नेपाल ने अपने नक्शे में भारतीय क्षेत्र को किया शामिल, नेपाली प्रधानमंत्री बोले- हिस्सा नहीं छोड़ेंगे
क्या है खबर?
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपने देश के उस नए नक्शे को सही ठहराया है जिसमें भारतीय क्षेत्र को नेपान के हिस्से में दिखाया गया है।
अपने देश के सांसदों के सवालों का जबाव देते हुए ओली ने कहा कि इन हिस्सों को छोड़ा नहीं जाएगा और कूटनीतिक प्रयासों के जरिए इसे भारत से वापस लेने की कोशिश की जाएगी।
इसे लेकर संसद में एक विशेष प्रस्ताव भी रखा गया।
पृष्ठभूमि
1816 की संधि से निर्धारित होती है भारत-नेपाल सीमा
भारत और नेपाल के बीच 1816 की 'सुगौली संधि' के तहत सीमा निर्धारित की गई है, जिसमें कहा गया है महाकाली नदी के पश्चिम में स्थित पूरा हिस्सा भारत का है, वहीं पूर्व का हिस्सा नेपाल में आता है।
इसी हिस्से में लिपुलेख दर्रा पड़ता है जिसकी सीमा भारत, चीन और नेपाल तीनों देशों से मिलती है। 17,060 फुट की ऊंचाई पर स्थित इस दर्रे को रणनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
विवाद
इसलिए है सीमा की स्थिति पर विवाद
विवाद इस बात को लेकर है कि महाकाली नदी कहां से शुरू होती है।
दरअसल, महाकाली नदी दो धाराओं से मिलकर बनती है। एक धारा लिपुलेख के उत्तर-पश्चिम में स्थित लिम्पियाधुरा से निकलती है, वहीं दूसरी धारा लिपुलेख के दक्षिण से निकलती है।
नेपाल लिम्पियाधुरा से निकलने वाली धारा को महाकाली नदी का स्त्रोत मानता है और कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख को अपना हिस्सा बताता है।
वहीं भारत लिपुलेख के दक्षिण से निकलने वाली धारा को इसकी मुख्यधारा मानता है।
टकराव
भारत के लिपुलेख दर्रा तक सड़क बनाने के बाद शुरू हआ मौजूदा टकराव
इस सीमा विवाद को लेकर भारत और नेपाल के बीच कई बार बातचीत हो चुकी है। मौजूदा टकराव की शुरूआत भारत के उत्तराखंड के घटियाबगढ़ से लिपुलेख दर्रा तक 80 किलोमीटर की सड़क बनाने के बाद हुई है।
तिब्बत स्थिति कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाले भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए रास्ता छोटा करने के लिए ये सड़क बनाई गई है और चीन की सीमा से नजदीकी के कारण इसका रणनीतिक महत्व भी है।
नया नक्शा
नेपाल ने अपने नक्शे में दिखाया भारत का हिस्सा
नेपाल ने भारत के इस सड़क निर्माण पर सख्त आपत्ति दर्ज कराई है और उसकी कैबिनेट ने देश के नए नक्शे को मंजूरी दी है जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाल में दर्शाया गया है।
इसी मसले पर सांसदों के सवालों का जबाव देते हुए प्रधानमंत्री ओली ने कहा, "मौजूदा सरकार के प्रधानमंत्री के तौर पर मैं सदन को बताना चाहता हूं कि लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी के मुद्दे को छोड़ा नहीं जाएगा।"
बयान
ओली बोले- नए नक्शे को अपनाने के लिए संविधान में होगा संशोधन
ओली ने आगे कहा, "इस संबंध में ठोस निष्कर्ष निकाला जाएगा। हम इस मुद्दे को किनारे नहीं होने देंगे और राजनयिक वार्ता के जरिए इसका समाधान किया जाएगा और इलाके को फिर से हासिल किया जाएगा।"
नए नक्शे पर उन्होंने कहा कि नए नक्शे को आधिकारिक तौर पर अपनाने के लिए संविधान में संशोधन किया जाएगा।
इससे पहले नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने इलाके को नेपाल को लौटाने की मांग करते हुए संसद में विशेष प्रस्ताव रखा था।