कोर्ट ने खारिज की मोहम्मद जुबैर की जमानत याचिका, 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा
दिल्ली के पटियाला हाउस स्थित कोर्ट ने हिंदू देवता को लेकर किए गए आपत्तिजनक ट्वीट के मामले में फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की जमानत याचिका को शनिवार को खारिज कर दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजने के आदेश भी दिए हैं। बता दें कि पुलिस ने इस मामले की जांच जारी होने का हवाला देते हुए जुबैर की जमानत याचिका का विरोध किया था।
27 जनू को हुई थी जुबैर की गिरफ्तारी
दिल्ली पुलिस ने 27 जनू को 2020 के पॉक्सो कानून से जुड़े मामले में पूछताछ के लिए द्वारका कार्यालय में बुलाया था। इस मामले में जुबैर को हाई कोर्ट से गिरफ्तारी से राहत मिली हुई है। पूछताछ के दौरान ही पुलिस ने उन्हें उनके 2018 के एक पुराने ट्वीट से जुड़ी अन्य पूछताछ का नोटिस दिया और गिरफ्तार कर लिया। राहुल गांधी समेत विपक्ष के कई नेताओं और मीडिया से जुड़े लोगों ने जुबैर की गिरफ्तारी की निंदा की है।
पुलिस ने हिरासत अवधि पूरी होने के बाद जुबैर को किया पेश
बता दें कि मामले में पांच दिन की हिरासत अवधि पूरी होने के बाद पुलिस ने जुबैर को मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट स्निग्धा सरवरिया की कोर्ट में पेश कर मामले में आगे की पूछताछ के लिए 14 दिन की हिरासत मांगी थी। पुलिस ने कहा कि मामले में आगे की जांच के लिए जुबैर को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत पड़ सकती है। इसके बाद जुबैर ने वकील वृंदा ग्रोवर के जरिए जमानत याचिका दाखिल की थी।
जुबैर ने जमानत याचिका में दी यह दलील
जुबैर ने जमानत याचिका में कहा कि उनसे अब और पूछताछ की आवश्यकता नहीं है। वह कोई आतंकवादी नहीं है, जिसे जेल में रखना जरूरी हो। इस पर लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि पुलिस ने जुबैर के खिलाफ आपराधिक साजिश (धारा 120B), सबूत नष्ट करना (धारा 201) तथा विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम की धारा 35 के तहत अतिरिक्त धाराएं भी मुख्य मामले से जोड़ी हैं। ऐसे में इन अपराधों की जांच के लिए उनसे पूछताछ जरूरी है।
पुलिस ने जुबैर के खिलाफ ये भी लगाए हैं आरोप
पुलिस ने जुबैर की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दावा किया कि आरोपी ने पाकिस्तान, सीरिया, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) सहित अन्य देशों से 'रेजरपे पेमेंट गेटवे' के जरिए भुगतान हासिल किया है। यह गंभीर मामला है।
पुलिस ने जुबैर पर लगाया सिम बदलने का आरोप
लोक अभियोजक ने कहा कि जुबैर स्पेशल सेल कार्यालय में फोन लाए थे। उसकी जांच में सामने आया कि एक दिन पहले वह दूसरी सिम इस्तेमाल कर रहे थे, लेकिन नोटिस मिलने के बाद सिम बदल दी गई। आरोपी ने मामले में बचाव के लि बड़ी चालाकी दिखाई है। उन्होंने कहा कि जांच एजेंसी को आरोपी की और हिरासत की आवश्यकता पड़ सकती है। इसके लिए पुलिस आवेदन दायर कर सकती है, क्योंकि मामले में जांच पूरी नहीं हुई है।
"मोबाइल फोन या सिम कार्ड बदलना जुर्म नहीं"
जुबैर की वकील ने कहा, "अपना मोबाइल फोन या सिम कार्ड बदलना कोई जुर्म है? फोन फॉर्मेट करना कोई जुर्म है या चालाक होना जुर्म है? भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत इनमें से कुछ भी अपराध नहीं है। अगर आप किसी को पसंद नहीं करते हैं तो ठीक है, लेकिन आप किसी व्यक्ति पर चालाक होने का लांछन नहीं लगा सकते।" हालांकि, कोर्ट ने पुलिस की दलील स्वीकार करते हुए जुबैर को 14 दिन की हिरासत में भेज दिया।
जुबैर की जमानत याचिका की सूचना लीक होने लेकर उठा विवाद
इससे पहले जुबैर की वकील ने दिल्ली पुलिस पर जमानत याचिका पर फैसला लीक करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह अत्यंत निंदनीय है कि न्यायिक मजिस्ट्रेट के बैठने और आदेश सुनाने से पहले ही पुलिस ने आदेश को मीडिया में लीक कर दिया। इस पर दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी केपीएस मल्होत्रा ने कहा कि उन्होंने जांच अधिकारी से बात के दौरान शोर के कारण गलत सुन लिया और अनजाने में मीडिया को जानकारी दे दी।