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    डाटा संरक्षण विधेयक का नया मसौदा जारी, इसमें क्या-क्या प्रावधान हैं और यह क्यों अहम है?

    डाटा संरक्षण विधेयक का नया मसौदा जारी, इसमें क्या-क्या प्रावधान हैं और यह क्यों अहम है?
    लेखन मुकुल तोमर
    Nov 18, 2022, 08:24 pm 1 मिनट में पढ़ें
    डाटा संरक्षण विधेयक का नया मसौदा जारी, इसमें क्या-क्या प्रावधान हैं और यह क्यों अहम है?
    केंद्र सरकार ने डाटा संरक्षण विधेयक का नया मसौदा जारी कर दिया है

    केंद्र सरकार के इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने डाटा संरक्षण विधेयक का नया मसौदा जारी कर दिया है। इसमें विधेयक का उल्लंघन करने पर 500 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। आम लोग 17 दिसंबर तक विधेयक के इस मसौदे पर अपनी राय दे सकते हैं, जिसके बाद अंतिम मसौदे को बजट सत्र के दौरान संसद में पेश किया जाएगा। चलिए जानते हैं कि नए डाटा संरक्षण विधेयक में क्या-क्या प्रावधान किए गए हैं।

    क्या है नए डिजिटल निजी डाटा संरक्षण विधेयक का उद्देश्य?

    नए डाटा संरक्षण विधेयक को 'डिजिटल निजी डाटा संरक्षण विधेयक, 2022' नाम दिया गया है। इस विधेयक का उद्देश्य किसी भी व्यक्ति के निजी डाटा के इस्तेमाल और उसके प्रवाह को सुरक्षा प्रदान करना और निजता के मौलिक अधिकार की रक्षा सुनिश्चित करना है। इसमें डाटा इकट्ठा करने, इसे इकट्ठा करने और प्रोसेस करने के आधार, सीमा पार डाटा फ्लो, डाटा संरक्षण से संबंधित ढांचा बनाने और संस्थानों की जवाबदेही तय करने जैसे मुद्दों से संबंधित प्रावधान किए गए हैं।

    विधेयक में देश से बाहर डाटा फ्लो को लेकर क्या प्रावधान हैं?

    पुराने डाटा संरक्षण विधेयक के मुकाबले नए विधेयक में देश से बाहर डाटा फ्लो पर नियमों में ढील दी गई है। पहले विधेयक में कंपनियों से भारत के अंदर ही डाटा स्टोर करने को कहा गया था, लेकिन अब वो देश से बाहर डाटा स्टोर कर सकेंगी। केंद्र सरकार एक नोटिफिकेशन निकाल कर उन जगहों के बारे में बताएगी जहां भारतीय नागरिकों का डाटा स्टोर किया जा कता है। इलाके की डाटा सिक्योरिटी इसमें अहम भूमिका अदा करेगी।

    डाटा स्टोर करने पर क्या कहा गया है?

    विधेयक के मसौदे में कहा गया है कि कोई भी कंपनी हमेशा के लिए डाटा को स्टोर नहीं रख सकती और जिस उद्देश्य से इसे इकट्ठा किया गया था, वह पूरा होने के बाद इसे डिलीट करना होगा।

    डाटा लीक को लेकर क्या प्रावधान हैं?

    विधेयक में लोगों का निजी डाटा लीक होने पर कंपनियों पर भारी आर्थिक जुर्माने का प्रावधान किया गया है। डाटा इकट्ठा करने वाली कंपनी (डाटा फिडुसियरी) या डाटा प्रोसेस करने वाली कंपनी (डाटा प्रोसेसर), जिसकी तरफ से भी डाटा लीक होगा, उस पर 250 करोड़ रुपये का आर्थिक जुर्माना लगाया जाएगा। इसके अलावा यूजर्स को डाटा लीक के बारे में सूचित न करने पर भी कंपनी पर 200 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

    डाटा संरक्षण के लिए क्या ढांचा बनाया जाएगा?

    डाटा संरक्षण विधेयक के नए मसौदे में एक डाटा संरक्षण बोर्ड गठित करने का प्रस्ताव रखा गया है, जो कानून के सभी प्रावधानों का पालन सुनिश्चित करेगा। अगर कोई कंपनी या व्यक्ति कानून का पालन नहीं करता और इसका उल्लंघन करता है तो उसका पक्ष जानने के बाद बोर्ड उस पर 500 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगा सकता है। पहले यह जुर्माना 15 करोड़ या कंपनी के टर्नओवर का चार प्रतिशत (जो भी ज्यादा हो) था।

    किस-किस को मिलेगी नियमों से छूट?

    विधेयक में भारत की संप्रभुता और अखंडता, राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेशों के साथ मैत्री संबंध, कानून-व्यवस्था और संज्ञेय अपराधों को रोकने के हित में सरकार और उसकी एजेंसियों को नियमों से छूट देने का प्रावधान किया गया है। केंद्र सरकार को यह छूट देने की शक्ति प्रदान की गई है। इसके अलावा स्टार्टअप्स को ध्यान में रखते हुए यूजर्स की संख्या और निजी डाटा की मात्रा के आधार पर कुछ कंपनियों को कुछ छूट देने का प्रावधान भी किया गया है।

    पिछले डाटा संरक्षण विधेयक को क्यों लिया गया था वापस?

    केंद्र सरकार इससे पहले भी डाटा संरक्षण विधेयक ला चुकी है और इसे दिसंबर, 2019 में संसद में पेश किया गया था। हालांकि संसद में इसे भारी विरोध का सामना करना पड़ा जिसके बाद इसे संयुक्त संसदीय पैनल के पास भेज दिया गया। पैनल ने 98 धाराओं के इस विधेयक में 81 संशोधन सुझाए थे, जिसके बाद सरकार ने इसे वापस लेना और नए सिरे से विधेयक बनाना बेहतर समझा। अगस्त, 2022 में इसे संसद से वापस लिया गया था।

    क्यों अहम है डाटा संरक्षण पर कानून?

    भारत में तेजी से इंटरनेट का प्रसार हो रहा है और अभी देश में 76 करोड़ सक्रिय इंटरनेट यूजर्स हैं। जल्द ही इनके 120 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। ये यूजर्स इंटरनेट पर अपनी तमाम निजी जानकारियां स्टोर या साझा करते हैं, लेकिन डाटा की सुरक्षा पर कानून न होने के कारण इस निजी डाटा के दुरुपयोग और निजता के अधिकार के उल्लंघन की संभावना बनी रहती है। इसी कारण डाटा संरक्षण पर कानून अहम हो जाता है।

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