हाथरस पीड़िता की पहचान उजागर करने के कारण स्वरा, अमित मालवीय और दिग्विजय सिंह को नोटिस
क्या है खबर?
राष्ट्रीय महिला आयोग ने हाथरस पीड़िता की पहचान उजागर करने के मामले भाजपा IT सेल प्रमुख अमित मालवीय, बॉलीवुड अभिनेत्री स्वरा भास्कर और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को नोटिस भेजा है।
इन्होंने ट्विटर पोस्ट के जरिये पीड़िता की पहचान उजागर की थी।
महिला आयोग ने इस मामले में इन तीनों से जवाब मांगा है। साथ ही आयोग ने इन्हीं वो पोस्ट हटाने और भविष्य में ऐसी सूचना साझा करने से बचने को कहा है।
पृष्ठभूमि
कथित तौर पर गैंगरेप का शिकार हुई थी युवती
14 सितंबर को हाथरस जिले के एक गांव में रहने वाली 19 वर्षीय दलित युवती के साथ कथित तौर पर चार लोगों ने गैंगरेप किया था।
दो सप्ताह तक जिंदगी और मौत से लड़ाई लड़ने के बाद 29 सितंबर को पीड़िता ने दिल्ली के अस्पताल में दम तोड़ दिया था।
इसके बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने दिल्ली से पीड़िता का शव लाकर परिवारजनों की मर्जी के विपरित आधी रात में उसका अंतिम संस्कार कर दिया था।
मामला
मालवीय ने किया था पीड़िता का वीडियो शेयर
भाजपा IT सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने शुक्रवार को एक वीडियो ट्वीट किया था।
इसे शेयर करते हुए उन्होंने लिखा कि हाथरस की पीड़िता अलीगढ़ मु्स्लिम यूनिवर्सिटी के बाहर रिपोर्टर को बता रही है कि उसका गला घोंटने की कोशिश हुई है।
इस वीडियो में मृतका का चेहरा साफ दिख रहा है।
वहीं कानून के अनुसार यौन हिंसा की शिकार पीड़िता की पहचान उजागर नहीं की जा सकती। ऐसा करने पर दो साल तक की सजा हो सकती है।
नोटिस
आयोग ने नोटिस में कही ये बातें
मालवीय, सिंह और स्वरा भास्कर को भेजे नोटिस में महिला आयोग ने कहा है कि उसने कई ऐसे ट्विटर पोस्ट देखे हैं, जहां कथित तौर पर गैंगरेप की पीड़िता की तस्वीर इस्तेमाल की गई थी। इसे देखते हुए आपसे जवाब मांगा जा रहा है।
साथ ही आयोग ने उन्हें पोस्ट हटाने की बात कहते हुए कहा कि उनके फॉलोवर्स द्वारा इन फोटो और वीडियो को सोशल मीडिया पर फैलाया जा रहा है, जो कानून का उल्लंघन है।
जानकारी
पीड़िता की पहचान उजागर करना गैर-कानूनी- रेखा शर्मा
इससे पहले मालवीय द्वारा वीडियो शेयर किए जाने के सवाल पर आयोग की प्रमुख रेखा शर्मा ने कहा था कि पीड़िता की पहचान उजागर करना गैर-कानूनी है और आयोग इस मामले को देख कर रहा है।
कानून
ऐसे मामलों में क्या कहता है कानून?
कानून के मुताबिक, यौन हिंसा पीड़िता या संभावित पीड़िता की पहचान उजागर करने पर दो साल तक की सजा हो सकती है।
साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने भी स्पष्ट किया था कि सिर्फ पीड़िता का नाम उजागर करना ही नहीं बल्कि मीडिया में छपी किसी भी प्रकार की जानकारी से उनकी पहचान उजागर नहीं होनी चाहिए।
ऐसा पीड़िता की मौत के बाद या परिवार की सहमति के बाद भी नहीं किया जा सकता।
बयान
पीड़िता ने बयान में कही थी रेप होने की बात
उत्तर प्रदेश पुलिस ने फॉरेंसिक रिपोर्ट के हवाले से दावा किया है कि इसमें पीड़िता के साथ रेप होने की पुष्टि नहीं हुई है। हालांकि, 22 सितंबर को मजिस्ट्रेट के सामने दिए बयान में पीड़िता ने कहा था कि 14 सितंबर को उसके साथ रेप हुआ था।
इस मामले में धारा 302 (हत्या) 376D (रेप) और SC/ST एक्ट के तहत FIR हुई है।
इस मामले पर राजनीति भी गर्माई हुई है और इसकी जांच CBI को सौंपी गई है।