किसान मार्च: स्टेडियमों को अस्थायी जेल नहीं बना सकेगी पुलिस, दिल्ली सरकार ने खारिज की अर्जी
दिल्ली सरकार ने पुलिस को नौ स्टेडियमों को अस्थायी जेलों में बदलने की अनुमति नहीं दी है। पुलिस ने किसानों के प्रदर्शन के देखते हुए दिल्ली के नौ स्टेडियमों को अस्थायी जेलों में बदलने की इजाजत मांगी थी। इसके जवाब में दिल्ली सरकार ने कहा कि किसानों की मांगे बिल्कुल जायज है और इनका प्रदर्शन अहिंसक है। इसलिए सरकार दिल्ली पुलिस की स्टेडियमों को अस्थायी जेलों में बदलने की इस अर्जी को खारिज करती है। आइये, पूरी खबर जानते हैं।
किसानों को रोकने के लिए कड़े बंदोबस्त
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठन दिल्ली मार्च कर रहे हैं। हरियाणा और पंजाब के किसान इन कानूनों के खिलाफ सबसे ज्यादा आवाज बुलंद कर रहे हैं। इन्हें दिल्ली आने से रोकने के लिए हरियाणा-दिल्ली सीमा पर कड़े इंतजाम किए गए हैं। हरियाणा और दिल्ली पुलिस के अलावा अर्धसैनिक बलों को भी किसानों को राजधानी दिल्ली में घुसने में रोकने के लिए तैनात किया गया है। साथ ही कंटीले तार भी लगाए गए हैं।
किसानों के आगे कम पड़ रहे हैं पुलिस के इंतजाम
हरियाणा सरकार ने किसानों को हरियाणा-पंजाब सीमा पर ही रोकने की व्यवस्था की थी। इसके लिए भारी बैरिके़डिंग के साथ पुलिसबल तैनात किया गया था, लेकिन किसान इन्हें पीछे हटाते हुए दिल्ली की तरफ बढ़ने में कामयाब हो गए हैं। इसे देखते हुए दिल्ली पुलिस ने किसानों को गिरफ्तार कर अस्थायी जेल में रखने के लिए केजरीवाल सरकार से स्टेडियमों को जेल में बदलने की इजाजत मांगी थी। केजरीवाल सरकार ने यह इजाजत नहीं दी है।
अमरिंदर सिंह ने केंद्र से किसानों से बात करने का आग्रह किया
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि दिल्ली की सीमाओं पर तनावपूर्ण स्थिति को शांत करने के लिए किसान यूनियनों से तुरंत बातचीत शुरू की जाए।
छावनी में तब्दील हुई टिकरी और संघू बॉर्डर
हरियाणा-दिल्ली की सिंघू और टिकरी बॉर्डर पूरी तरह छावनी में तब्दील में हो गई है। किसानों को रोकने के लिए यहां भारी पुलिसबल तैनात किया गया है। सिंघू बॉर्डर पर जहां किसानों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े गए। वहीं टिकरी बॉर्डर पर किसानों और पुलिसकर्मियों के बीच झड़प हुई। प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि वो शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली जाना चाहते हैं, लेकिन सरकार उन्हें इसकी इजाजत नहीं दे रही।
किसानों के समर्थन में बोले हुड्डा
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने किसानों पर वाटर कैनन और आंसू गैस के इस्तेमाल की निंदा की है। साथ ही उन्होंने प्रदेशवासियों से किसानों के ठहरने, उनके खाने-पीने, इलाज में मदद का प्रबंध करने की अपील की है।
दिल्ली-देहरादून हाइवे पर भी अड़े किसान
हरियाणा और पंजाब के बाद अब उत्तर प्रदेश के किसान भी सड़कों पर उतर आए हैं। भारतीय किसान यूनियन के सैकड़ों कार्यकर्ताओ ने दिल्ली-देहरादून हाइवे जाम कर दिया है। इनका कहना है कि जब तक सरकार कानूनों में संशोधन नहीं करेगी, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। इससे पहले यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के किसान सड़कों पर उतरेंगे और प्रदेश के सभी हाइवे जाम करेंगे।
किन कानूनों का विरोध कर रहे हैं किसान?
दरअसल, मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडार सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का जमकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।