मणिपुर: 10 कुकी विधायकों ने लिखा प्रधानमंत्री मोदी को पत्र, इंफाल को बताया 'मौत की घाटी'
मणिपुर में जातीय हिंसा के बीच कुकी-जो सुमदाय के 10 विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर उनके समुदाय के लिए उच्च रैंकिंग वाले सरकारी पदों के गठन और पहाड़ी जिलों के लिए वित्तीय सहायता की मांग की है। 16 अगस्त को लिखे गए अपने पत्र में विधायकों ने 5 पहाड़ी जिलों, चुराचांदपुर, कांगपोकपी, चंदेल, तेंगनौपाल और फेरजॉल, के लिए मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (DGP) के समकक्ष पदों की स्थापना का अनुरोध किया है।
विधायकों ने पदों के गठन के लिए दीं ये वजहें
कुकी समुदाय के विधायकों ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि ये पद उनके समुदाय के निवास वाले ऐसे क्षेत्रों में कुशल प्रशासन के लिए आवश्यक हैं, जो राज्य में जारी जातीय संघर्ष के कारण राजधानी इंफाल से पूरी तरह से कट गए हैं। उन्होंने कहा कि इंफाल कुकी समुदाय के लोगों के लिए 'मौत और विनाश की घाटी' बन गया है, जिससे पहाड़ी जिलों के लिए अलग प्रशासनिक पदों के गठन की आवश्यकता है।
जनजाति के पुनर्वास के लिए प्रधानमंत्री राहत कोष से 500 करोड़ रुपये की मांग
विधायकों ने अपने पत्र में कुकी जनजाति के पुनर्वास के लिए प्रधानमंत्री राहत कोष से 500 करोड़ रुपये की मंजूरी देने की मांग भी की है, ताकि महीनों से चली आ रही हिंसा के विनाशकारी प्रभावों से उबरने में लोगों को मदद मिल सके।
मैतेई और कुकी विधायकों ने पहले भी लिखे थे प्रधानमंत्री को पत्र
इससे पहले भी मणिपुर हिंसा के बीच मैतेई और कुकी विधायकों ने प्रधानमंत्री मोदी को अलग-अलग पत्र लिखे थे। इन पत्रों में हिंसाग्रस्त राज्य में असम राइफल्स की तैनाती को लेकर दोनों गुटों ने परस्पर विरोधी मांगें की थीं। मैतई गुट के विधायकों ने प्रधानमंत्री से हिंसाग्रस्त राज्य में असम राइफल्स की जगह केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती की मांग की थी, जबकि कुकी विधायकों के गुट ने राज्य में असम राइफल्स को तैनात रखने का आग्रह किया था।
मणिपुर में क्यों हो रही है हिंसा?
मणिपुर में बहुसंख्यक मैतई समुदाय अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिए जाने की मांग कर रहा है। इसका आदिवासी समुदाय कुकी और नागा विरोध कर रहे हैं। 3 मई को मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में आदिवासी एकजुटता मार्च आयोजित किया गया था। इस दौरान हिंसा भड़क उठी, जिसने पूरे मणिपुर को चपेट में ले लिया। हिंसा में अब तक 160 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, जबकि 6,000 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
मणिपुर में अभी क्या हैं हालात?
मणिपुर हिंसा को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इसी बीच सरकार ने हिंसा में महिलाओं के यौन उत्पीड़न से जुड़े 17 मामलों की जांच का जिम्मा केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंप दिया है। राज्य में अभी भी छिटपुट हिंसा की खबरें सामने आ रही हैं और हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए अर्धसैनिक बलों की करीब 140 कंपनियां तैनात हैं। यहां हिंसा प्रभावित इलाकों में बफर जोन बनाए गए हैं।