैं।
कंपनियों ने किया कानून का उल्लंघन- याचिकाकर्ता
याचिका में कहा गया है, "कई मामलों में चंदा कंपनी अधिनियम की धारा 182(1) का उल्लंघन है, जिसके तहत किसी भी सरकारी या 3 साल से कम पुरानी कंपनी को राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने पर रोक है। आंकड़ों से पता चला कि कम से कम 20 कंपनियों ने बनने के 3 साल के भीतर चुनावी बांड खरीदे। ये भी पता चला है कि घाटे में चल रही और शेल कंपनियां सत्तारूढ़ पार्टी को भारी रकम दान कर रही थीं।"
सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की थी चुनावी बॉन्ड योजना
15 फरवरी, 2024 को सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने ऐतिहासिक आदेश सुनाते हुए चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार दिया था। कोर्ट ने कहा था कि लोगों को यह जानने का अधिकार है कि राजनीतिक पार्टियों को कहां से पैसा मिल रहा है। बाद में कोर्ट के आदेश पर भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने बॉन्ड से जुड़ी सारी जानकारी सार्वजनिक की थी, जिस पर खूब राजनीति भी हुई थी।