संसद का शीतकालीन सत्र 7 दिसंबर को होगा शुरू, 29 दिसंबर को खत्म
संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने शुक्रवार को संसद के शीतकालीन सत्र का कार्यक्रम जारी किया। यह सत्र 7 दिसंबर को शुरू होगा और 29 दिसंबर को खत्म हो जाएगा। जोशी ने कहा कि 23 दिन के इस सत्र के दौरान कुल 17 दिन काम होगा, वहीं बाकी दिन छुट्टी रहेगी। राज्यसभा सभापति के तौर पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का यह पहला सत्र होगा और वो 7 दिसंबर को पहली बार सभापति की कुर्सी पर बैठेंगे।
शीतकालीन सत्र में क्या-क्या होगा?
शीतकालीन सत्र के पहले दिन दोनों सदनों में सांसद समाजवादी पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजलि दी जा सकती है, जिनका हाल ही में निधन हो गया था। समाचार एजेंसी ANI के अनुसार, श्रद्धांजलि के बाद पहले दिन की कार्यवाही स्थगित भी हो सकती है। केंद्र सरकार के सत्र के दौरान कई अहम विधेयक पेश करने की संभावना है, वहीं विपक्ष महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा।
सत्र के दौरान लागू नहीं रहेंगी कोविड संबंधी पाबंदियां
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, संसद के इस सत्र में कोविड संबंधी बड़ी पाबंदियां हटाई जा सकती हैं। देश में कोरोना वायरस के मामलों में बड़ी गिरावट देखने को मिली है और ज्यादातर सांसद और संसद स्टाफ वैक्सीन लगवा चुका है, ऐसे में इन पाबंदियों का खास मतलब नहीं रह जाता। मार्च, 2020 में महामारी की शुरूआत के बाद यह बिना पाबंदियों के पहला सत्र होगा। महामारी के कारण कुछ सत्र तो पूरी तरह रद्द हो गए थे।
गुजरात और हिमाचल प्रदेश में वोटिंग के बाद शुरू होगा सत्र
गौरतलब है कि संसद के शीतकालीन के शुरू होने की तारीख गुजरात और हिमाचल में होने वाले विधानसभा चुनावों के बाद रखी गई है। हिमाचल प्रदेश में 12 नवंबर को वोटिंग हो चुकी है, वहीं गुजरात में 1 दिसंबर और 5 दिसंबर को दो चरणों में वोटिंग होगी। इस वोटिंग खत्म होने के बाद 7 दिसंबर से संसद का सत्र शुरू होगा, हालांकि 8 दिसंबर को नतीजों के दिन सत्र चल रहा होगा।
कैसा रहा था संसद का पिछला सत्र?
संसद का मानसून सत्र 18 जुलाई को शुरू होकर 8 अगस्त को खत्म हुआ था। सत्र में कुल 16 दिन काम हुआ था। इस दौरान लोकसभा में छह नए विधेयक पेश किए गए, वहीं सात विधेयक सदन से पारित हुए। राज्यसभा से कुल पांच विधेयक ही पारित हुए। एक विधेयक को वापस ले लिया गया था। सत्र के दौरान विपक्ष ने महंगाई आदि मुद्दों पर जमकर हंगामा किया था, जिसके कारण कुछ सांसदों को निलंबित भी कर दिया गया था।