ठीक होने के बाद फिर से अस्पताल में भर्ती क्यों हो रहे कोरोना संक्रमित?
कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद अस्पताल से छुट्टी मिलने के महज चार दिन बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को फिर से अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मेदांता अस्पताल से 14 अगस्त को छुट्टी मिलने के बाद थकान और बदन दर्द की शिकायत पर उन्हें 18 अगस्त को दिल्ली AIIMS में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों का कहना है केवल शाह ही नहीं, कोरोना से ठीक होने वाले 5 प्रतिशत लोग फिर अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं।
ठीक हुए लोगों में देखे जा रहे ये लक्षण
इस बारे में बात करते हुए वैशाली स्थित मैक्स हेल्थकेयर से जुड़े डॉक्टर शरद जोशी ने द प्रिंट को बताया, "हमारे पास ऐसे मरीजों की लंबी सूची है जिनको कोरोना वायरस के कारण दूसरी परेशानियां का सामना करना पड़ रहा है।" उन्होंने कहा कि मरीजों में दो से तीन सप्ताह तक सांस लेने में परेशानी, बदन दर्द, जोड़ों का दर्द, महीनों तक मांसपेशियों में दर्द, भूख न लगना, गंध और स्वाद न आने जैसे लक्षण देखे जा रहे हैं।
गंभीर रूप से संक्रमित हुए मरीजों को आ रही परेशानियां
डॉक्टर जोशी ने कहा कि कोरोना नेगेटिव होने के बाद घर जाने वाले 5 प्रतिशत मरीज इन लक्षणों के साथ फिर अस्पताल लौट रहे हैं। फोर्टिस अस्पताल के डॉक्टर विकास मौर्या कहते हैं कि अधिकतर ऐसे मरीज अस्पताल लौट रहे हैं, जो कोरोना से गंभीर रूप से संक्रमित हुए थे। जो मरीज इलाज के दौरान इनटेंसिव केयर यूनिट (ICU) में भर्ती हुए थे, उनमें से 40 प्रतिशत को अब सांस लेने में परेशानी, खांसी और थकान हो रही है।
अधिकतर लोगों को सांस लेने में परेशानी और हल्का बुखार
दिल्ली के डॉक्टरों का कहना है कि ठीक होने के बाद आने वाली परेशानियों की वजह फेफड़ों का पूरी तरह काम न कर पाना हो सकती है। गंगाराम अस्पताल से जुड़े वरिष्ठ डॉक्टर एसपी ब्योत्रा का कहना है, "जिन लोगों को इलाज के दौरान छाती में समस्या हुई थी, ठीक होने के बाद उनके फेफड़ों पर असर पड़ सकता है। इससे उनकी क्षमता कम हो जाएगी और मरीज को सांस लेने में परेशानी होगी।"
"हमेशा के लिए क्षतिग्रस्त हो सकते हैं फेफड़े"
ब्योत्रा ने कहा कि मोटे तौर पर मरीज दो परेशानियों की शिकायत कर रहे हैं। एक है हल्का बुखार और दूसरी है सांस लेने में परेशानी। उन्होंने कहा कि समय के साथ बुखार ठीक हो जाता है और यह कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन छाती में आ रही समस्या के लिए अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ती है। आगे चलकर कई मामलों में कुछ लोगों के फेफड़े हमेशा के लिए क्षतिग्रस्त हो सकते है।
वुहान में भी मरीजों के फेफड़े पूरी तरह स्वस्थ नहीं
पहले हुए कई शोधों में भी सामने आया है कि कोरोना नेगेटिव होने के कई महीनों बाद भी कई मरीजों में सांस लेने में परेशानी, थकान आदि लक्षण बने रहते हैं। इसी महीने चीन के वुहान से एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें कहा गया था कि कोरोना से ठीक हो चुके 90 प्रतिशत लोगों के फेफड़े अभी तक पूरी तरह ठीक नहीं हुए हैं। याद दिला दें कि वुहान से ही कोरोना संक्रमण की शुरुआत हुई थी।
पूरी तरह ठीक होने में लगता है महीनों का समय
इटली में ICU से लौटे मरीजों के विश्लेषण से पता चला है कि उन्हें ठीक होने के बाद अब पूरे शरीर में थकावट, थोड़े से तनाव के बाद सांस लेने में परेशानी और लगातार खांसी आदि की परेशानी रहती है। दरअसल, लंबे समय तक अस्पताल में रहने से मरीज कमजोर हो जाता है और उनकी मांसपेशियों को दोबारा बनने में समय लगता है। ऐसे लोगों को पूरी तरह ठीक होने में महीनों लग सकते हैं।