भारत में बैन किया गया पाकिस्तान सरकार का ट्विटर अकाउंट
पाकिस्तान सरकार के ट्विटर अकाउंट को भारत में बंद कर दिया गया है। अकाउंट पर दिखा रहे मैसेज के अनुसार, भारत सरकार की कानूनी मांग के बाद अकाउंट को बैन किया गया है। भारत सरकार की तरफ से ट्विटर से ये मांग क्यों की गई, अभी तक ये जानकारी सामने नहीं आई है। ट्विटर सरकार के निर्देश पर पहले भी ऐसे अकाउंट्स को बंद करता रहा है जो भारत के स्थानीय कानूनों का उल्लंघन करते हैं।
दो दिन पहले ही बंद किया गया था PFI का अकाउंट
पाकिस्तान सरकार के ट्विटर अकाउंट पर ये बैन ऐसे समय पर लगाया गया है जब दो दिन पहले ही भारत सरकार के अनुरोध पर चरमपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के आधिकारिक अकाउंट को बंद किया गया है। इसके अलावा PFI ध्यक्ष ओएमए सलाम और महासचिव अनीस अहमद के अकाउंट्स भी बैन कर दिए गए हैं। PFI पर आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है और उसे पाकिस्तान से मदद मिलने का अंदेशा जताया जाता है।
पत्रकारों और समाचार संगठनों की सबसे ज्यादा पोस्ट हटवाता है भारत
गौरतलब है कि भारत ट्विटर से वेरिफाइड पत्रकारों और समाचार संगठनों की पोस्ट हटवाने के मामले में दुनिया में पहले स्थान पर है। ट्विटर के अनुसार, पिछले साल जुलाई से दिसंबर के बीच दुनियाभर के 349 पत्रकारों और समाचार संगठनों की पोस्ट हटाने के लिए 326 कानूनी मांगें आई थीं। इनमें से 114 यानि एक-तिहाई मांगें केवल भारत से थीं। इससे पहले जनवरी से जून के बीच भी भारत ने सबसे ज्यादा 89 पोस्ट हटाने की मांग की थी।
पोस्ट हटाने की कानून मांग क्या होती है?
ट्विटर के अनुसार, पोस्ट हटाने के लिए अदालत, सरकार और सरकार और व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों की तरफ से आने वाली औपचारिक मांग को कानूनी मांग कहा जाता है। कंपनी ने बताया था कि पिछले साल राष्ट्रीय बाल अधिकार सरंक्षण आयोग ने भी उससे एक बड़े राजनेता की ऐसी पोस्ट हटाने की मांग की थी, जिसमें एक नाबालिग का जिक्र था। ट्विटर ने नाम नहीं लिया, लेकिन यह राहुल गांधी की पोस्ट थी।
ट्विटर ने कंटेट हटाने के सरकार के आदेशों को दी है हाई कोर्ट में चुनौती
इस साल जुलाई में ट्विटर ने भारत सरकार की कुछ मांगों पर सवाल भी उठाया था और कंटेंट हटाने के उसके आदेश को कर्नाटक हाई कोर्ट में चुनौती दी है। कंपनी ने सरकार के इन आदेशों को सत्ता का दुरुपयोग बताया है और उन्हें कानूनी तौर पर चुनौती देते हुए हाई कोर्ट से सरकार को इन आदेशों को वापस लेने का निर्देश देने की मांग की है। कंपनी का कहना है कि ये आदेश अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन हैं।